धोनी द्वारा प्रचारित ज़ेड ब्लैक अब हार्वर्ड बिज़नेस स्कूल में बनेगा अध्ययन का विषय

Edited By Gaurav Tiwari, Updated: 12 Jul, 2025 08:43 PM

z black promoted by dhoni will study at harvard business school

भारतीय उद्यमिता के लिए यह गर्व का क्षण है। क्रिकेट दिग्गज एम. एस. धोनी द्वारा समर्थित अगरबत्ती ब्रांड ‘जेड ब्लैक’ अब हार्वर्ड बिज़नेस स्कूल में केस स्टडी बना है।

गुड़गांव, ब्यूरो : भारतीय उद्यमिता के लिए यह गर्व का क्षण है। क्रिकेट दिग्गज एम. एस. धोनी द्वारा समर्थित अगरबत्ती ब्रांड ‘जेड ब्लैक’ अब हार्वर्ड बिज़नेस स्कूल में केस स्टडी बना है। इसकी मूल कंपनी मैसूर दीप परफ्यूमरी हाउस (एमडीपीएच) को एक पारंपरिक पारिवारिक व्यवसाय को 1,000 करोड़ के सुगंधित साम्राज्य में बदलने के लिए सराहा गया है। इंदौर के एक छोटे से गैराज से शुरू हुई एमडीपीएच की यह यात्रा—जिसमें उद्देश्यपूर्ण विकास, नवाचार और वैश्विक विस्तार शामिल है अब दुनिया भर के कक्षाओं और उद्यमियों को प्रेरित करने जा रही है।

 

गुड़गांव में प्रेस वर्ता के दौरान अंकित अग्रवाल, निदेशक, एमडीपीएच और ज़ेड ब्लैक ने कहा, "हार्वर्ड द्वारा हमारे सफर को केस स्टडी के रूप में चुना जाना हमारे लिए सिर्फ उपलब्धि नहीं, बल्कि एक बड़ी मान्यता है। ये दिखाता है कि भारतीय सोच, जो परंपराओं में रची-बसी है और भविष्य को लेकर स्पष्ट दृष्टि रखती है, किस तरह वैश्विक स्तर पर प्रभाव छोड़ सकती है। हार्वर्ड जैसे प्रतिष्ठित मंच पर मिली यह मान्यता इंदौर शहर और भारतीय अगरबत्ती उद्योग दोनों के लिए पहली बार मानी जा रही है। इस केस स्टडी को न्यूयॉर्क के फैशन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एफआयटी) जैसे संस्थानों के पाठ्यक्रम में पहले ही शामिल किया जा चुका है। जब दुनिया भर के बिज़नेस स्कूल ऐसे पारिवारिक नेतृत्व वाले, मूल्यों पर आधारित विकास के वास्तविक उदाहरण खोज रहे हैं ऐसे शैक्षणिक संस्थानों का एमडीपीएच की कहानी पर ध्यान आकर्षित हो रहा है|

 

एमडीपीएच के संचालन व मानव संसाधन निदेशक अंशुल अग्रवाल ने कहा एमडीपीएच का केस एक मजबूत उदाहरण है कि भारत में एक पारंपरिक, पारिवारिक व्यवसाय कैसे रणनीतिक रूप से आगे बढ़ सकता है, जबकि अपने मूल मूल्यों से जुड़ा भी रह सकता है। यह केस छात्रों को बाज़ार की संरचनाओं का विश्लेषण करने, प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त की पहचान करने और विकास की रणनीतियाँ समझने के लिए कई अवसर प्रदान करता है। इससे भी अहम बात यह है कि यह केस व्यवसायिक निर्णयों और पारिवारिक संबंधों के बीच के उस पहलू को उजागर करता है, जिसे अक्सर नज़रअंदाज़ किया जाता है,” यह कहना है एसपीजेआयएमआर के ‘सेंटर फॉर फैमिली बिझनेस एंड आंत्रप्रेन्योरशिप’ की कार्यकारी निदेशक प्रो. तुलसी जयकुमार का। स्थानीय घरों से लेकर वैश्विक क्लासरूम तक एमडीपीएच को हार्वर्ड में मिली मान्यता इस बात की मजबूत मिसाल है कि जब परंपरा को नवाचार का साथ मिलता है, और कार्य को एक उद्देश्य से किया जाता है, तो परिणाम केवल विस्तार नहीं, बल्कि एक गहरा प्रभाव होता है।

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