मुठ्ठी भर लोगों का विकास व गरीबों से विश्वासघात ही भाजपा की नीति : सुर्जेवाला

Edited By Isha, Updated: 13 Aug, 2019 02:16 PM

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अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी रणदीप सिंह सुर्जेवाला ने कहा कि पिछले 6 वर्षों में भाजपा सरकार में दलित,आदिवासी भाजपा की राजनीतिक उपेक्षा, सामाजिक शोषण एवं आॢथक अनदेखी

डेस्कः अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी रणदीप सिंह सुर्जेवाला ने कहा कि पिछले 6 वर्षों में भाजपा सरकार में दलित,आदिवासी भाजपा की राजनीतिक उपेक्षा, सामाजिक शोषण एवं आॢथक अनदेखी का शिकार बने हैं। अब एक बार फिर से संवेदनहीन मोदी सरकार ने इस वर्ग पर वार किया है। सी.बी.एस.ई. ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के विद्याॢथयों के लिए 10वीं और 12वीं के बोर्ड परीक्षा शुल्क में 250 प्रतिशत की बढ़ौतरी की है,जिससे उन्हें अब 350 रुपए की जगह 1200 रुपए फीस भरनी होगी। आज जारी एक बयान में सुर्जेवाला ने तथ्यों एवं आंकड़ों का हवाला देते हुए भाजपा सरकार पर हमले बोले। उन्होंने कहा कि सबका साथ-सबका विकास भाजपा का वादा न तो कागजों पर है और न ही जमीन पर सिर्फ मु_ी भर लोगों का विकास और गरीबों के साथ विश्वासघात ही भाजपा सरकार की नीयत व नीति है। 

उन्होंने कहा कि भाजपा अनुसूचित जाति के बच्चों को शिक्षा से वंचित कर रही है। 2018-19 में अनुसूचित जाति के विद्याॢथयों के लिए 10वीं कक्षा का छात्रवृत्ति बजट 6 हजार करोड़ रुपए था जो 2019-20 में 2,926 करोड़ रुपए कर दिया गया। इसी तरह विद्याॢथयों की पी.एच.डी. छात्रवृत्ति का बजट 2015-16 में 602 करोड़ था,जिसे भाजपा ने 2019-20 में घटाकर 283 करोड़ कर दिया। सुर्जेवाला ने कहा कि मैला साफ करने वाले गरीबों को मकान व व्यवसाय देने के बजट में भी 300 प्रतिशत तक की कटौती कर दी गई है। यही नहीं अनुसूचित जाति के आरक्षण पर भी संघ के नेता हमला कर रहे हैं। 

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत व प्रचार मंत्री मनमोहन वैद्य ने खुलेआम आरक्षण को खत्म करने की वकालत की है। सुर्जेवाला ने कहा कि 20 मार्च 2018 को भाजपा सरकार की षडयंत्रकारी नीति व मुकद्दमे की पैरवी में जानबूझ कर अनदेखी के चलते अनुसूचित जाति व आदिवासियों पर अत्याचार रोकने वाले कानून को अदालत ने खारिज कर दिया। इस कानून को कांग्रेस ने अनुसूचित जातियों पर होने वाले अत्याचार रोकने के लिए बनाया था। सुर्जेवाला ने कहा कि राष्ट्रीय क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की 2016 की रिपोर्ट अनुसार ही दलित अत्याचार के 40,801 मामले दर्ज किए गए, यानी हर 12 मिनट में देश में एक दलित पर अत्याचार हो रहा है।      

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