बदले मौसम के साथ प्रदेश में बदलने लगी हवा की फिजा, इन 4 जिलों में गंभीर होने लगा वायु गुणवत्ता सूचकांक

Edited By Manisha rana, Updated: 26 Oct, 2023 09:44 AM

with the changing weather the climate of the state started changing

मौसम बदलने लगा है और इस समय गुलाबी ठंड ने भी दस्तक दे दी है लेकिन इस बदले मौसम के साथ-साथ फिजा में भी तबदीली महसूस की जाने लगी है।

चंडीगढ़ : मौसम बदलने लगा है और इस समय गुलाबी ठंड ने भी दस्तक दे दी है लेकिन इस बदले मौसम के साथ-साथ फिजा में भी तबदीली महसूस की जाने लगी है। अहम बात यह है कि हवा में आ रहे इस परिवर्तन का आम लोगों की सेहत पर पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। कारण साफ है कि इस समय धान की कटाई का सिलसिला शुरू हो गया है और जैसे-जैसे किसान इस फसल की कटाई कर रहे हैं तो साथ ही कटाई के बाद भूसे को आग के हवाले कर रहे हैं और यही वजह है कि हवा में धुएं के रूप में जहर घुल रहा है जो सांस के जरिए मनुष्य के शरीर में प्रवेश कर रहा है। बड़ा तथ्य यह भी है कि इस बार हरियाणा में अब तक पराली जलाने के मामलों में काफी गिरावट है जबकि पड़ोसी राज्य पंजाब हरियाणा से कई गुणा आगे है। यही नहीं यदि वायु गुणवत्ता सूचकांक यानी एयर क्वालिटी इंडैक्स के आंकड़ों की बात करें तो हरियाणा के 4 जिले भिवानी, फरीदाबाद, गुरुग्राम व सोनीपत में वातावरण काफी जहरीला है जबकि सिरसा, अम्बाला व हिसार ऐसे जिले हैं जहां स्थिति अभी सामान्य मानी जा सकती है।

अब तक पंजाब में 2300, हरियाणा में 871 पराली जलाने मामले

पराली जलाने के मामले बेशक पिछले सालों की तुलना में पंजाब में भी कम हुए हैं मगर अभी भी पंजाब में पराली जलाने के मामले हरियाणा की तुलना में अधिक हैं। आंकड़ों की बात करें तो अब तक पंजाब में पराली जलाने के लगभग 2300 मामले दर्ज हुए हैं जबकि हरियाणा में यह संख्या करीब 8/7 है। हरियाणा में पिछले वर्ष पराली जलाने के करीब 1400 मामले इस अवधि तक सामने आए थे जबकि पंजाब में यह संख्या 5000 से अधिक थी। ऐसे में कहा जा सकता है कि दोनों ही राज्यों में पराली जलाने के मामलों में 50 फीसदी तक की गिरावट आई है।

इस बार सरकार की ओर से पराली प्रबंधन की दिशा में उठाए जा रहे कदमों का काफी प्रभाव दिखाई दे रहा है और यही वजह है। कि किसान भूसे को आग लगाने की बजाय अन्य प्रबंधों को अपना रहे हैं जिससे पराली के अवशेष वैकल्पिक रूप में प्रयोग किए जा रहे हैं और सरकार से भी किसानों को सहायता मिल रही है।

यह है हरियाणा के जिलों की स्थिति

अक्सर अक्तूबर-नवम्बर में धान की फसल की कटाई शुरू हो जाती है। इसके बाद अधिकांश किसान फसलों के अवशेष को आग लगा देते हैं जिससे आसमान में धुएं के गुब्बार उड़ते रहते हैं और हवा में इस धुएं का जहर घुल जाता है। प्रदेश सरकार द्वारा पिछले कुछ सालों से इस दिशा में व्यापक स्तर पर बड़ी कड़ाई से कदम उठाए जा हैं ताकि रहे हैं वातावरण को दूषित होने से बचाया जा सके। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने दोहरे लाभ को मद्देनजर रखते हुए जहां धान उत्पादकों को धान की खेती की बजाय अन्य वैकल्पिक फसलों की ओर जोड़ते हुए पानी बचत के मकसद से धान की खेती न करने वालों को प्रोत्साहन राशि स्कीम शुरू की तो वहीं इसका लाभ यह भी हुआ कि धान की खेती कम होगी तो भूसों में आग लगाने वाले मामले भी कम होंगे।

