भाजपा महिलाओं को मात्र 50 फीसदी आरक्षण तक सीमित करना चाहती है : कर्ण दलाल

Edited By Manisha rana, Updated: 14 Jan, 2021 09:34 AM

bjp wants to restrict women to only 50 percent reservation karna dalal

पूर्व मंत्री कर्ण दलाल ने कहा है कि हर प्रदेश में उनके चुनाव लड़ने की अलग कैटेगरी बनी है या तो वे महिलाओं मेंं लड़ेंगे या फिर पुरुषों में। हरियाणाा में वह भी नहीं हुआ। इनकी साफ मंशा है और पता है कि हाईकोर्ट में इस कानून को चुनौती देने के बाद इस पर...

चंडीगढ़ (धरणी) :  पूर्व मंत्री कर्ण दलाल ने कहा है कि हर प्रदेश में उनके चुनाव लड़ने की अलग कैटेगरी बनी है या तो वे महिलाओं मेंं लड़ेंगे या फिर पुरुषों में। हरियाणाा में वह भी नहीं हुआ। इनकी साफ मंशा है और पता है कि हाईकोर्ट में इस कानून को चुनौती देने के बाद इस पर स्टे लगेगा और पंचायत चुनाव तब तक नहीं होंगे जब तक यह कानून को दुरुस्त नहीं करेंगे।कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन को भड़काने का आरोप सीधे तौर पर  कांग्रेस पर भारतीय जनता पार्टी लगा रही है। पर्दे के पीछे इस आंदोलन का रिमोट क्या कांग्रेस के हाथों में है ? क्या कांग्रेस किसानों के चंडीगढ़ घेराव और दिल्ली में 26 जनवरी के दिन ट्रैक्टर यात्रा निकालने जैसे प्रोग्रामों में खुलकर शामिल होगी ? इस प्रकार की जानकारियां लेने के लिए पंजाब केसरी ने पूर्व मंत्री करण दलाल से बातचीत की। करण दलाल जिन्होंने पंचायती चुनावों में 50 फ़ीसदी आरक्षण महिलाओं को दिए जाने वाले मामले को हाईकोर्ट में चुनौती देनेे की बात कही थी उसकेेे बारे में भी जाना। बातचीत के कुछ अंश आपके सामने प्रस्तुत है:-

प्रश्न : कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के बारे में क्या कहेंगे ?
उत्तर : 
कृषि राज्य का विषय है। लेकिन मोदी सरकार ने गैरकानूनी तरीके से और संवैधानिक तरीके से इन कानूनों को बनाया और सारा देश जान चुका है कि नाम जरूर किसी कानूनों का है लेकिन यह अंबानी और अडानी के हितों को साधने के लिए बनाए गए कानून है। क्योंकि पूरी दुनिया ने देखा कि कोरोना महामारी के दौरान जब सारे व्यापार नुकसान में जा रहे थे तो केवल कृषि मुनाफे में रही। बड़े व्यापारियों और उद्योगपतियों ने कृषि सिस्टम को अपने हाथों में लेने का मन बनाया और इसी नियत से यह कानून बनाए गए। आज पूरे देश में गैर राजनीतिक तौर पर इतना बड़ा संघर्ष हो रहा है ऐसा हमने कभी नहीं देखा और भारतीय जनता पार्टी कभी कहती है कि इसमें केवल सिख शामिल है, कभी आतंकवादी और कभी चीन और पाकिस्तान से रिश्ते बताने का काम कर रही हैं। भाजपा को इन कानूनों को वापस लेना चाहिए। कृषको से, कृषि वैज्ञानिकों से बात करके नए सिरे से कानून लेकर आने चाहिए और राज्य सरकारों के हवाले किए जाने चाहिए।

प्रश्न : भारतीय किसान यूनियन ने 15 तारीख को चंडीगढ़ घेराव की बात कही। जिसमें हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने खुला समर्थन देने की बात कही है ?
उत्तर : 
मैंने भी अखबार में पढ़ा है कि किसान यूनियन घेराव करेगी और कांग्रेस उसका समर्थन करेगी। किसानों और मजदूरों के सहयोग के लिए कांग्रेस हर तरीके से उनके साथ खड़ी है।

प्रश्न : केंद्र और किसान संगठनों के बीच वार्ताएं फेल होने को लेकर क्या कहेंगे ?
उत्तर : 
केंद्र में बैठी मोदी सरकार बहुत अहंकारी सरकार है। वह अपने घमंड में किसानों के दर्द को नहीं समझ पा रही। देश की हिम्मत और हौसले को भी नहीं समझ पा रही। जिस देश ने विदेशी ताकतों को भागने के लिए विवश कर दिया। इतने बड़े-बड़े संघर्ष हुए तब भी किसान पीछे नहीं हटे। तब यह मोदी सरकार इनका मुकाबला कैसे कर पाएगी। यह गलतफहमी में है।मोदी सरकार को घुटने टेकने होंगे और माफी मांग कर यह कानून वापिस लेने होंगे। अगर ऐसा नहीं हुआ तो आने वाले दिनों में यह देश के लिए बहुत बड़ा खतरा है और उसकी जिम्मेदारी मोदी सरकार और भारतीय जनता पार्टी की बनेगी।

