हरियाणा भारत के प्रमुख ऑटोमोबाइल हब्स में से एक है। राज्य ने 2022 में इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) नीति लागू की, जो परिवहन से होने वाले प्रदूषण को कम करने की दिशा में एक अहम कदम
(लवनीश गोयल, शोधार्थी, आईसीसीटी)
गुड़गांव ब्यूरो : हरियाणा भारत के प्रमुख ऑटोमोबाइल हब्स में से एक है। राज्य ने 2022 में इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) नीति लागू की, जो परिवहन से होने वाले प्रदूषण को कम करने की दिशा में एक अहम कदम था। अब, इस पांच वर्षीय नीति के 2 साल पूरे हो चुके हैं। केंद्र सरकार की कई योजनाएँ, जैसे- बैटरी निर्माण के लिए प्रोत्साहन (पीएलआई) और प्रधानमंत्री ई-ड्राइव प्रोग्राम (इलेक्ट्रिक ड्राइव रेवोल्यूशन इन इनोवेटिव व्हीकल एन्हांसमेंट ), ईवी को बढ़ावा देने में मदद कर रही हैं। यह समय हरियाणा की नई सरकार के लिए खास है, क्योंकि वह ईवी अपनाने और खासतौर पर इलेक्ट्रिक कारों के क्षेत्र में बड़ी प्रगति कर सकती है।
यहाँ चार ऐसे क्षेत्र बताए गए हैं जहाँ अतिरिक्त ध्यान देने से सफलता की संभावनाओं को अधिकतम किया जा सकता है:
1. चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर नेटवर्क का विस्तार
लवनीश गोयल, शोधार्थी, आईसीसीटी ने कहा हरियाणा की ईवी नीति के तहत शहरी इलाकों में चार्जिंग पॉइंट लगाने की कोशिश की जा रही है, लेकिन इस पर काम अभी धीमी गति से हो रहा है। खासकर इलेक्ट्रिक कार चालकों के लिए यह जरूरी है कि शहरों और प्रमुख हाइवे पर पर्याप्त संख्या में सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन उपलब्ध हों, जिससे वे आसानी और भरोसे के साथ अपनी गाड़ियों का इस्तेमाल कर सकें।
इस संदर्भ में नॉर्वे का उदाहरण काफी उपयोगी है। नॉर्वे में हर 50 किलोमीटर पर चार्जिंग स्टेशन हैं, जो मुख्य सड़कों पर इलेक्ट्रिक गाड़ियां चलाने को आसान बनाते हैं। वहां प्रति 1,000 इलेक्ट्रिक गाड़ियों पर 30 सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन मौजूद हैं, जो चार्जिंग सुविधा के मामले में दुनिया में सबसे बेहतर अनुपात है। हरियाणा भी इस मॉडल को अपनाकर अपने चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत कर सकता है।
सभी तरह की इलेक्ट्रिक गाड़ियों के लिए उपयुक्त चार्जिंग स्टेशनों और तेज चार्जिंग की सुविधा पर ध्यान देने से गाड़ियों को चार्ज करने में लगने वाला समय कम किया जा सकता है। खासतौर पर भीड़भाड़ वाले इलाकों, पार्किंग स्थलों और व्यावसायिक केंद्रों में यह सुविधा काफी उपयोगी साबित होगी।
चार्जिंग स्टेशनों के मानकीकरण से न सिर्फ उपयोगकर्ताओं को बेहतर अनुभव मिलेगा, बल्कि इससे निवेश की लागत भी घटेगी। यह कदम ईवी अपनाने को सरल और सुविधाजनक बना सकता है।
इसके अलावा हरियाणा सरकार, केंद्र सरकार की पीएम ई-ड्राइव योजना के तहत मिलने वाली चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर फंडिंग का उपयोग करके घरों और कार्यस्थलों पर चार्जिंग पॉइंट लगाने में मदद कर सकती है। यह पहल राज्य की अपनी वित्तीय प्रोत्साहन योजनाओं के साथ मिलकर चार्जिंग सुविधाओं को बेहतर बनाने में सहायक हो सकती है। नॉर्वे का उदाहरण यहां प्रेरणादायक है, जहां विभिन्न नीतियों को मिलाकर इलेक्ट्रिक वाहनों को इतना सस्ता और सुविधाजनक बना दिया गया कि लोग स्वाभाविक रूप से इन्हें चुनने लगे। इस अनुभव को 2024 में आईसीसीटी (ICCT) द्वारा आयोजित इंडिया क्लीन ट्रांसपोर्टेशन समिट में भी साझा किया गया, जिसमें बताया गया कि सही नीतियां अपनाने से ईवी का उपयोग बढ़ाया जा सकता है ।
