Edited By Manisha rana, Updated: 31 Aug, 2024 08:35 AM
फरीदाबाद में बादशाह खान सिविल अस्पताल में बीते 21 अगस्त को डिलीवरी के दौरान महिला का गलत तरीके से डिलीवरी करने के दौरान पेट में पल रही उसकी बच्ची की मौत हो गई थी। जिसके बाद पीड़िता महिला के पति, सास और मां द्वारा डिलीवरी कराने वाली 4 नर्सों पर...
फरीदाबाद (अनिल राठी) : फरीदाबाद में बादशाह खान सिविल अस्पताल में बीते 21 अगस्त को डिलीवरी के दौरान महिला का गलत तरीके से डिलीवरी करने के दौरान पेट में पल रही उसकी बच्ची की मौत हो गई थी। जिसके बाद पीड़िता महिला के पति, सास और मां द्वारा डिलीवरी कराने वाली 4 नर्सों पर मारपीट और जबरन डिलीवरी कराने के गंभीर आरोप लगाए थे। इस मामले में मृतक नवजात बच्ची का बादशाह खान सिविल अस्पताल में पोस्टमार्टम हुआ था। इस मामले में तीन नंबर पुलिस चौकी कार्रवाई कर रही है लेकिन अभी तक पीड़ित को न्याय नहीं मिला है। पीड़िता का इलाज निजी अस्पताल में चल रहा है अब पीड़िता ने खुद पूरे मामले का सनसनीखेज खुलासा किया है।
पीड़िता वर्षा ने बताया कि जब उसे लेबर पेन हो रहा था तब उसकी मां से स्टाफ नर्स ने डिलीवरी करने के लिए 3000 रुपए मांगे थे और जब वह नर्सों से मिलकर उसकी डिलीवरी कर रही थी, जब उसे दर्द हो रहा था तो चारों ने न केवल उसे बुरी तरह पीटा बल्कि उसके पेट पर भी और गुप्तांग पर भी लात मार दी थी। वर्षा ने बताया कि मारपीट के दौरान उसे बेड से गिरा दिया गया था, फिर बेड पर डाला गया और फिर उसके साथ मारपीट की गई। जबरदस्ती उसके बच्चे की डिलीवरी कराई जा रही थी। इस दौरान उसके शरीर पर दो जगह कट लगा दिए। इसके बाद उसकी आंखों के आगे अंधेरा होने लगा और उसे कुछ पता नहीं चला, बाद में जब उसे होश आया तो बताया गया कि उसने बच्ची को जन्म दिया था जिसकी मौत हो चुकी है। पीड़िता ने बताया कि उसकी बच्ची की मौत की जिम्मेदार यदि कोई है तो उसके साथ मारपीट करने वाली वह चारों स्टाफ नर्स है।
वहीं इस मामले में पीड़िता वर्ष की मां रेखा और उसकी सास ने बताया कि इस घटना को लगभग 10 दिन बीत चुके हैं, लेकिन अभी तक उनकी बहू के साथ मारपीट करने वाली चारों नसों को उनके सामने नहीं लाया गया है। अब पुलिस भी उल्टा उन पर ही फैसला करने का दबाव बना रही है। पुलिस उन्हें जाकर उलटा धमकाती है। वर्षा की मां रेखा ने बताया कि आरोपी चार नर्सों में से कोई ना कोई रात को आती है और उन पर फैसले का दबाव बनाया जाता है। उन्हें यहां से न्याय की उम्मीद नजर नहीं आ रही है।
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