हरियाणा के सियासी ‘चक्रव्यूह’ को भेदने ‘अभिमन्यू’ हो सकते हैं भाजपा के नए ‘कैप्टन’!

Edited By Manisha rana, Updated: 30 May, 2024 11:04 AM

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हरियाणा में सभी 10 संसदीय सीटों पर मतदान संपन्न हो चुका है और अब इसके परिणाम को जानने के लिए हर कोई बड़ी बेताबी से आने वाली 4 जून का ही इंतजार कर रहा है। राजनीति के लिहाज से ये ऊंट किस करवट बैठेगा? फिलहाल अटकलें, अनुमान और कयास ही है।

चंडीगढ़ : हरियाणा में सभी 10 संसदीय सीटों पर मतदान संपन्न हो चुका है और अब इसके परिणाम को जानने के लिए हर कोई बड़ी बेताबी से आने वाली 4 जून का ही इंतजार कर रहा है। राजनीति के लिहाज से ये ऊंट किस करवट बैठेगा? फिलहाल अटकलें, अनुमान और कयास ही है। चूंकि जीत के दावे हर कोई कर रहा है। भाजपा हाईकमान द्वारा भी मंथन प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। अहम बात ये है कि ये मंथन जहां सभी 10 संसदीय सीटों पर संभावित स्थिति को लेकर किया जा रहा है तो वहीं चुनावी परिणाम के बाद संगठन की ‘कमान’ किसे सौंपी जाएगी? इस पर भी चर्चाओं का दौर तेजी से शुरू हो गया है। 

उल्लेखनीय है कि इस वक्त भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष का जिम्मा मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के पास ही है, क्योंकि जब हाईकमान ने लोकसभा चुनावों से ऐन पहले मार्च माह में नायब सिंह सैनी को मनोहर लाल खट्टर की जगह मुख्यमंत्री की कमान सौंपी थी, तो उस समय वे प्रदेशाध्यक्ष का दायित्व निभा रहे थे। लोकसभा चुनाव का बिगुल बजने के बाद पार्टी का शीर्ष नेतृत्व चुनावी तैयारियों में जुट गया, ऐसे में नए अध्यक्ष का चयन नहीं हो पाया। अब माना जा रहा है कि 4 जून के बाद पार्टी नेतृत्व प्रदेश अध्यक्ष पद पर किसी बड़े चेहरे को विराजित कर सकता है। भाजपा के नए अध्यक्ष के नाम को लेकर जैसे ही चर्चा छिड़ी तो एकाएक अध्यक्ष पद के लिए संभावितों के नाम सामने आने लगे हैं, मगर पार्टी सूत्रों के अनुसार भाजपा हाईकमान ने ओ.बी.सी. वर्ग एवं गैरजाट चेहरे के तौर पर नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री की कमान सौंपी हुई है तो ऐसे में कहा जा सकता है कि जातीय समीकरणों को मद्देनजर रखते हुए प्रदेशाध्यक्ष की कुर्सी पर हरियाणा के किसी बड़े जाट नेता को आसीन किया जा सकता है। ये तथ्य इसलिए अहम हो जाता है क्योंकि जब गैरजाट नेता के तौर पर मनोहर लाल खट्टर मुख्यमंत्री थे तो भाजपा ने हरियाणा में दो बड़े जाट नेताओं सुभाष बराला और उनके बाद ओ.पी. धनखड़ को बतौर प्रदेशाध्यक्ष संगठन की कमान सौंपी थी। नायब सिंह सैनी से पूर्व भी ओ.पी. धनखड़ ही कमान संभाले हुए थे और उन्होंने करीब 2 साल तक कार्यभार संभाला और इनके बाद नायब सिंह सैनी को आगे लाया गया।

राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि पार्टी हाईकमान प्रदेशाध्यक्ष की जिम्मेदारी प्रदेश के बड़े जाट चेहरे के रूप में कैप्टन अभिमन्यू को सौंप सकती है। इसके पीछे जहां कैप्टन अभिमन्यू के व्यक्तित्व, उदारता, कौशलता, अनुभव और हाईकमान के बीच प्रगाढ़ रिश्तों को मुख्य कारण माना जा रहा है  तो वहीं इसमें भी कोई दोराय नहीं है कि कैप्टन अभिमन्यू का प्रदेश के जाट समुदाय में भी अच्छा खासा प्रभाव है और गैरजाट वर्ग में भी उनकी स्वीकार्यता है। जाहिर है कि जातीय समीकरणों को देखते हुए व सियासत के भावी ‘च्रकव्यूह’ को भेदने के मकसद से हाईकमान ‘अभिमन्यू’ को प्रदेश का अगला ‘कैप्टन’ बना सकता है। मसलन विश्वास की कसौटी पर हर वक्त खरा उतरने वाले मजबूत जाट नेता कैप्टन अभिमन्यू को प्रदेशाध्यक्ष बनाए जाने के आसार अधिक नजर आ रहे हैं। इनके अलावा प्रदेशाध्यक्ष के लिए जो अन्य नाम चर्चा में हैं उनमें पूर्व मंत्री मनीष ग्रोवर, राज्यसभा सदस्य सुभाष बराला व मुख्यमंत्री के पूर्व राजनीतिक सचिव अजय गौड, राज्यसभा सदस्य कृष्ण पंवार का नाम मुख्य रूप से शामिल है, मगर कैप्टन अभिमन्यू का नाम सबसे मजबूत माना जा रहा है। 

