Edited By Shivam, Updated: 03 Aug, 2019 05:17 PM
समाज में आमतौर पर यही सुनने को मिलता है कि सास और बहू के रिश्ते में मिठास कम ही होती है। मां बेटी का ही आपस में ज्यादा प्यार होता है। हालांकि सास बहू के नोंक-झोंक भरे रिश्ते में उतार-चढ़ाव आते ही रहते हैं, लेकिन यह भी जरुरी नहीं कि हर बार एक दूसरे...
मानेसर (राजेश): समाज में आमतौर पर यही सुनने को मिलता है कि सास और बहू के रिश्ते में मिठास कम ही होती है। मां बेटी का ही आपस में ज्यादा प्यार होता है। हालांकि सास बहू के नोंक-झोंक भरे रिश्ते में उतार-चढ़ाव आते ही रहते हैं, लेकिन यह भी जरुरी नहीं कि हर बार एक दूसरे से अलग ही चलें। कुछ लोग अपनी जिम्मेदारियों को निभाना अच्छी तरह जानते हैं, इन्हीं तरह के लोगों की मिसाल गुरुग्राम की एक सास ने दी है, जो तस्वीर में पीले घेरे में दिख रही हैं। जिसने अपनी किडनी अपनी बहू को देकर उसकी जान बचाई है।
गुरुग्राम के मानेसर में पडऩे वाले गांव अलियर में रहने वाली पंडित रामनिवास की धर्मपत्नी धनवन्ती देवी (55) ने अपनी बहू सपना (30) की जान बचाने के लिए अपनी किडनी दे दी। सपना मानती है कि दिल्ली के मैक्स अस्पताल में किडनी प्रत्यारोपण के बाद उन्हें नया जीवन मिला है। धनवन्ती ने बताया कि लगभग चार माह पहले बहू को बुखार हुआ था। वजन कम होने लगा और भूख भी नहीं लगती थी। जांच के बाद किडनी खराब होने का पता चला।
परिवार वाले चिन्ता में डूब गए कि अब किडनी कौन डोनेट करेगा। हांलाकि धनवन्ती का कहना है कि सपना के घरवाले भी किडनी दान करने को तैयार थे, लेकिन सपना की शादी के बाद उनके परिवार से ज्यादा उसके सुख-दु:ख की भागेदारी हमारी है। अब वो मेरी बेटी है। मेरा मानना है कि किसी एक अंग के प्रत्यारोपण से किसी की जान बचती है तो बचानी चाहिए। उन्होंने कहा कि मैं चार महीने बाद टकाटक हो जाउंगी।
दहेज के नाम पर बहुओं को जलाकर, प्रताडि़त कर मार देने वाले लोगों, दहेज के लिए ही बहू को जलील कर उसे घर से निकाल देने वाले लोगों को धनवंती से सीख लेनी चाहिए।