इसके अलावा पराली प्रबंधन योजना लागू की ताकि धान की फसल लेने वाले किसान अपने अवशेषों को आग के हवाले करने की बजाय अन्य प्रबंधनों का प्रयोग करें। संभवतः मुख्यमंत्री खट्टर की ये योजनाएं कारगर होती भी दिखाई दे रही हैं। एयर क्वालिटी इंडेक्स के अभी तक के आंकड़े इस बात की तस्दीक भी कर रहे हैं कि किसान पहले से कहीं अधिक जागरूक हो रहे हैं और सरकार की योजनाओं प्रति अपनी दिलचस्पी भी दिखा रहे हैं। इन आंकड़ों अनुसार अब तक आगजनी जैसे मामलों पर अंकुश लगने के कारण फिलहाल वातावरण में सुधार है। हालांकि प्रदेश के 4 जिलों में स्थिति काफी नाजुक दिखाई दी है। भिवानी में बुधवार शाम तक एयर क्वालिटी इंडेक्स 159, फरीदाबाद मे 153, गुरुग्राम में 144 और सोनीपत में 142 दर्ज किया गया। इसी प्रकार करनाल 137, रोहतक 128, पानीपत 123 दर्ज किया गया है। बुधवार को एयर क्वालिटी की जो रिपोर्ट सामने आई उसमें यह भी पाया गया कि प्रदेश के सिरसा में स्थिति काफी अच्छी पाई गई जहां का एयर क्वालिटी इंडेक्स केवल 69 दर्ज किया गया जबकि अंबाला 98 और हिसार में 87 दर्ज किया गया।
 

दीपावली के बाद और बिगड़ सकती है तस्वीर

अहम बात यह है कि बेशक बुधवार को एयर क्वालिटी इंडेक्स के आंकड़े सिरसा, अंबाला व हिसार सहित अन्य कई जिलों की स्थिति सामान्य दर्शा रहे हैं मगर इसमें कोई दो राय नहीं कि दीपावली के बाद प्रदेश के लगभग सभी जिलों में इन आंकड़ों की तस्वीर न केवल बदल सकती है अपितु बिगड़ी हुई भी नजर आ सकती है। चूंकि दीपावली दौरान अक्सर धान उत्पादक किसान अपने अवशेषों को आतिशबाजी की आड़ में आग के हवाले कर देते हैं और साथ हो दीवाली पर होने वाली आतिशबाजी भी प्रदेश के बातावरण पर काफी असर छोड़ती है। ऐसे में कहा जा सकता है कि आने वाले समय में इस इंडैक्स के आंकड़ों की तस्वीर कुछ और हो सकती है।

स्वास्थ्य की दृष्टि से एयर क्वालिटी इंडेक्स की रिपोर्ट देखी जाए तो कहा जाता है कि इसमें 6 कैटेगिरी बनाई गई हैं 10 से 50 तक का इंडेक्स अच्छा माना जाता है जबकि 51 से 100 तक संतोषजनक माना जाता है। 101 से लेकर 200 तक प्रदूषित होता है। इसी प्रकार से 201 से 300 तक के इंडेक्स को खराब माना जाता है। लम्बे समय तक ऐसा रहने पर लोगों को सांस लेने में तकलीफ और हृदय रोग से पौड़ित लोगों को बहुत असुविधा हो सकती है। 301 से 400 तक के इंटैक्स को बहुत खराब माना जाता है। लंबे समय तक ऐसा व्हने पर लोगों को सांस की बीमारी हो सकती है। फेफड़े और दिल की बीमारियों वाले लोगों पर प्रभाव अधिक खतरनाक हो सकता है। 401 से 500 तक के इंडेक्स को अत्यंत गंभीर माना गया है। यह आपातकाल कहा जाएगा जिससे स्वस्थ लोगों की ची असन प्रणाली खराब हो सकती है। फेफड़े व हृदय रोग वाले लोगों पर इसका प्रभाव गंभीर हो सकता है।

9 जिलों का ए.क्यू.आई. खराब स्तर पर

हरियाणा में सर्दियों की दस्तक के साथ ही वायु प्रदूषण का स्तर भी बढ़ता जा रहा है। सैंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (सी.पी.सी.बी.) की ओर से बुधवार शाम जारी की गई रिपोर्ट के अनुसार पिछले 24 घंटों के दौरान हरियाणा के 9 जिलों का एयर क्वालिटी इंडेक्स (ए, क्यू. आई.) खराब स्तर तक पहुंच गया। फरीदाबाद की हवा सबसे अधिक खराब हुई है। यहां का ए, क्यू. आई. 270 दर्ज किया गया है। इसके अतिरिक्त बहादुरगढ़ (247), बल्लभगढ़ (234), भिवानी (221), कैथल (240), करनाल (217), कुरुक्षेत्र (208), मानेसर (251) और रोहतक (202) का ए, क्यू. आई. भी खराब स्तर पर दर्ज किया।

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