Edited By Rakhi Yadav, Updated: 31 May, 2018 06:57 PM

जीवन में कुछ कर गुज़रने का लक्ष्य कितना ही बड़ा क्यों ना हो। यदि आप उस लक्ष्य को पाने के लिए हर तरह की चुनौती का डटकर सामना कर रहे हैं, तो कोई भी बाधा आपको आपकी मंज़िल तक पहुंचने से नहीं रोक पाएगी। हिम्मत, हौसले, जिद और जुनून के सपने ....
गुरूग्राम(सतीश राघव): जीवन में कुछ कर गुज़रने का लक्ष्य कितना ही बड़ा क्यों ना हो। यदि आप उस लक्ष्य को पाने के लिए हर तरह की चुनौती का डटकर सामना कर रहे हैं, तो कोई भी बाधा आपको आपकी मंज़िल तक पहुंचने से नहीं रोक पाएगी। हिम्मत, हौसले, जिद और जुनून के सपने की कहानी को 53 वर्षीय संगीता बहल ने हकीकत में बदलकर दिखा दिया है।

जम्मू में जन्मीं संगीता बहल ने 19 मई 2018 को विश्व की सबसे ऊंची चोटी एवरेस्ट को फ़तह कर वहां भारत का तिरंगा फहराने वाली व जन गण मन सुनाने वाली सबसे ज्यादा उम्र की महिला पर्वतारोही बन गई। इससे पहले संगीता बहल ने पिछले साल भी कोशिश की थी लेकिन करीब 7350 मीटर की ऊंचाई पर तबियत खराब होने के चलते वापस लौटना पड़ा था। इस बार 53 की उम्र में संगीता अपने सपने को पूरा कर दिखाया।

एवरेस्टर संगीता ने 19 मई की सुबह 7 बजे 70 किलोमीटर की रफ्तार से चल रही बर्फिली हवाओं के बीच विश्व की सबसे ऊंची चोटी पर चढ़ाई की। आज संगीता का हौंसला सांतवें आसमान पर है। संगीता बहल मिस इंडिया की पूर्व फाइनलिस्ट और एक सफल ऑन्ट्रप्रनर से पर्वतारोही बनी हैं।

आज अपने नाम के साथ एवरेस्ट शब्द जुड़ जाने से वे खुद को गौरवान्वित महसूस कर रही हैं। उन्होंने युवाओ को मैसेज देते हुए कहा कि यदि लक्ष्य हासिल करने की लगन हो तो कुछ भी मुश्क़िल नहीं है। जीवन में कुछ हासिल करने के लिए बस मेहनत की जरूरत है।

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नें भी मन की बात कार्यक्र्म में संगीता बहल के हौंसले को सलाम किया है। संगीता को भारत के पूर्व राष्टपति प्रणब मुखर्जी द्वारा भी पुरस्कार मिल चुका है।