दूसरा अपराध साहित्य महोत्सव 29 नवंबर से 1 दिसंबर, 2024 तक देहरादून में

Edited By Gaurav Tiwari, Updated: 08 Nov, 2024 03:45 PM

second crime literature festival in dehradun from november 29

क्राइम लिटरेचर फेस्टिवल ऑफ इंडिया (सीएलएफआई) भारत का ऐसा पहला और एकमात्र आयोजन है जिसे आप अपराध, साहित्य और संस्कृति का कुंभ कह सकते हैं।

गुड़गांव ब्यूरो : क्राइम लिटरेचर फेस्टिवल ऑफ इंडिया (सीएलएफआई) भारत का ऐसा पहला और एकमात्र आयोजन है जिसे आप अपराध, साहित्य और संस्कृति का कुंभ कह सकते हैं। दूसरी बार हो रहे इस महोत्सव का लोगों को बेसब्री से इंतजार था। आगामी 29 नवंबर से 1 दिसंबर, 2024 तक देहरादून में इसकी धूम मचेगी।

 

सीएलएफआई के पहले आयोजन में साहित्य, सिनेमा जगत और कानून व्यवस्था क्षेत्र से कई अहम वक्ताओं का सिलसिला देखा गया। इनमें शामिल थे जाने-माने फिल्म निर्माता सुजॉय घोष (‘कहानी’ से मशहूर, जिसकी नायिका विद्या बालन थीं) और संजय गुप्ता (शूटआउट एट लोखंडवाला के निर्देशक, जिसके नायक संजय दत्त थे), अभिनेता अविनाश तिवारी (खाकी - द बिहार चैप्टर और मडगांव एक्सप्रेस) और राजश्री देशपांडे (सेक्रेड गेम्स और ट्रायल बाय फायर), लेखक एस हुसैन जैदी (ब्लैक फ्राइडे और रॉ हिटमैन) और किरण मनराल (द रिलक्टेंट डिटेक्टिव और किट्टी पार्टी मर्डर), पुलिसकर्मी नवनीत सेकेरा (अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक और एमएक्स प्लेयर के भौकाल के पीछे की प्रेरणा) और राजेश पांडे (पूर्व आईपीएस अधिकारी जिनके नेतृत्व में खूंखार गैंगस्टर श्रीप्रकाश शुक्ला का एनकाउंटर हुआ और जो इस पर आधारित ऑपरेशन बज़ूका के लेखक हैं)। इस अवसर पर तेलगी स्टाम्प पेपर घोटाले जैसे आर्थिक घोटालों से लेकर निठारी कांड जैसे सीरियल मर्डर और वास्तविक मुठभेड़ों से लेकर अपराध उपन्यासों में काल्पनिक जासूस तक तमाम विषयों पर विमर्शों का सिलसिला बन गया। 

 

 

दिल्ली में आयोजित एक हाई-प्रोफाइल प्रेस कॉन्फ्रेंस में दूसरी बार क्राइम लिटरेचर फेस्टिवल ऑफ इंडिया (सीएलएफआई) आयोजित करने की जानकारी दी गई। इस अवसर पर गैंग्स ऑफ वासेपुर के लेखक जीशान कादरी, कोहरा और ट्रायल बाय फायर के निर्देशक रणदीप झा, ईडी के पूर्व निदेशक और बाटला हाउस के लेखक करनाल सिंह और दिल्ली के पूर्व पुलिस आयुक्त और ए कॉप इन क्रिकेट के लेखक नीरज कुमार जैसी हस्तियां मौजूद थीं। इसमें फेस्टिवल की कोर टीम के बतौर प्रतिनिधि फेस्टिवल के चेयरमैन अशोक कुमार, पूर्व डीजीपी उत्तराखंड और साइबर एनकाउंटर के लेखक और फेस्टिवल डायरेक्टर आलोक लाल, पूर्व डीजीपी, विजुअल आर्टिस्ट और द बाराबंकी नार्काेस के लेखक शामिल थे। इस फेस्टिवल की बुनियाद में साहित्य और सिनेमा दोनों माध्यमों से अपराध की पड़ताल करना है। यह सामाजिक मुद्दों, नैतिक चुनौतियों और समाज पर अपराध कथाओं के प्रभाव पर व्यावहारिक विमर्श को बढ़ावा देता है। इस अवसर पर अशोक कुमार ने आंतरिक सुरक्षा और साइबर अपराध जैसे विषयों को जानने के लिए सीएलएफआई की प्रतिबद्धता दिखाई। आलोक लाल ने महिलाओं के खिलाफ अपराध और मादक पदार्थों की तस्करी जैसे विषयों को समेटेते हुए सामाजिक जागरूकता के लेंस से अपराध उजागर करने की आवश्यकता पर जोर दिया। कादरी, झा, सिंह और कुमार सभी ने सामाजिक सच सामने रखने और न्याय पर चर्चा बढ़ाने में अपराध साहित्य की क्षमता को महत्वपूर्ण बताया और इस फेस्टिवल की सराहना करते हुए इसे समय की मांग और प्रभावशाली बताया।

