इनेलो का संविधान वेबसाइट पर सार्वजनिक नहीं : दिग्विजय

Edited By Rakhi Yadav, Updated: 16 Nov, 2018 02:41 PM

inld s constitution is not public on the website

दिग्विजय चौटाला ने कहा कि आज से पहले सभी विधायकों को यह कहकर बुलाया जाता था कि पार्टी की बैठक है व खाली पन्नों पर उनके हस्ताक्षर करवा लिए ....

पंचकूला : दिग्विजय चौटाला ने कहा कि आज से पहले सभी विधायकों को यह कहकर बुलाया जाता था कि पार्टी की बैठक है व खाली पन्नों पर उनके हस्ताक्षर करवा लिए जाते थे। प्रवीण अत्रे जो इनैलो प्रवक्ता हैं वह जगह-जगह इनैलो के संविधान में मौजूद एक्ट की बात करते हैं लेकिन सभी पाॢटयों का संविधान चुनाव आयोग के पास होता है जो सार्वजनिक रूप से वैबसाइट पर होता है लेकिन इनैलो पार्टी का संविधान वैबसाइट पर सार्वजनिक नहीं है। दिग्विजय चौटाला ने शंका जाहिर कर कहा कि भविष्य में इनैलो के संविधान को भी बदलने की साजिश हो सकती है। 

प्रश्न : इनैलो कार्यकारिणी की बैठक में आपके पिता अजय चौटाला को पार्टी से निष्कासित करने का हुक्म जारी किया आप इसे किस तरह से देखते हैं?
उत्तर : अजय चौटाला को पार्टी से निकालने के फैसले को लेकर ओम प्रकाश चौटाला का दूर-दूर तक कोई नाता नहीं है। पार्टी के कुछ चुनिंदा लोगों ने पार्टी दफ्तर में बैठकर यह स्क्रिप्ट लिखी है जिसमें रामपाल माजरा, अशोक अरोड़ा नेता प्रतिपक्ष अभय चौटाला व आर.एस. चौधरी ने मिलकर इस साजिश को अंजाम दिया है। निष्कासन के पत्र की भाषा शैली आर.एस. चौधरी ने लिखी है व अभी तक वह पत्र जारी भी नहीं किया है। 

उन्होंने कहा कि उन्हें पहले ही पता था कि ऐसा होने वाला है इसलिए उन्होंने टैलीफोन व सोशल मीडिया के माध्यम से यह बयान या जानकारी दे दी थी। दुष्यंत व दिग्विजय को निष्कासित करने के लिए जारी किए पत्र में डिजीटल हस्ताक्षर लगाए थे लेकिन अजय चौटाला को निष्कासित करने का पत्र या फैसला 12 तारीख को लिया है जब ओम प्रकाश चौटाला जेल में थे। ऐसे में इस पत्र पर ओम प्रकाश चौटाला के हस्ताक्षर है भी या नहीं? 

प्रश्न: क्या 17 नवम्बर को बैठक निर्धारित है?
उत्तर :17 नवम्बर की बैठक शत-प्रतिशत होगी। यह बैठक इसलिए भी महत्वपूर्ण हो चुकी है क्योंकि कार्यकर्ताओं के उनके पास फोन आ रहे हैं और वह कह रहे हैं कि उन्हें विश्वास नहीं होता कि कोई इतनी गहरी साजिश भी कोई कर सकता है।  उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि सब जानते हैं कि अजय चौटाला ने पार्टी के लिए कितनी मेहनत की है। उन्होंने 664 किलोमीटर यात्रा ओमप्रकाश चौटाला को मुख्यमंत्री बनाने के लिए की न कि खुद मुख्यमंत्री बनने के लिए। उनके पिता अजय चौटाला ने 10 साल की सजा इसलिए स्वीकार की, क्योंकि उनकी पार्टी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे। 

दिग्विजय चौटाला के अनुसार अजय चौटाला पर जज भी आरोप नहीं तय कर पाए थे। उन्हें केवल इसलिए सजा सुनाई क्योंकि भिवानी जिले के युवाओं को अधिक नौकरी मिली थी। उन्होंने कहा कि उन्हें और दुष्यंत बेगुनाही साबित करने के लिए 15 दिन का समय दिया था लेकिन अजय चौटाला को यह समय भी नहीं दिया गया। उन्होंने कहा कि पार्टी के 90 प्रतिशत कार्यकर्ता अजय चौटाला के साथ हैं इसलिए इस तरह का फैसला लिया गया है। 

प्रश्न : क्या आप इनैलो व उसके चुनाव निशान को लेकर चुनाव आयोग में दावा करेंगे?
उत्तर : इन सबका निर्णय 17 तारीख को होगा। उनके हिस्से में जो जिम्मेदारी होगी उसको वह पूरा करेंगे।

प्रश्न : आपके अनुसार कितने विधायकों का समर्थन आपको मिलेगा?
उत्तर : करीब 80 प्रतिशत विधायक अजय चौटाला के साथ आएंगे।

प्रश्न : आपको ऐसा क्यों लगता है कि अजय चौटाला को निशाना बनाया जा रहा है। जे.बी.टी. घोटाले में भी उनका ही नाम आया है?
उत्तर : अजय चौटाला एक विनम्र स्वभाव के व्यक्ति हैं उन्होंने कभी किसी को न डराया व न ही धमकाया है। इसलिए वह प्रदेश के लोगों के चहेते हैं यही कारण है कि अजय चौटाला एक मजबूत नेता हैं और उनके दुश्मन भी ज्यादा है। नेता प्रतिपक्ष अभय चौटाला ने अजय चौटाला पर उनकी 17वीं की बात कही लेकिन जब अजय चौटाला ने यह सुना तो उन्होंने अभय चौटाला को डांट लगाई कि वह ऐसा कैसे कह सकते हैं। 

उन्होंने साफ तौर पर यह संदेश देने की कोशिश की है कि परिवार के खिलाफ कोई भी कुछ भी नहीं बोलेगा। वहीं, अजय चौटाला ने कहीं भी ऐसा कहा हो कि 2 बसें खड़ी हैं जो भी जिसमें सवार होना चाहे हो जाए। इसे नेता प्रतिपक्ष साबित करें व दिग्विजय ने तालियां बजाई यह भी अभय चौटाला साबित कर दें तो जो दंड अभय चौटाला देंगे वह सार्वजनिक रूप से भुगतने के लिए तैयार होंगे। अजय चौटाला ने 5 तारीख से लेकर अभी तक पार्टी के खिलाफ क्या गतिविधि की उन्हें बताया जाए। 

प्रश्न: राजनीतिक खींचतान में क्या पारिवारिक रिश्ते भी प्रभावित होंगे।
उत्तर: राजनीतिक खींचतान के कारण पारिवारिक रिश्ते प्रभावित नहीं होंगे। यह पारिवारिक मामला या कोई जमीनी विवाद नहीं है। यह राजनीतिक विचारों का मामला है। 
 

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