प्रश्न : पंचायती चुनावों को लेकर आपने हाई कोर्ट जाने की बात कही है।क्या मुद्दा है क्यों जाना चाहते हैं हाईकोर्ट ?
उत्तर :  भाजपा पार्टी हमेशा दोगला चरित्र दिखाने का काम करती है। पिछले दिनों जो हरियाणा विधानसभा में महिला आरक्षण पंचायती राज पर संशोधित बिल आया है। उसमें दिखाया गया है कि यह महिला सशक्तिकरण का बिल लाए हैं। लेकिन असलियत यह है कि यह असंवैधानिक तरीके से, गैर कानूनी तरीके से महिलाओं को मात्र 50 फ़ीसदी तक सीमित किया है और ए-वन औढ बनाकर यह कहा गया है कि महिलाएं ईवन कैटेगरी में पंचायत संस्थाओं का चुनाव लड़ेंगी और ओड कैटेगरी में चुनाव लड़ेंगी।संविधान में आर्टिकल 14-15-16 की धाराओं में स्पष्ट लिखा हुआ है कि आप किसी के चुनाव लड़ने के अधिकार को छीन नहीं सकते। सरकार स्पेशल कैटेगरी बनाकर किसी एक वर्ग को आगे बढ़ाने का काम कर सकती है। लेकिन उस केटेगरी से बाहर जाकर भी वह चुनाव लड़ना चाहे तो उसे रोक नहीं सकती। जैसे हमारी सुरक्षित सीटों पर चाहे लोकसभा, विधानसभा या पंचायती यह कोई भी चुनाव हो वह उन सीटों पर भी लड़ सकते हैं और जनरल की सीटों पर भी लड़ सकते हैं। यही महिलाओं के लिए भी होना चाहिए कि वह अपनी आरक्षित सीट से भी लड़ सके और जो उनके लिए आरक्षित नहींं है वहां सेे भी लड़ सके। सरकार ने जानबूझकर हरियाणा मेंं पंचायती चुनाव न हो इसीलिए यह असंवैधानिक कानून बनाए हैं।

प्रश्न : जेजेपी का कहना है कि उन्होंने चुनावी घोषणा-पत्र का वायदा पूरा किया है ?
उत्तर : 
इन्होंने जो 50 फ़ीसदी का आरक्षण किया हम उसका विरोध नहीं कर रहे। यह ऐसा कर सकते है। लेकिन अगर 50 फ़ीसदी स बाहर आकर महिलाएं लड़ना चाहे तो उन्हें रोक नहीं सकते। इसी को लेकर महिला संगठन सामने आ रहे हैं। आप देखेंग कुछ ही दिनों में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर होंगी और यह कानून निरस्त होगा।

प्रश्न : इससे पहले कि मामला हाईकोर्ट जाए, क्या आपने इसे लेकर मुख्यमंत्री या राज्यपाल से कोई पत्राचाार किया ?
उत्तर : 
मैंनेेेे महामहिम राज्यपाल को बकायदा सारा वर्णन करते हुए कानून की व्याख्या देतेेे हुए बताया कि यह कानून असंवैधानिक है। आप किसी के चुनाव लड़ने क अधिकार को छीन नहीं सकते। इन्होंने महिलाओं के अधिकार को छीनने का काम किया। इसके साथ ही किन्नरोंं को जिन्हें सुप्रीम कोर्ट ने थर्ड जैंडर माना है। हर प्रदेश में उनके चुनाव लड़ने की अलग कैटेगरी बनी है या तो वे महिलाओं मेंं लड़ेंगे या फिर पुरुषों में। हरियाणाा में वह भी नहीं हुआ। इनकी साफ मंशा है और पता है कि हाईकोर्ट में इस कानून को चुनौती देने के बाद इस पर स्टे लगेगा और पंचायत चुनाव तब तक नहीं होंगे जब तक यह कानून को दुरुस्त नहीं करेंगे।

प्रश्न : बेरोजगारी केेे बिगड़ेे आंकड़ों को आप किस नजर से देखते हैं ?
उत्तर :
 पिछले कुछ वर्षों में जब से भाजपा की सरकार हरियाणा में बनी तब से बेरोजगारी चरम पर है। इन्होंने यहां केवल जातीय हिंसा, धर्म और क्षेत्र के नाम पर राजनीति की। ईमानदारी की बात करने वाली इस सरकार में जितनी भी नौकरियों को लेकर एग्जाम हुए उसमें भाजपा के गुर्गों ने अंदरूनी तौर पर पैसों का लेनदेन किया, भाई-भतीजावाद किया। पहली बात तो इन्होंने नौकरियां निकाली ही नहीं अगर कुछ निकाली तो उन्हें सालों साल लटका कर रखा। यहां रोजगार के अवसर इसलिए खत्म हो रहे क्योंकि यहां न तो उद्योग सुरक्षित हैैै और ना हे सरकारी नौकरियां।

प्रश्न : कृषि कानूनों को लेकर भाजपा का आरोप है कि सारे मामलेे में कांग्रेस तड़का लगा रही है ?
उत्तर : 
कांग्रेस का तड़का लगाने का कोई मुद्दा नहीं है। यह कृषि कानून बनाए इसके लिए क्या किसी किसान, किसान संगठन या किसी नुमाइंदे ने इन्हें दरख्वास्त दी। इन कानूनों में तमाम का तमाम हित साधने का काम व्यापारियों और पैसे वालों का हुआ। इसमें कांग्रेस पर दोष देना भाजपा को शोभा नहीं देता।

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