Haryana Politics: राज्यसभा की खाली सीट पर अब BJP खेलेगी बड़ा दाव, ये 3 खास नाम चर्चा में शामिल...

Edited By Isha, Updated: 16 Jun, 2024 07:36 PM

bjp will now play a big bet on the vacant rajya sabha seat

हरियाणा में राज्यसभा के लिए होने वाले उपचुनाव में भले ही बीजेपी के पास संख्या बल पर्याप्त ना हो, लेकिन वह आसानी से इस सीट को कांग्रेस को देने के मूड में नहीं है। बीजेपी की ओर से राज्यसभा चुनाव के लिए भी से प्रत्याशी के चेहरे की तलाश शुरू कर दी गई है

चंडीगढ़(चंद्रशेखर धरणी): हरियाणा में राज्यसभा के लिए होने वाले उपचुनाव में भले ही बीजेपी के पास संख्या बल पर्याप्त ना हो, लेकिन वह आसानी से इस सीट को कांग्रेस को देने के मूड में नहीं है। बीजेपी की ओर से राज्यसभा चुनाव के लिए भी से प्रत्याशी के चेहरे की तलाश शुरू कर दी गई है। इसके लिए भारतीय जनता पार्टी की ओर से जातिय के अलावा अन्य सभी समीकरणों को भी ध्यान में रखा जा रहा है। इसी के चलते बीजेपी ने राज्यसभा के लिए संभावित उम्मीदवारों के नामों की लिस्ट तैयार करनी शुरू कर दी है, जिस पर अंतिम फैसला पार्टी हाई कमान की ओर से लिया जाएगा।

तरुण भंडारी का नाम भी शामिल
बीजेपी की ओर से राज्यसभा के लिए संभावित उम्मीदवारों की बनाई जा रही लिस्ट में मुख्यमंत्री के पब्लिसिटी एडवाइजर तरुण भंडारी का नाम भी शामिल हो सकता है। भंडारी एक पंजाबी चेहरा होने के साथ पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल के बेहद करीबी माने जाते हैं। तरुण भंडारी पूर्व में पंचकूला निगम के मेयर भी रह चुके हैं। इसके अलावा वह कांग्रेस के 600 से अधिक बड़े चेहरों को पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नेतृत्व में बीजेपी में शामिल करवा चुके हैं। इतना ही नहीं कई अध्यात्मिक गुरुओं से प्रदेश के डेरे से भी उनके व्यक्तिगत संबंध है। लोकसभा चुनाव में भंडारी कईं नेताओं को इन गुरुओं से व्यक्तिगत रूप से मिलवा भी चुके है। भंडारी हिमाचल के राज्यसभा चुनाव में हर्ष महाजन को जितवा कर अपना राजनीतिक कौशल मनवा चुके हैं। इसके अलावा हिमाचल प्रदेश से कांग्रेस के 6 बागी विधायकों को बीजेपी की टिकट पर फिर से विधानसभा का चुनाव जितवाकर वह अपना लोहा भी मनवा चुके हैं। 

जाट नेता पर भी लग सकता है दांव
जातिय समीकरण को ध्यान में रखकर यदि बीजेपी ने राज्यसभा उम्मीदवार के नाम की घोषणा की तो जाट समुदाय के किसी नेता की लॉटरी लग सकती है। इनमें कैप्टन अभिमन्यु, ओपी धनखड़ और रणजीत सिंह चौटाला में से किसी एक के नाम पर मुहर लग सकती है। चूंकि ओपी धनखड़ पूर्व में प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष रहने के अलावा बीजेपी के पहले चरण की सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं। मौजूदा दौर में वह बीजेपी के राष्ट्रीय सचिव की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। ऐसे में उनकों राज्यसभा में भेजे जाने पर संशय हो सकता है। इसके उलट लोकसभा चुनाव हार चुके हरियाणा के कैबिनेट मंत्री रणजीत सिंह चौटाला पर पार्टी यह दांव खेल सकती है। इसके पीछे कईं कारण है, क्यूंकि रणजीत सिंह चौटाला के रूप में बीजेपी को जाट और किसान वर्ग दोनों का लाभ मिल सकता हैं। रणजीत चौटाला देश के बड़े किसान नेता और पूर्व उप प्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल के पुत्र हैं। इसलिए उन्हें उनकी विरासत का भी फायदा विधानसभा चुनाव में भी मिल सकता है। 

पंजाब में किया प्रयोग
पंजाब में भारतीय जनता पार्टी इस प्रकार का प्रयोग कर चुकी है। पंजाब के अमृतसर से लोकसभा चुनाव हार चुके रवनीत सिंह बिट्टू को केंद्र में मंत्री बनाया गया है। इसका मतलब साफ है कि बीजेपी ने एक सिख प्रतिनिधियों के रूप में और सरदार बेअंत सिंह की विरासत का फायदा उठाने के लिए ऐसा किया है। ठीक इसी प्रकार हरियाणा में भी चौधरी रणजीत सिंह चौटाला को राज्यसभा भेज कर बीजेपी आगामी हरियाणा विधानसभा चुनाव में कई प्रकार से फायदा ले सकती है। वैसे भी चौधरी रणजीत सिंह चौटाला पूर्व मुख्यमंत्री व वर्तमान केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल के करीबी और विश्वास पात्र हैं।

