CID पर घमासान: पूर्व सरकारों में भी हो चुका है ऐसा, 4 मुख्यमंत्रियों ने अपने पास रखा था विभाग

Edited By Shivam, Updated: 08 Jan, 2020 09:53 PM

arrogance on cid it has happened in previous governments too

विधानसभा की वेबसाइट पर मंत्रियों के पोर्टफोलियो में सीआईडी विभाग सीएम खट्टर के पास दर्शाए जाने के बाद नया विवाद खड़ा हो गया है। जिसके बाद सवाल यह है कि यह विभाग वास्तव में किसके पास है?

चंडीगढ़ (धरणी): विधानसभा की वेबसाइट पर मंत्रियों के पोर्टफोलियो में सीआईडी विभाग सीएम खट्टर के पास दर्शाए जाने के बाद नया विवाद खड़ा हो गया है। जिसके बाद सवाल यह है कि यह विभाग वास्तव में किसके पास है? हालांकि गृह मंत्री अनिल विज ने यह कहा है कि सीआईडी गृह मंत्रालय का अभिन्न अंग है। लेकिन सीएम सुप्रीम हैं, वे चाहे तो बदल सकते हैं, हालांकि बदलने के लिए कैबिनेट में पास करना पड़ेगा। इसके बाद विधानसभा में पास करवाना पड़ेगा। इसके बाद ही बदला जा सकता है।

ऐसा ही रहा है हरियाणा मंत्रिमंडल का इतिहास
हरियाणा गठन 1 नवम्बर 1966 को हुआ था। अभी तक 53 वर्षों के इतिहास में हरियाणा को 1978, 1987, 1996 व अब 2019 में मात्र 4 गृह मंत्री कैबिनेट स्तर के मिले। 1978 में डॉक्टर मंगलसेन, 1987 में प्रो संपत सिंह, 1996 में मनी राम गोदारा व अब 2019 में अनिल विज। हरियाणा में राज्य मंत्री गृह विभाग तो कई बार कई नेता बने। गोपाल कांडा, सुभाष बत्रा इस सूची में शामिल हैं।



जब 1978 में डॉक्टर मंगलसेन गृह मंत्री बने तो सरकार ने अधिसूचना जारी करते हुए आदेश किए की गृह विभाग बिना सीआईडी के मंगलसेन को दिया। 1996 में मनी राम गोदारा को गृह विभाग मिला तभी जारी सूचना व अधिसूचना में तत्कालीन मुख्यमंत्री बंसीलाल को सीआईडी व क्रिमिनल इन्वेस्टिगेशन दिया गया था।

वर्तमान में हरियाणा सरकार का गठन होने के बाद गृह विभाग अनिल विज को मिला। मगर सीआईडी विभाग की कोई अलग से अधिसूचना जारी नहीं हुई, जो नियमानुसार गृह विभाग व गृह विभाग के एसीएस के अंतर्गत आना माना गया। गृह मंत्री अनिल विज ने इस विभाग की सुदृढ़ करने के लिए कदम भी उठाने शुरू किए। विज को कहना है कि सी आई डी विभाग उन्हें अभी भी रिपोर्ट कर रहा है, ऐसा कुछ नहीं है।

सीआईडी विभाग कार्य मुख्यमंत्री के विभागों की सूची में दर्शाया गया फिर हुआ बाजार गर्म
वर्तमान में पिछले दो दिनों से सीआईडी विभाग का कार्य सरकार की एक वेबसाईट पर मुख्यमंत्री के विभागों की सूची में दर्शाए जाने से अटकलों व भ्रांतियों के बाजार गर्म हैं, जबकि सरकार ने इस संदर्भ में कोई भी नई अधिसूचना जारी नहीं की है। एक अहम सवाल यह भी है कि बिजेनस ऑफ रूल्स के अनुसार डिपार्टमेंट के सभी विभागों में सीआईडी पांचवें नम्बर पर है, तथा इसमें यह भी अंकित है कि महत्वपूर्ण सभी केसों की फाइल चीफ सेक्टरी के माध्यम से ही आगे भेजी जाएगी।




मन्त्रियों के स्टैंडिंग ऑर्डर्स में सीआईडी होम विभाग व मंत्री के अधीन दर्शाया गया है। अतीत में जब भी कोई सीएम अपने गृह मंत्री को न देकर अपने अधीन रखता रहा तब अलग से अधिसूचना जारी की गई। परंतु 19 नवम्बर 2019 को हरियाणा के मंत्रियों के आवंटित विभागों में मुख्यमंत्री के विभागों की सूची में सीआईडी विभाग शामिल नहीं दर्शाया गया था। सीआईडी विभाग की जवाबदेही, रिपोर्टिंग जहां सीधे रूप से एसीएस होम गृह मंत्री व सीएम के समक्ष रहने की सामान्य प्रक्रिया है, इसके तहत वर्तमान में सरकार का सुचारू काम चल भी रहा है।



गृह विभाग के मंत्री अनिल विज ने विभाग को चुस्त दुरुस्त करने व सीआईडी के मॉडर्नाइजेशन के लिए व्यापक सुधारों को लेकर पिछले दिनों बयान भी दिए तथा सीआईडी की कार्यप्रणाली सुधारने के लिए जाट आरक्षण आंदोलन के बाद बनी प्रकाश सिंह कमेटी की रिपोर्ट के इस संदर्भ में दिए बिंदुओं को रिव्यू करने व सीआईडी के कायाकल्प के लिए 3 सीनियर अधिकारियों की कमेटी भी गठित की थी।

चर्चा- सीआईडी क्या अलग विभाग है?
हरियाणा के अंदर चर्चा यह भी शुरू हो गई है कि क्या सीआईडी को अलग विभाग माना जा रहा है। विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर सी आई डी को अलग विभाग माना जा रहा है तो उसकी अधिसूचना जारी होनी चाहिए। साथ ही विधानसभा पटल पर भी लाकर इसकी स्वीकृति अनिवार्य है। वेबसाइट पर क्रिमिनल इन्वेस्टिगेशन को मुख्यमंत्री के विभागों में दिखाए जाने के बाद ऐसी चर्चाओं ने जोर पकड़ा है।

गृह मंत्री अनिल विज का कहना है कि सीआईडी को गृह विभाग से अलग करके नहीं देखा जा सकता। रूल ऑफ बिजनिस 1974 के पेज 30 रूल 5 के तहत यह जिक्र है।

 

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