2. ईवी के लिए राज्यस्तरीय विनिर्माण और अनुसंधान एवं विकास (आरएंडडी) पहल
हरियाणा के पास ईवी विनिर्माण और अनुसंधान एवं विकास (आरएंडडी) के लिए कई फायदे हैं। राज्य की भौगोलिक स्थिति इसे प्रमुख बाजारों के करीब रखती है, जबकि इसकी मजबूत सड़क व्यवस्था देश के अन्य हिस्सों से बेहतर कनेक्टिविटी प्रदान करती है। साथ ही, हरियाणा में समर्पित ईवी पार्क और कुशल कार्यबल मौजूद हैं, जो इसे इलेक्ट्रिक वाहनों के उत्पादन का एक प्रमुख केंद्र बनाने में सहायक हो सकते हैं।
हरियाणा सरकार ईवी उद्योग को बढ़ावा देने के लिए स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय निर्माताओं, बैटरी उत्पादकों और कंपोनेंट आपूर्तिकर्ताओं को आकर्षित करने हेतु वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान कर सकती है। इसके तहत, ईवी उत्पादन के लिए समर्पित विशेष आर्थिक क्षेत्र (स्पेशल इकोनॉमिक जोन) की स्थापना एक प्रभावी कदम हो सकता है। इन क्षेत्रों में कर छूट, आसान सीमा शुल्क प्रक्रियाएं, और बेहतर बुनियादी ढांचे जैसी सुविधाएं दी जा सकती हैं। ये ज़ोन न केवल उत्पादकता और दक्षता बढ़ाने में मदद करेंगे, बल्कि परिचालन लागत कम करने, रोजगार के नए अवसर पैदा करने और राज्य के आर्थिक विकास को गति देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
हरियाणा में स्पेशल इकोनॉमिक जोन को अनुसंधान और विकास (आरएंडडी) केंद्रों से जोड़ा जा सकता है, जो खासतौर पर ईवी बैटरी प्रौद्योगिकी और किफायती ईवी घटकों के विकास पर ध्यान केंद्रित करेंगे। ये आरएंडडी केंद्र स्थानीय विश्वविद्यालयों और तकनीकी संस्थानों के साथ मिलकर, सार्वजनिक-निजी भागीदारी के तहत संचालित किए जा सकते हैं। इससे न केवल तकनीकी नवाचार को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि हरियाणा को इलेक्ट्रिक वाहन क्षेत्र में एक अग्रणी राज्य बनने में भी मदद मिलेगी।
3. वित्तीय प्रोत्साहन संरचनाएं
हरियाणा की ईवी नीति में इलेक्ट्रिक दोपहिया, तिपहिया और चारपहिया वाहनों की खरीद के लिए प्रोत्साहन, पंजीकरण शुल्क और रोड टैक्स में छूट तो दी गई है, लेकिन इसके अलावा और भी कई उपाय किए जा सकते हैं ताकि इन लाभों को और अधिक प्रभावी बनाया जा सके। अमेरिका, ब्रिटेन और चीन जैसे देशों के सफल मॉडल से प्रेरणा लेते हुए, हरियाणा सरकार वित्तीय संस्थानों के साथ मिलकर ईवी खरीदारों को कम ब्याज दरों पर ऋण देने और ऋण चुकाने के लिए लंबा समय देने का विकल्प दे सकती है।
इसके अतिरिक्त, राज्य सरकार राज्य परिवहन कोष (State Transport Fund) से एक वित्तीय जोखिम प्रबंधन कोष बना सकती है, जो ईवी को बढ़ावा देने के लिए मददगार होगा। यह कोष बैंकों को उन मध्यमवर्गीय खरीदारों और बेड़े संचालकों को ऋण देने में मदद कर सकता है, जो इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने की योजना बना रहे हैं। इस योजना का फायदा तब सबसे अधिक होगा, जब ब्याज दरें ऊंची हों।