बेदाग छवि के साथ दमदार रखते हैं प्रभाव

गौरतलब है कि कैप्टन अभिमन्यू के नाम की पार्टी प्रदेशाध्यक्ष को लेकर इसलिए अटकलबाजी शुरू हो चुकी है क्योंकि उनका राजनीति के साथ साथ संगठन का भी अच्छा खासा अनुभव है। इसके अलावा उनके व्यक्तित्व को देखा जाए तो ये बात भी सामने आती है कि उनकी छवि जहां बेदाग और निर्विवादित रही है तो वहीं उनकी उदारता के भी कई किस्से प्रदेश के राजनीतिक इतिहास के पन्नों पर लिखे जा सकते हैं। उदाहरण के तौर पर इस वर्ष राज्यसभा की एक सीट के लिए हुए चुनाव में माना जा रहा था कि हाईकमान कैप्टन अभिमन्यू को अपना उम्मीदवार बना सकती है लेकिन उनके स्थान पर सुभाष बराला को राज्यसभा भेज दिया गया मगर कैप्टन अभिमन्यू ने बिना किसी विपरीत प्रतिक्रिया के पार्टी के फैसले को ही सर्वोपरि माना। इसके बाद लोकसभा चुनाव को लेकर इस बात की भी अटकलों ने जोर पकड़े रखा कि संभवत: हिसार लोकसभा सीट से पार्टी कैप्टन अभिमन्यू को ही टिकट देकर मैदान में उतारेगी लेकिन यहां भी पार्टी ने प्रदेश के बिजली मंत्री चौ. रणजीत सिंह को चुनाव लड़वा दिया। 

खास बात ये है कि अपनी उदारता के चलते कैप्टन अभिमन्यू ने इस बात का न तो विरोध जताया और न ही अपनी दावेदारी को लेकर हाईकमान के सामने कोई प्रतिकूल टिप्पणी की बल्कि ईमानदारी और पूरी निष्ठा के साथ कैप्टन अभिमन्यू ने भाजपा प्रत्याशी चौ. रणजीत सिंह के प्रचार में अपना खूब पसीना बहाया। राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि कैप्टन अभिमन्यू अपनी उदारता के उदाहरण प्रस्तुत करते हुए हर मामले में पार्टी के फैसले को ही स्वीकारते हुए पार्टी हित के ही कामों पर फोकस करते दिखे। ये भी एक कारण है कि वे पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के ‘पटल’ पर विश्वास की एक अलग पहचान छोडऩे में कामयाब रहे। अहम बात ये भी है कि कैप्टन अभिमन्यू जहां पार्टी शीर्ष नेतृत्व के भरोसेमंद माने जाते हैं तो वहीं संघ में भी प्रभावी छवि है। इसके अलावा कैप्टन अभिमन्यू भाजपा हरियाणा में खेमेबाजी से भी हमेशा दूर ही रहे हैं और इसी कारण वे अध्यक्ष पद के मजबूत दावेदार नजर आते हैं। इसके अतिरिक्त मौजूदा स्थिति की बात करें तो लोकसभा चुनावों में जाट समुदाय का एक बड़ा तबका भाजपा का खुलकर विरोध करता दिखा और प्रदेश के विधानसभा चुनावों में भी अब थोड़ा ही समय शेष रह गया है। ऐसे में माना जा रहा है कि जाट वर्ग को भी अपने साथ जोडऩे के लिए हाईकमान कैप्टन अभिमन्यू को बतौर प्रदेशाध्यक्ष बड़ी जिम्मेदारी सौंप सकता है। 


