Edited By Saurabh Pal, Updated: 01 Jul, 2024 07:19 PM

तीन आपराधिक क़ानून- भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य संहिता एक जुलाई यानी आज सोमवार से देश में लागू हो गए हैं। जिसको लेकर भिवानी शहर थाना में शहर पुलिस द्वारा जागरूकता को लेकर सेमिनार लगाया गया...
भिवानी(अशोक भारद्वाज): तीन आपराधिक क़ानून- भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य संहिता एक जुलाई यानी आज सोमवार से देश में लागू हो गए हैं। जिसको लेकर भिवानी शहर थाना में शहर पुलिस द्वारा जागरूकता को लेकर सेमिनार लगाया गया। इस अवसर पर मुख्य वक्ता डीएसपी रमेश कुमार और एसएचओ सत्यनारायण ने कहा कि उच्च अधिकारियों और पुलिस अधीक्षक वरुण सिंघला के मार्गदर्शन में यह जागरूकता को लेकर सेमिनार लगाया गया हैं। जिसमें शहर के लोगों को जानकारी दी गई है कि भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, भारतीय दंड संहिता 1860, दंड प्रक्रिया संहिता,1973 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 की जगह ले चुके हैं।
नए भारतीय न्याय संहिता में नए अपराधों को शामिल गया है। जैसे- शादी का वादा कर धोखा देने के मामले में 10 साल तक की जेल।नस्ल, जाति- समुदाय, लिंग के आधार पर मॉब लिंचिंग के मामले में आजीवन कारावास की सज़ा, छिनैती के लिए तीन साल तक की जेल।युएपीए जैसे आतंकवाद-रोधी क़ानूनों को भी इसमें शामिल किया गया है।
एक जुलाई से देश भर के 650 से ज़्यादा ज़िला न्यायालयों और 16,000 पुलिस थानों को ये नई व्यवस्था अपनाई गई है अब से संज्ञेय अपराधों को सीआरपीसी की धारा 154 के बजाय बीएनएसएस की धारा 173 के तहत दर्ज किया जाएगा। सूचना प्रौद्योगिकी का अधिक उपयोग, जैसे खोज और बरामदगी की रिकॉर्डिंग, सभी पूछताछ और सुनवाई ऑनलाइन मोड में करना रहेगा। वीडियो और ऑडिओ रिकॉडिंग भी अनिवार्य कि गई हैं।जिसके आधार पर पुलिस गहन जाँच कर पाएगी।
सेमिनार में कई प्रकार के मामलों पर फोकस किया गया। कहा कि दहेज़ मामलों में महिलाओं की तरह व्यक्ति भी अपनी गुहार लगा सकेगा। भीड़ में होने वाले अपराध और आतंकवादी वरदातों पर में कानून में सुधार किया गया है। बड़े अपराधों में शामिल अपराधी को हथकड़ी लगाने का प्रावधान रखा गया है,मामलों की सुनवाई में व्यक्ति बिना वकील के खुद भी अपनी वकालत कर सकता है, ऐसा भी क़ानून में बदलाव किया गया है। महिलाओ और बच्चों के वरदातों की मामले में भी क़ानून में सुधार किया गया है।
कार्यक्रम में बताया गया कि अब हत्या के लिए 302 भा.द.स. की जगह 103 भा.न्या.सं., हत्या के प्रयास के लिए धारा 307 भा.द.स.(आईपीसी) की जगह 109 भा.न्या.सं.(बीएनएस), धमकी देना धारा 506 भा.द.स.(आईपीसी) की जगह 351 भा.न्या.सं.(बीएनएस), किसी से ठगी करना धारा 420 भा.द.स.(आईपीसी) का स्थान अब धारा 318 भा.न्या.सं.(बीएनएस) ने ले लिया है। उन्होंने बताया कि नए कानून में ई-एफआईआर या इलैक्ट्रोनिक एफआईआर मेल द्वारा दर्ज करवा सकते हैं। नए कानून में कम्युनिटी सर्विस के लिए भी कई प्रावधान किए गए हैं।
उप पुलिस अधीक्षक भिवानी ने बताया कि अनुसंधान अधिकारी द्वारा अपने कार्य की वीडियो रिकॉर्डिंग की जाएगी। नए कानून के तहत अनुसंधान अधिकारी को गवाही के लिए न्यायालय में नहीं जाना पड़ेगा, वीडियो कान्फ्रेसिंग के माध्यम से ही उनकी गवाही हो जाएगी। इससे पुलिस के कार्य में पारदर्शिता आएगी व कोर्ट की कार्यवाही तेजी आएगी, जिससे जनता को न्याय शीर्घ व सुगम प्राप्त होगा।
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