कांग्रेस में भी हो सकती हैं सेंधमारी
राज्यसभा के उपचुनाव में बीजेपी हरियाणा कांग्रेस की कद्दावर नेता और विधायक किरण चौधरी को भी पार्टी में शामिल करवाकर राज्यसभा भेज सकती हैं। ऐसा करने से जहां बीजेपी को एक जाट नेता मिल सकता है। वहीं, किरण चौधरी के रूप में वह चौधरी बंसीलाल और उनके बेटे सुरेंद्र सिंह की विरासत का भी लाभ ले सकती है, क्योंकि हरियाणा में चौधरी बंसीलाल और किरण चौधरी के पति सुरेंद्र सिंह के पार्टी कैडर के अलावा अपने कार्यकर्ता है। हालांकि किरण हमेशा कांग्रेस में ही रहने की बात कहती है, लेकिन राजनीति में कब क्या हो जाएगा कुछ कह नहीं सकते।

SC चेहरा भी हो सकता है उम्मीदवार
हाल ही में संपन्न हुई लोकसभा चुनाव में हरियाणा में बीजेपी एससी समुदाय के लिए रिजर्व अंबाला और सिरसा दोनों सीट हार चुकी है। बीजेपी की इंटरनल रिपोर्ट में भी लोकसभा चुनाव में पिछड़ने का कारण जाट और एससी समुदाय की नाराजगी बताई गई थी। इसलिए बीजेपी एससी वोटर को रिझाने के लिए किसी एससी नेता को भी राज्यसभा के चुनावी मैदान में उतार सकती है। हरियाणा में जाटों के बाद 21 प्रतिशत सबसे अधिक मतदाता एससी समुदाय से ही है। इसलिए जाटों के साथ बीजेपी के लिए एससी वर्ग को नजर अंदाज करना भी आसान नहीं होगा। हालांकि इसमें सिरसा और अंबाला से लोकसभा चुनाव हारे प्रत्याशी अशोक तंवर और बंतो कटारिया में से ही किसी एक को पार्टी राज्यसभा में भेजने का चांस ले सकती है। 

बिश्नोई पर भी खेल सकती है बीजेपी
बीजेपी हरियाणा में पार्टी से नाराज चल रहे कुलदीप बिश्नोई को राज्यसभा भेजकर उनकी नाराजगी दूर कर सकती है। लोकसभा चुनाव से पहले कुलदीप बिश्नोई को उम्मीद थी कि पार्टी की ओर से उन्हें कोई ब़ड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है। ऐसा नहीं होने पर बीजेपी हिसार से उन्हें लोकसभा में भी प्रत्याशी बनाकर भेज सकती थी, लेकिन इन दोनों में से ही कुछ भी नहीं हुआ, जिसके चलते वह भीतर खाते बीजेपी से नाराज दिखाई दिए। इसका असर यह हुआ कि आदमपुर से बीजेपी प्रत्याशी रणजीत चौटाला को हार का सामना करना पड़ा। वैसे भी बिश्नोई परिवार का कोई भी सदस्य पिछले 16 साल के लंबे अरसे से किसी भी दल में किसी बड़े पद पर आसानी नहीं हुआ है।

विधानसभा की मौजूदा स्थिति
हरियाणा की 90 सदस्यों की विधानसभा में इस समय कुल 87 विधायक हैं, जिनमें भाजपा के 40 और कांग्रेस के 29 विधायक हैं। भाजपा को गोपाल कांडा और दो अन्य विधायकों का समर्थन है। यानी उसके पास कुल 43 वोट हैं। राज्यसभा की एक सीट जीतने के लिए मौजूदा गणित के हिसाब से 44 वोट चाहिए। कांग्रेस, जननायक जनता पार्टी और कांग्रेस को समर्थन दे रहे निर्दलीय विधायकों की संख्या 44 है। इसलिए राज्यसभा का चुनाव उलझा हुआ दिख रहा है और बहुत कुछ इस बात से तय होगा कि भाजपा किसको उम्मीदवार बनाती है। हालांकि भाजपा नेता इस वजह से भरोसे में हैं कि दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी के तीन या चार विधायक उनके संपर्क में हैं और भाजपा की टिकट से विधानसभा का चुनाव लड़ना चाहते हैं। अगर ये विधायक क्रॉस वोटिंग करते हैं तो भाजपा की राह आसान हो जाएगी। हरियाणा में राज्यसभा चुनाव को लेकर दो बातों की दिलचस्पी है कि भाजपा किसे उम्मीदवार बनाती है और कांग्रेस चुनाव लड़ने का फैसला करती है या नहीं।

 

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