Edited By Deepak Kumar, Updated: 05 Sep, 2025 04:35 PM

सोनीपत में यमुना का जलस्तर कम हुआ है, लेकिन अभी स्थिति सामान्य नहीं हुई है। यमुना के साथ लगते करीब 50 गांवों में 10 हजार एकड़ से अधिक फसल बर्बाद हो गई है।
डेस्कः सोनीपत की सीमा में कई दिनों से उफान पर बह रही यमुना का जलस्तर बृहस्पतिवार को कुछ कम हुआ है, लेकिन भूमि कटाव अभी भी जारी है। जलस्तर कम होने से तटीय इलाकों में रहने वाले लोगों ने राहत की सांस ली है। हालांकि अभी स्थिति सामान्य नहीं हुई है।
सोनीपत में यमुना का जलस्तर कम हुआ है, लेकिन अभी स्थिति सामान्य नहीं हुई है। यमुना के साथ लगते करीब 50 गांवों में 10 हजार एकड़ से अधिक भूमि की फसल बर्बाद हो गई है। इसके कारण धान और अन्य फसलें बर्बाद हो गई है, जिससे किसानों को भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है। दूसरी तरफ जिला प्रशासन लगातार स्थिति पर नजर बनाए रखे हुए हैं।
80 घरों में पानी घुसा
हथिनीकुंड बैराज से यमुना में बड़ी मात्रा में पानी छोड़ा जा रहा था, जिसके कारण सोनीपत में हालात बिगड़ गए और यमुना के किनार बसे गांव मनोली टोंकी में करीब 80 घरों में पानी घुस गया। प्रशासन ने इन घरों में रहने वाले लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया है। वहीं, यमुना के बढ़े जलस्तर से प्रभावित गांव बेगा, रसूलपुर, ग्यासपुर, चंदौली, पबनेरा, मनोली टोंकी, जाजल टोंकी व अन्य में स्वास्थ्य विभाग ने जल जनित बीमारियों से बचाव के लिए शिविर लगाए हैं।
डीसी सुशील सारवान ने कहा कि मनोली टोंकी में लगाए शिविर में 156 ग्रामीणों में बुखार, त्वचा रोग, आंख आना व अन्य बीमारियों के लक्षण देखे गए हैंं, जिन्हें उपचार दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि लोगों को इन बीमारियों से बचाने के लिए स्वास्थ्य विभाग की टीम गांवों में ओआरएस, मच्छरदानी व आवश्यक दवाइयां भी बांटी जा रही है।
मनाेली टोंकी गांव में घुसने से स्थिति बेहद खराब
यमुना का पानी मनाेली टोंकी गांव में घुसने से स्थिति बेहद खराब है। यहां जलस्तर घटने के बाद भी लोग अपने मकान छोड़ने को तैयार नहीं हैं। इसी तरह बेगा, रसूलपुर, ग्यासपुर, चंदौली, पबनेरा, मनाेली टोंकी और जाजल टोंकी सहित कई गांवों का हाल है। इसको लेकर ग्रामीणों का कहना है कि ठहरने की व्यापक व्यवस्था नहीं है। इसके कारण पानी से भरे घरों में ही रहना पड़ रहा है।
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