शीर्ष नेतृत्व ने कैप्टन अभिमन्यू को सदैव दिया सम्मान

विशेष बात ये है कि वर्ष 2014 में जब भाजपा अपने बूते पहली बार हरियाणा की सत्ता में आई तो उस वक्त मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की कैबिनेट में कैप्टन अभिमन्यू को पॉवरफुल मंत्री बनाया गया। उन्होंने वित्त के साथ साथ कई अहम विभागों को संभाला और 2019 तक कुशल नीतियों को अंजाम भी दिया और अपने दामन पर आज तक कोई भी दाग नहीं लगने दिया। मसलन वे बेदाग छवि के साथ आगे बढ़ते दिखाई दिए। वर्ष 2019 के विधानसभा चुनावों में भाजपा ने नारनौंद से पुन: उन्हें टिकट दिया मगर वे चुनाव हार गए। खास पहलू ये है कि भले ही कैप्टन पार्ट-2 खट्टर सरकार में मंत्री नहीं बन पाए मगर शीर्ष नेतृत्व ने उनके अनुभव और पार्टी के प्रति गहरी निष्ठा को देखते हुए उन्हें संगठन के लिहाज से कई बड़े पदों के साथ साथ कई जिम्मेदारियां देकर सम्मान को बरकरार रखा। वर्तमान में उन्हें हाईकमान ने असम राज्य में लोकसभा चुनाव प्रभारी का विशेष दायित्व सौंपा और कैप्टन अभिमन्यू ने भी हाईकमान के भरोसे की कसौटी पर खरा उतरते हुए असम में पार्टी का खूब प्रचार प्रसार किया और चुनाव प्रबंधन को संभाले रखा। इसके बाद वे हरियाणा लोकसभा चुनाव की दृष्टिगत हिसार संसदीय क्षेत्र में आ गए और यहां अपने हलके नारनौंद के साथ साथ समूचे लोकसभा क्षेत्र में पार्र्टी प्रत्याशी चौ. रणजीत सिंह के प्रचार रथ को सारथी की भूमिका में दौड़ाते दिखाई दिए। राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि कैप्टन अभिमन्यू की कार्यशैली, संगठन का अनुभव और जाट समुदाय के साथ साथ अन्य वर्गांे में मजबूत पकड़ को देखते हुए उन्हें प्रदेशाध्यक्ष का दायित्व भाजपा हाईकमान सौंपते हुए उन्हें बड़ा सम्मान दे सकता है।


इन जिम्मेदारियों को भी निभा चुके हैं कैप्टन

उल्लेखनीय है कि हरियाणा में वित्त मंत्री रह चुके कैप्टन अभिमन्यू संगठन में प्रदेश महासचिव से लेकर उत्तरप्रदेश के सह-प्रभारी, पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव के अलावा लोकसभा चुनाव में पंजाब और चंडीगढ़ लोकसभा चुनावों के प्रभारी भी रहे हैं। कैप्टन अभिमन्यू को 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान उत्तरप्रदेश में सह-प्रभारी की जिम्मेदारी दी गई थी, उस समय भाजपा के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह उत्तरप्रदेश के प्रभारी थे। कैप्टन अभिमन्यू ने 1987 से 1993 में भारतीय सेना में कमीशंड ऑफिसर के रूप में थल सेना में सेवा की। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की विचारधारा से प्रभावित कैप्टन अभिमन्यू साल 1997 में भारतीय जनता पार्टी की राजनीति में सक्रिय हुए। 2003 में छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनावों के लिए प्रबंधन टीम के सदस्य बने और पहली बार 2003 में छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार बनी। 2004 में कैप्टन अभिमन्यू ने भाजपा उम्मीदवार के रूप में रोहतक लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा। 2005 में रोहतक संसदीय क्षेत्र के उपचुनाव में वे भाजपा के उम्मीदवार रहे। 2005 से 2009 तक दो बार हरियाणा भाजपा के महासचिव पद के दायित्व का निर्वहन सफलतपूर्वक किया। 2007 में उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में मीडिया प्रचार की जिम्मेदारी का भी निर्वहन किया और भाजपा की सरकार बनी। 2009 में पार्टी शीर्ष नेतृत्व द्वारा उन्हें राष्ट्रीय सचिव का दायित्व दिया गया। 2009 में ही उन्हें पंजाब भाजपा का सह-प्रभारी भी नियुक्त किया गया। 2012 में पंजाब के सह-प्रभारी रहते हुए 37 वर्ष बाद पहली बार कोई सरकार फिर से जनमत प्राप्त करने में कामयाब हुई और पंजाब में अकाली-भाजपा गठबंधन की सरकार बनी। अभी इस संसदीय चुनाव में कैप्टन अभिमन्यु को पार्टी हाई कमान द्वारा असम का लोकसभा चुनाव प्रभारी भी नियुक्त किया गया, जहां इन्होंने बेहतर चुनावी प्रबंधन से अपनी सियासी कौशलता को साबित कर दिखाया।

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