इस कोष का एक हिस्सा ईवी खरीदने के लिए सब्सिडी, चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास, और सार्वजनिक परिवहन के विद्युतीकरण जैसे कार्यों के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके अलावा, यह कोष मुफ्त पार्किंग, टोल शुल्क में छूट और अन्य सुविधाओं के लिए भी उपयोग में लाया जा सकता है। इन उपायों से न केवल ईवी को अपनाने में तेजी आएगी, बल्कि हरियाणा में ईवी बाजार को स्थिरता और बढ़ावा भी मिलेगा।
4. नए नियामक ढांचे और भवन कोड
हरियाणा प्रदूषण-ग्रस्त शहरों जैसे गुरुग्राम और फरीदाबाद में लो-एमिशन जोन (LEZs) लागू करने पर विचार कर सकता है, जैसा कि यूरोप में किया जाता है। लो-एमिशन जोन ऐसे क्षेत्रों होते हैं जहां प्रदूषणकारी वाहनों को प्रवेश की अनुमति नहीं होती। इन जोन का उद्देश्य प्रदूषण को कम करना है, ताकि हवा की गुणवत्ता में सुधार हो सके।
इसकी महत्ता हाल ही में हरियाणा परिवहन विभाग और अंतर्राष्ट्रीय स्वच्छ परिवहन परिषद (ICCT) द्वारा आयोजित बैठक में भी स्पष्ट की गई थी। इसके अलावा, हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने अपने विंटर एक्शन प्लान 2024-25 में लो-एमिशन जोन को शामिल किया है, लेकिन अभी तक इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
इसके अलावा, हरियाणा में भवन कोड को अपडेट कर नए आवासीय और व्यावसायिक भवनों को ईवी-रेडी बनाने की अनिवार्यता लागू की जा सकती है। इसका मतलब यह होगा कि इन भवनों में पार्किंग स्थलों पर चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की व्यवस्था करना जरूरी होगा, ताकि लोग आसानी से अपने इलेक्ट्रिक वाहनों को चार्ज कर सकें। साथ ही, सरकारी विभागों के लिए यह नियम लागू किया जा सकता है कि वे एक निश्चित समय सीमा के भीतर बैटरी चालित इलेक्ट्रिक वाहनों (BEVs) का इस्तेमाल शुरू करें। यह कदम ईवी बाजार को बढ़ावा देगा, प्रदूषण को कम करने में मदद करेगा और हरियाणा को एक हरित (ग्रीन) राज्य के रूप में स्थापित करने की दिशा में महत्वपूर्ण होगा।
इन प्राथमिकताओं के साथ कई पूरक उपाय भी किए जा सकते हैं, जैसे- टेलीविजन, सोशल मीडिया और सामुदायिक कार्यक्रमों के माध्यम से जन-जागरूकता अभियान चलाना, तकनीकी संस्थानों में ईवी प्रौद्योगिकी पर शैक्षणिक कार्यक्रम आयोजित करना और बैटरी रीसाइक्लिंग के लिए उपयुक्त नियमों के साथ एक मजबूत ढाँचा तैयार करना।
लवनीश गोयल, शोधार्थी, आईसीसीटी ने कहा हरियाणा की ईवी नीति से पर्यावरण और अर्थव्यवस्था दोनों को फायदा होने की उम्मीद है। इससे वाहनों से होने वाले प्रदूषण में बड़ी कमी आएगी, शहरी इलाकों में हवा की गुणवत्ता में सुधार होगा, नए रोजगार के अवसर पैदा होंगे, और हरियाणा को उत्तर भारत में ईवी निर्माण का प्रमुख हब बनाने में मदद मिलेगी। इस नीति से राष्ट्रीय विद्युत गतिशीलता मिशन (एनईएमएमपी) के 2030 तक 30% ईवी अपनाने के लक्ष्य को भी मजबूती मिलती है, और यह पेरिस समझौते के तहत भारत की उत्सर्जन में 45% तक कमी करने की प्रतिबद्धता को और ताकतवर बनाती है। हालांकि यह लक्ष्य बड़ा और चुनौतीपूर्ण है, लेकिन इसके दीर्घकालिक फायदे, जैसे कि सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार, रोजगार और आर्थिक विकास, इसे हरियाणा के सतत विकास के लिए न सिर्फ जरूरी बल्कि अनिवार्य बनाते हैं।