साइबर ठगी के पीड़ितों के लिए बड़ी खबर, बैंकों में रोके गए पैसे के लिए FIR की जरूरत नहीं...बस करे ये काम

Edited By Isha, Updated: 23 Jun, 2024 05:22 PM

big news for victims of cyber fraud no need to file fir for money

हरियाणा के साइबर ठगी के पीड़ितों के लिए बड़ी खबर है। दरअसल पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने साइबर ठगी के पीड़ितों को बड़ी राहत दी है। हाईकोर्ट ने सभी जिला न्यायाधीशों को पत्र भेजकर निर्देश दिए हैं

चंडीगढ़(चंद्रशेखर धरणी):  हरियाणा के साइबर ठगी के पीड़ितों के लिए बड़ी खबर है। दरअसल पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने साइबर ठगी के पीड़ितों को बड़ी राहत दी है। हाईकोर्ट ने सभी जिला न्यायाधीशों को पत्र भेजकर निर्देश दिए हैं कि साइबर ठगी के पीड़ितों को बैंकों में रोके गए पैसे के लिए एफआईआर की जरूरत नहीं है। केवल राष्ट्रीय साइबर रिपोर्टिंग पोर्टल (एनसीआरपी) पर शिकायत दर्ज होनी चाहिए। 

हरियाणा के पुलिस महानिदेशक शत्रुजीत कपूर ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट से आग्रह किया, जिस पर हाईकोर्ट ने अब ये निर्देश जारी किए हैं। दरअसल हरियाणा साइबर पुलिस उच्च्चाधिकारियों की पहल पर किए गए अथक प्रयासों से साइबर पीड़ितों को बड़ी राहत मिली है। हरियाणा साइबर पुलिस ने देशभर में सर्वाधिक पैसों को ब्लॉक और फ्रीज करवाया है। इसके अलावा सबसे अधिक साइबर अपराधियों के मोबाइल फोन बंद करवाए हैं। यही नहीं सबसे अधिक साइबर अपराधियों को सलाखों तक पहुंचाया है। 


इसी कड़ी में अब हरियाणा पुलिस ने एक कदम आगे बढ़ाते हुए साइबर पीड़ितों को उनकी मेहनत की कमाई वापस दिलाने के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिस पर हाईकोर्ट ने सभी कानूनी पहलुओं को मद्देनजर रखते हुए निर्देश दिया है। हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल की तरफ से पंजाब, हरियाणा और यूटी चंडीगढ़ के सभी जिला एवं सत्र न्यायाधीश को भेजे निर्देश में कहा है कि वे साइबर अपराध के मामलों में धोखाधड़ी की गई राशि की रिहाई के लिए एफआईआर पंजीकरण पर जोर न दें।
 
पंजाब और हरियाणा समेत केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ में साइबर अपराध पुलिस स्टेशनों में साइबर धोखाधड़ी के खिलाफ बड़ी संख्या में शिकायतें दर्ज की गई हैं। सभी राज्यों के जांच अधिकारी राष्ट्रीय साइनर रिपोर्टिंग पोर्टल (एनसीआरपी) पर शिकायतों को दर्ज करते हैं और इन शिकायतों पर कार्रवाई करते हुए निकाले गए पैसों का पता लगाते हैं। साथ ही पैसों को सीआरपीसी की धारा-102 के तहत साइबर अपराधियों तक पहुंचने से रोक देते हैं। बाद में निचली अदालत द्वारा सीआरपीसी की धारा-457 के तहत यह पैसा रिहा कर दिया जाता है। हालांकि जब शिकायतकर्ता प्रासंगिक बैंक विवरण के साथ उक्त धनराशि जारी करने के लिए निचली अदालत में जाता है। जिसमें पैसा फ्रीज होल्ड पर रखा गया है तो निचली अदालतें इन मामलों में एफआईआर दर्ज करने पर जोर देती हैं। जिससे साइबर अपराध पीड़ितों को पैसा रिलीज करने में बहुत ज्यादा देरी हो जाती है इसलिए अनुरोध है कि उन मामलों/शिकायतों में एफआईआर दर्ज करने पर जोर न दें, जो पहले ही राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोटिंग पोर्टल (एनसीआरपी) पर दर्ज हो चुके हैं। 