 

 

दूसरी बार आयोजित सीएलएफआई के वक्ताओं में फिल्म निर्देशक प्रकाश झा (गंगाजल और आश्रम फेम) और अनुभव सिन्हा (आर्टिकल 15 और आईसी-814 फेम), पुलिस से लेखक बने के. विजय कुमार (सीआरपीएफ के पूर्व महानिदेशक और वीरप्पन - चेजिंग द ब्रिगैंड के लेखक), मीरान बोरवणकर (एनसीआरबी के पूर्व महानिदेशक और मैडम कमिश्नर के लेखक), ओपी सिंह (उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी और क्राइम, ग्राइम एंड गम्पशन के लेखक), लेखक एस हुसैन जैदी और सुनेत्रा चौधरी (ब्लैक वारंट और बिहाइंड बार्स), अविनाश सिंह तोमर (ओटीटी सीरीज मिर्जापुर के पटकथा लेखक), निधि कुलपति (पत्रकार और न्यूज़ एंकर) और गार्गी रावत (न्यूज़ एंकर और लेखिका) जैसे बड़े नाम हैं।

 

 

सीएलएफआई लघु कथा और लघु फिल्म प्रतियोगिताएं भी आयोजित कर रहा है, जिनमें देश भर के स्कूलों और विश्वविद्यालयों के विद्यार्थी भाग ले सकते हैं। ये प्रतियोगिताएं युवा प्रतिभाओं को अपराध के थीम पर कहानियां प्रत्सुत करने को प्रोत्साहित करती हैं। सर्वश्रेष्ठ प्रविष्टियां महोत्सव में प्रदर्शित की जाती हैं। साथ ही ऐसे प्रतिभागियों को प्रसिद्ध लेखकों और फिल्म निर्माताओं के साथ एक सत्र संचालन का अवसर मिलता है।भारतीय अपराध साहित्य महोत्सव के इस दूसरे संस्करण में उपस्थित सभी सुधी जन सामाजिक चिंतन और सुधार के सशक्त माध्यम के रूप में अपराध साहित्य की इस विचारोत्तेजक यात्रा में साथ चलने को आमंत्रित हैं। यह महोत्सव नजदीक आ रहा है और इसके साथ उभरते लेखकों और फिल्म निर्माताओं का उत्साह बढ़ रहा है। सभी आधुनिक दुनिया में अपराध की जटिलताओं और जनमानस पर इसके दुष्प्रभावों के बारे में विचारोत्तेजक संवाद की संभावना से उत्साहित हैं।

 

दून सांस्कृतिक और साहित्यिक सोसायटी का परिचय

दून सांस्कृतिक और साहित्यिक सोसायटी उत्तराखंड में सांस्कृतिक और बौद्धिक प्रयास बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। इसकी कमान प्रेजिडेंट अशोक कुमार, पूर्व डीजीपी और फेस्टिवल चेयरमैन और मुख्य संरक्षक आलोक लाल, पूर्व डीजीपी और फेस्टिवल डायरेक्टर के हाथों में है। यह सोसाइटी भारतीय अपराध साहित्य महोत्सव आयोजित कर अपराध साहित्य, मीडिया जगत और कानून व्यवस्था की दुनिया को परस्पर जोड़ने का प्रयास करती है। एक मंच पर विचारकों, रचनाकारों और विशेषज्ञों को एकजुट कर सोसाइटी चाहती है कि अपराध की रोकथाम को लेकर स्थानीय और राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर खुल कर संवाद हो।

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