Amit Shah को BJP ने क्यों बनाया हरियाणा का पर्यवेक्षक, जानें इसकी INSIDE STORY

Edited By Manisha rana, Updated: 14 Oct, 2024 04:06 PM

why did bjp make amit shah the observer of haryana

हरियाणा विधानसभा चुनाव में हार की हैट्रिक लगाकर अगर कांग्रेस को इन दिनों देशभर में भारी फजीहत का सामना करना पड़ रहा है तो जीत की हैट्रिक लगाकर इतिहास रचने वाली भारतीय जनता पार्टी के सामने भी चुनौतियां कम नहीं है।

हरियाणा डेस्क : हरियाणा विधानसभा चुनाव में हार की हैट्रिक लगाकर अगर कांग्रेस को इन दिनों देशभर में भारी फजीहत का सामना करना पड़ रहा है तो जीत की हैट्रिक लगाकर इतिहास रचने वाली भारतीय जनता पार्टी के सामने भी चुनौतियां कम नहीं है। ये चुनौती बाहर से नहीं बल्कि घर से ही मिल रही है, जिससे निपटने के लिए अब खुद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह मैदान में उतर चुके हैं। जी हां, भाजपा के संसदीय बोर्ड ने शाह के साथ मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव को 16 अक्टूबर को हरियाणा में बीजेपी के विधायक दल की मीटिंग के लिए पर्यवेक्षक नियुक्त किया है। यानी अमित शाह की मौजूदगी में भाजपा के विधायक अगले मुख्यमंत्री का चुनाव करेंगे। 

सियासी हलकों में अमित शाह के बतौर पर्यवेक्षक हरियाणा आगमन ने उन बातों को और बल दे दिया, जिसकी चर्चा दबी जुबान में ही सही अब तक हो रही थी, क्योंकि अब तक वो दिल्ली से फरमान जारी करते थे जिसे भाजपा के अन्य नेता बतौर पर्यवेक्षक तमाम राज्यों के विधायक दल की मीटिंग में रखते थे। इसके बाद मुख्यमंत्री चुनाव होता था, ऐसे में सवाल उठता है कि जब अमित शाह खुद विधानसभा चुनाव से काफी पहले मौजूदा मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को पंचकूला की मीटिंग में पार्टी का सीएम चेहरा घोषित कर चुके थे। यानी जीतने की सूरत में नायब सैनी ही मुख्यमंत्री होंगे, तो फिर आखिर इतनी जद्दोजहद क्यों हो रही है? 

दरअसल अमित शाह ने भले ही नायब सैनी को मुख्यमंत्री पद का चेहरा चुनाव पूर्व घोषित कर दियो हो लेकिन इसके बावजूद पार्टी के कुछ दिग्गज अपनी दावेदारी छोड़ने के मूड में नहीं हैं। इनमें सबसे बड़ा नाम है अहीरवाल बेल्ट के कद्दावर नेता और मोदी सरकार में मंत्री राव इंद्रजीत सिंह और पूर्व कैबिनेट मंत्री अनिल विज हरियाणा बीजेपी में ये दोनों कद्दावर नेता हैं। राव जहां 6 बार के सांसद और केंद्र में मंत्री हैं। वहीं गब्बर के नाम से मशहूर विज इस बार सातवीं जीत दर्ज कर विधानसभा पहुंचे हैं। 

अनिल विज 2009 में हरियाणा बीजेपी के विधायक दल के नेता हुआ करते थे, लिहाजा 2014 में जब पहली बार भाजपा सत्ता में आई तो वो खुद को मुख्यमंत्री पद का सबसे प्रबल दावेदार मान रहे थे लेकिन बाजी पहली हार विधायक बनने वाली मनोहर लाल खट्टर ने मारी। विज ने तब भारी मन से हाईकमान के इस फैसले को मानते हुए खट्टर के नीचे काम करना स्वीकार किया, लेकिन इसी साल 12 मार्च को जब खट्टर को हटाकर नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाने का आलाकमान ने निर्णय लिया तो विज का धैर्य जवाब दे गया। 

खट्टर के इस्तीफे के बाद हरियाणा निवास में विधायक दल की मीटिंग चल रही थी, जिसमें बतौर पर्यवेक्षक तत्कालीन केंद्रीय कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा और पार्टी के महासचिव तरुण चुघ के साथ हरियाणा मामलों के प्रभारी विपल्ब देब भी मौजूद थे। बैठक में जैसे ही नायब सैनी का नाम मुख्यमंत्री पद के लिए आगे लाया गया तो विज नाराज हो गए और ये नाराजगी इतनी बढ़ गई कि वो बैठक को बीच में ही छोड़कर अंबाला चले गए थे। इस पूरे प्रकरण से तब पार्टी की भारी किरकिरी हुई थी, इसके बाद काफी समय तक विज को मनाने और समझाने का दौर चला और फिर आखिरकार उनके तेवर नरम पड़े, लेकिन चुनाव आते ही उन्होंने एकबार फिर मुख्यमंत्री पद पर दावा ठोककर भाजपा के अंदर हलचल मचा दी। केंद्रीय नेताओं को तुरंत इस पर स्पष्टीकरण देने के लिए आगे आना पड़ा। 

(पंजाब केसरी हरियाणा की खबरें अब क्लिक में Whatsapp एवं Telegram पर जुड़ने के लिए लाल रंग पर क्लिक करें)

Related Story

Trending Topics

Afghanistan

134/10

20.0

India

181/8

20.0

India win by 47 runs

RR 6.70
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!