साइबर धोखाधड़ी और ऐसे मामलों के खिलाफ गृह मंत्रालय भारत सरकार द्वारा उक्त पोर्टल पर दर्ज शिकायत की प्रति के आधार पर सुपरदगिनामा और क्षतिपूर्ति बांड प्रस्तुत करने के अधीन पीड़ितों के पक्ष में धनराशि जारी करके निपटाया जाना चाहिए। मामले में की गई कार्रवाई रिपोर्ट संबंधित साइबर पुलिस स्टेशनों द्वारा दायर की जाएगी और संबंधित बैंक से कोई आपत्ति नहीं होगी। 

हरियाणा साइबर पुलिस द्वारा की गई इस पहल से न केवल हरियाणा के साइबर पीड़ितों को राहत मिलेगी बल्कि इससे पंजाब और चंडीगढ़ के साइबर पीड़ितों को भी फायदा मिलेगा। हरियाणा पुलिस के यह अथक प्रयास साइबर अपराधियों की कमर तोड़ने का भी काम करेंगे और इस कदम से हरियाणा के साइबर पीड़ितों का प्रदेश पुलिस के प्रति अधिक विश्वास बनेगा।

हरियाणा पुलिस ने 124 करोड़ रुपए की साइबर क्राइम की रोकथाम के लिए साइबर हैल्पलाइन 1930 पर लोगों की शिकायतों को सुनते हुए करीब 124 करोड़ रुपए साइबर ठगों की ओर से ठगने से बचाया है। इसके अलावा हरियाणा पुलिस ने इस पैसे को वापस प्रभावितों तक पहुंचाने की कोशिश की है। इसकी गंभीरता और शिकायतकर्ताओं की फरियाद को मद्देनजर रखते हुए पहली ही तारीख पर निचली अदालतों से सुपरदारी के जरिए प्रभावितों को पैसा दिलाया जा सके, इसे लेकर हरियाणा पुलिस ने एक नायाब तरीका निकाला।

दरअसल शिकायतकर्ता को पैसे दिलाने में काफी कानूनगी पेचिदगियां सामने आ रही थी। जिसके समाधान के लिए डीजीपी हरियाणा शत्रुजीत कपूर की ओर से एक निवेदन पत्र पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट को लिखा गया। इस पत्र में  निवेदन किया गया कि जो पैसा हरियाणा साइबर पुलिस की हेल्पलाइन 1930 की ओर से बैंकों से समन्वय स्थापित करके फ्रीज करवाया गया, उसे जल्द से जल्द और पहली ही तारीख में अदालत की ओर से सुपरदारी के आदेश करवाकर पीडितों को दिलाया जाए। जिसके संदर्भ में हाईकोर्ट में रजिस्ट्रार जनरल और हरियाणा साइबर पुलिस के उच्चाधिकारियों के बीच कई दौर की बैठक हुई। 

हरियाणा साइबर पुलिस के अधिकारियों, एडीजीपी ओपी सिंह और एसपी साइबर हरियाणा अमित दहिया की ओर से रखे गए कानूनी प्रावधान, साइबर क्राइम का डाटा, बैंकों की नियमावली और साइबर अपराधियों की ओर से अपनाए गए अपराधिक तरीके इत्यादि का पूरा रिकॉर्ड हाईकोर्ट के समक्ष पेश किया गया। हाईकोर्ट की ओर से कानूनी पहलुओं और साइबर हेल्पलाइन 1930 की कार्यशैली को मद्देनजर रखते हुए आदेश पारित किए गए हैं।

 

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