Edited By Nitish Jamwal, Updated: 10 Jun, 2024 05:57 PM
धरती पर भगवान का रूप होते है बच्चे। ऐसी ही एक बच्ची इबादत कौर है जिसे दुनिया में आए महज 6 महीने ही हुए है। इस बच्ची को अपना पूरा जीवन जीने के लिए दुआओं के साथ साथ बहुत बड़ी आर्थिक मदद की आवश्यकता है।
चंडीगढ़ (चंद्र शेखर धरणी): धरती पर भगवान का रूप होते है बच्चे। ऐसी ही एक बच्ची इबादत कौर है जिसे दुनिया में आए महज 6 महीने ही हुए है। इस बच्ची को अपना पूरा जीवन जीने के लिए दुआओं के साथ साथ बहुत बड़ी आर्थिक मदद की आवश्यकता है। इबादत एसएमए टाइप - वन ( स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी ) नमक बीमारी से ग्रषित है। हालाँकि इसका इलाज संभव है मात्र एक इंजेक्शन से इबादत को इस बीमारी से छुटकारा मिल सकता है लेकिन इस एक इंजेक्शन की कीमत इतनी है की इबादत के माता पिता के लिए इसे खरीद पाना नामुमकिन है। इसके इंजेक्शन की कीमत 14. 50 करोड़ रूपए है जो दो वर्ष की आयु से पहले लगाना जरुरी है। इबादत के पिता किसान है इसलिए वह इस इंजेक्शन को खरीद नहीं सकते। उन्होंने देश - प्रदेश के साथ साथ विदेशों में बैठे भारतियों से अपील की है की वो इसके लिए संभव आर्थिक सहायता के लिए आगे आए, ताकि बच्ची की जान बचाई जा सके। इसके साथ ही उन्होंने पंजाब के मंत्रियों और कलाकारों से भी अपील की है की वह इबादत को बचाने में उनका सहयोग करें। इसके लिए उन्होंने क्यूआर कॉड और बैंक डिटेल जारी की है।
इबादत के पिता सुखपाल सिंह ने बताया की बच्ची के पैदा होने के तीन महीने बाद बच्ची की मूवमंट काम होने लगी जब उसे हॉस्पिटल में लेकर गए तो डॉ ने यह टैस्ट करवाने को कहा। टैस्ट करवाने के बाद पता लगा की इबादत को एसएमए टाइप - 1 है। इसके बाद इबादत को इलाज के लिए दिल्ली AIIMS में लेकर गए जहाँ पता चला की इसका इलाज संभव है लेकिन इसके इंजेक्शन की कीमत 14.50 करोड़ रूपए है। उन्होंने अपील करते हुए कहा की वह इतनी रकम नहीं इकठ्ठा कर सकते इसलिए अपील करते है की इसके लिए देश और विदेश में रहने वाले भारतियों से सहायता मिले।
सुखपाल सिंह अपनी मासूम बेटी इबादत कौर के लिए इम्पैक्ट गुरु के साथ तत्काल धन संचय कर रहे हैं, जो स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (एसएमए) टाइप 1 से पीड़ित है। यह एक गंभीर जन्मजात बीमारी है जो बचपन में प्रकट होती है, एसएमए टाइप 1 वाले बच्चों में सीमित गति होती है, वे बिना सहारे के नहीं बैठ सकते हैं और सांस लेने, खाने और निगलने में महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करते हैं। लक्षण आमतौर पर जन्म के समय या जीवन के पहले छह महीनों में दिखाई देते हैं, और दुख की बात है। इस स्थिति वाले कई बच्चे 2 वर्ष की आयु से अधिक जीवित नहीं रह पाते हैं। इबादत का फिलहाल पंजाब के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में इलाज चल रहा है। उनके इलाज का खर्च 14.5 करोड़ रुपये है, जो उनके परिवार की क्षमता से कई गुना ज्यादा है। इबादत के परिवार ने अपने सभी संसाधनों को अपनी मासूम बेटी के इलाज पर ख़त्म कर दिया है और अब अपनी बेटी को बचाने के लिए दूसरों की करुणा और सहयोग चाहता है, जिसके लिए ibadat2@yesbankltd पर दान प्राप्त किया जा रहा है, “कोई भी योगदान छोटा नहीं है, और हर दान इबादत में एक महत्वपूर्ण प्रभाव डालेगा इस विनाशकारी बीमारी से लड़ें। समुदाय का समर्थन उसे स्वस्थ और लंबा जीवन जीने का मौका दे सकता है, जो हर बच्चे का अधिकार है, ”सुखपाल सिंह ने कहा। "इस महत्वपूर्ण समय में हमें मिलने वाली किसी भी मदद की बहुत सराहना की जाती है।"