कौन हैं हरियाणा के नए DGP अजय सिंघल? 2 साल का होगा कार्यकाल, जानें कैसे बने भरोसेमंद अधिकारी

Edited By Yakeen Kumar, Updated: 31 Dec, 2025 09:09 PM

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हरियाणा पुलिस में हाई-लेवल फेरबदल के बीच राज्य सरकार ने अजय सिंघल को नया पुलिस महानिदेशक (DGP) नियुक्त कर दिया है। मौजूदा DGP ओपी सिंह के रिटायरमेंट के तुरंत बाद गृह सचिव डॉ. सुमिता मिश्रा द्वारा सिंघल की नियुक्ति अधिसूचना जारी की गई।

चंडीगढ़ : हरियाणा पुलिस में हाई-लेवल फेरबदल के बीच राज्य सरकार ने अजय सिंघल को नया पुलिस महानिदेशक (DGP) नियुक्त कर दिया है। मौजूदा DGP ओपी सिंह के रिटायरमेंट के तुरंत बाद गृह सचिव डॉ. सुमिता मिश्रा द्वारा सिंघल की नियुक्ति अधिसूचना जारी की गई। यह भी स्पष्ट कर दिया गया है कि सिंघल आगामी 1 जनवरी 2026 से आधिकारिक रूप से पदभार ग्रहण करेंगे।

इस नियुक्ति के साथ ही, सरकार ने जेल महानिदेशक और होमगार्ड-सिविल डिफेंस विभाग में भी जल्द नए अधिकारियों की तैनाती के संकेत दिए हैं।

यूपीएससी पैनल में हुआ चयन

सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार, DGP नियुक्ति के लिए हरियाणा सरकार ने वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों के नाम यूपीएससी को भेजे थे। नई दिल्ली में आयोजित चयन समिति की बैठक में इस पैनल पर विचार हुआ। हरियाणा के मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी और गृह सचिव मिश्रा इस प्रक्रिया का हिस्सा रहे। चयन समिति द्वारा दिए गए अंतिम पैनल में से राज्य सरकार ने अजय सिंघल के नाम पर मुहर लगाई।

कई अहम पदों पर दे चुके सेवाएं

अजय सिंघल हरियाणा पुलिस के उन अधिकारियों में शामिल हैं जिन्होंने जिला स्तर से लेकर मुख्यालय तक महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभाई हैं। विधानसभा के हालिया शीतकालीन सत्र के दौरान ही संकेत मिल चुके थे कि सरकार उनकी नियुक्ति पर अंतिम निर्णय लेने वाली है। सत्र के दौरान वे कई बार विधायी सदन में अधिकारियों की गैलरी में देखे गए थे।

2 वर्ष का निर्धारित कार्यकाल

सुप्रीम कोर्ट के प्रकाश सिंह बनाम भारत सरकार केस के बाद DGP की नियुक्ति और कार्यकाल संबंधी नियम तय किए गए थे। इन्हीं निर्देशों के अनुसार नए DGP का कार्यकाल दो वर्ष तय है। इससे पहले कई राज्यों में DGP चयन को लेकर विवाद देखने को मिले थे, इसलिए यह प्रक्रिया सख्त दिशानिर्देशों के तहत पूरी की जाती है।

सुसाइड केस के बाद बदले समीकरण

पूर्व DGP शत्रुजीत कपूर 1990 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। 2 वर्ष का कार्यकाल पूरा होने के बावजूद वे पद पर बने हुए थे। लेकिन आईपीएस वाई पूरन कुमार सुसाइड केस के बाद स्थिति पूरी तरह बदल गई।

पूरन कुमार ने अपने सुसाइड नोट में कई वरिष्ठ अधिकारियों के नाम दर्ज किए थे, जिसमें कपूर का नाम भी सामने आया। इस घटनाक्रम के बाद कपूर ने लंबी छुट्टी ले ली और 14 दिसंबर को लौटते ही उन्हें DGP पद से मुक्त कर दिया गया। इसके बाद ओपी सिंह को कार्यवाहक DGP बनाया गया था।

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