Edited By Gaurav Tiwari, Updated: 09 Dec, 2024 08:13 PM
अख्तर ने व्यक्तिगत किस्से, लेखन के प्रति अपने गहरे जुनून और उर्दू भाषा की शान पर अपने विचार साझा किए।
गुड़गांव ब्यूरो ; हाल ही में गुरूग्रामवासियों को कलात्मक अभिव्यक्ति की पेचीदगियों में एक असाधारण यात्रा पर जाने का अवसर मिला। मौका था, एबरलोर द्वारा कहानी कहने की कला से दर्शकों को मंत्रमुग्ध करते कार्यक्रम ‘द क्वेस्ट’ का। क्लब कोरम में आयोजित इस कार्यक्रम में पद्म भूषण जावेद अख्तर ने अपनी गहन कहानी कहने की कला से चुनिंदा दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। अख्तर ने व्यक्तिगत किस्से, लेखन के प्रति अपने गहरे जुनून और उर्दू भाषा की शान पर अपने विचार साझा किए।
अभिनेत्री दिव्या दत्ता के साथ एक दिलचस्प और दिल को छू लेने वाली बातचीत में, जावेद अख्तर ने भारतीय फिल्म उद्योग में अपने उल्लेखनीय 50 साल के सफर को साझा किया। उन्होंने सलीम-जावेद की जोड़ी के प्रतिष्ठित युग को फिर से याद किया और बताया कि कैसे राजेश खन्ना ने पटकथा लेखकों को उचित श्रेय देने की प्रथा को बढ़ावा दिया। अख्तर ने एस.डी. बर्मन से लेकर ए.आर. रहमान और शंकर-एहसान-लॉय ने संगीत की दुनिया में कदम रखा।
शाम का समापन उनकी अमर कविताओं के भावपूर्ण गायन से हुआ, जिसने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। एबरलोर - द क्वेस्ट जीवन की सभी बेहतरीन चीजों के शौकीनों के लिए एक मंच है। जैसे-जैसे साधक समय और स्वाद में गहराई से उतरते हैं, वे ऐसी जटिलताओं का सामना करते हैं जो आसानी से समझ में नहीं आती हैं ऐसे में इन जटिलताओं को खोजने की चाह एक उपहार है, जो आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है।
गहराई में उतरकर समझने की कला ही हमें बेहतरीन चीजों की सराहना करने के लिए प्रेरित करती है। एबरलोर द क्वेस्ट की खूबसूरत शाम का गवाह बनना सच में शानदार रहा है, जिसने पीढ़ियों से चले आ रहे ज्ञान से रूबरू होने का मौका दिया। एक अविस्मरणीय उत्सव के साथ इस खूबसूरत शाम ने सभी को यादगार पल दिया।