सोशल मीडिया पर कोई भी वीडियो वायरल करना आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 54 का उल्लंघन: सुखविंद्र

Edited By vinod kumar, Updated: 04 Apr, 2020 01:04 PM

viral any video on social media violates the disaster management act section 54

पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट के वकील एवं हरियाणा सरकार के पूर्व डिप्टी एडवोकेट जरनल सुखविंद्र नारा ने कहा कि आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत सोशल मीडिया पर कोई भी वीडियो या मेसेज वायरल करना आपदा प्रबंधन अधिनियम, धारा 54 का उल्लंघन है| किसी भी व्यक्ति...

चंडीगढ़(धरणी): पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट के वकील एवं हरियाणा सरकार के पूर्व डिप्टी एडवोकेट जरनल सुखविंद्र नारा ने कहा कि आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत सोशल मीडिया पर कोई भी वीडियो या मेसेज वायरल करना आपदा प्रबंधन अधिनियम, धारा 54 का उल्लंघन है| किसी भी व्यक्ति को बिना जाने व पड़े कोई मैसेज वायरल करने पर इस धारा के अंतर्गत दंडित किया जा सकता है।

इसमें एक वर्ष तक का कारावास या जुर्माना हो सकता है। उन्हाेंने कहा कि यदि कोई व्यक्ति एक झूठा अलार्म या आपदा के बारे में चेतावनी देता है, या इसकी गंभीरता के बारे में चेतावनी देता है, जिससे घबराहट फैलती है जोकि वह जानता है कि झूठी है, तो उसका यह कृत्य इस धारा के अंतर्गत दंडनीय है।

सुखविंद्र का कहना है की आपदा प्रबंधन अधिनियम, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के लिए प्रदान करता है और इस अधिनियम की धारा 6, प्राधिकरण की शक्तियों से संबंधित है– जिसके अंतर्गत प्राधिकरण ने राज्य सरकारों और केंद्र सरकार को ये निर्देश जारी किए हैं। इस अधिनियम की धाराओं, 51 से 60 को पूरे देश में लागू कर दिया गया है। आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005  की वस्तु और उद्देश्य के अनुसार इसका मकसद, आपदाओं का प्रबंधन करना है, जिसमें शमन रणनीति, क्षमता-निर्माण और अन्य चीजें शामिल है।

उन्हाेंने कहा कि धारा 51 बाधा डालना के तहत यदि कोई व्यक्ति किसी सरकारी कर्मचारी को उनके कर्तव्यों को पूरा करने से रोकता या बाधा डालता है, या केंद्र/राज्य सरकारों या एनडीएमए द्वारा जारी किए गए निर्देशों का पालन करने से इनकार करता है तो वह व्यक्ति इस धारा के अंतर्गत दंडित किया जा सकता है।

उदाहरण के लिए, इस धारा के अंतर्गत, दिशानिर्देशों का कोई भी उल्लंघन, जिसमें पूजा स्थल पर जाना, सामाजिक कार्यक्रम का आयोजन करना आदि शामिल हैं। सभी को इस धारा के तहत अपराध माना गया है। इस धारा के अंतर्गत, 1 साल तक की कैद एवं जुर्माना। हालांकि, यदि उस व्यक्ति के कार्यों से जानमाल का नुकसान होता है, तो 2 साल तक की कैद एवं जुर्माना हो सकता है।

वहीं धारा 52 के तहत मिथ्या दावे इस धारा के अंतर्गत, वह मामले आएंगे जहां यह आरोप लगाया जाए कि अभियुक्त ने कुछ ऐसा लाभ (राहत, सहायता, मरम्मत, निर्माण या अन्य फायदे) का दावा किया जोकि मिथ्या था, जैसे कि एक मामले में बाढ़ पीड़ितों हेतु वितरण के लिए लाये गए बिस्कुट को प्राप्त करने वाले व्यक्तियों (जोकि अभियोजन के मुताबिक बाढ़ पीड़ित नहीं थे) पर इस धारा को लगाया गया था।

नारा ने कहा कि धारा 53 में  धन/सामग्री का दुरुपयोजन में यदि कोई व्यक्ति राहत कार्यों/प्रयासों के लिए किसी भी पैसे या सामग्री का दुरुपयोग, अपने स्वयं के उपयोग के लिए करता है, या उन्हें ब्लैक में बेचता है तो वह इस धारा के अंतर्गत दोषी ठहराया जा सकता है। इस धारा के अंतर्गत 2 साल तक की कैद एवं जुर्माना हो सकता है। धारा 55, सरकार के विभागों द्वारा अपराध से सम्बंधित है। धारा 56 में अधिकारी की कर्त्तव्य-पालन में असफलता यदि एक सरकारी अधिकारी, जिसे लॉकडाउन से संबंधित कुछ कर्तव्यों को करने का निर्देश दिया गया है, और वह उन्हें करने से मना कर देता है, या बिना अनुमति के अपने कर्तव्यों को पूरा करने से पीछे हट जाता है तो वह इस धारा के अंतर्गत दोषी ठहराया जा सकता है। इस धारा के अंतर्गत 1 साल तक की कैद या जुर्माना हो सकता है। 

धारा 53 में अध्यपेक्षा के सम्बन्ध में किसी आदेश के उल्लंघन के लिए है। धारा 57 में  आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 65 के अंतर्गत, राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति, राज्य कार्यकारिणी समिति, या जिला कार्यकारिणी समिति को यह शक्ति दी गई है कि वह किसी भी संसाधन, वाहन या भवनों की आवश्यकता पड़ने पर, जो उसे आपदा के जवाब में अपना काम करने के लिए चाहिए या आवश्यकता है, तो वह उसकी मांग रुपी आदेश कर सके।

ऐसे संसाधन, वाहन या भवनों के सम्बन्ध में अध्यपेक्षा का आदेश जारी किया जा सकता है। इसी सम्बन्ध में, धारा 57 के अंतर्गत, यदि कोई व्यक्ति इस तरह के अपेक्षित आदेश का पालन करने में विफल रहता है, तो वह इस धारा के अंतर्गत दोषी ठहराया जा सकता है। इस धारा के तहत, 1 साल तक की कैद एवं जुर्माना हो सकता है।

उन्हाेंने कहा कि धारा 53 अधिनियम की अन्य धाराएं 58-60 इस अधिनियम की धारा 58, कंपनियों द्वारा अपराध से सम्बंधित है। इसके अलावा जहां धारा 59 अभियोजन के लिए पूर्व मंजूरी (धारा 55 और धारा 56 के मामलों में) से सम्बंधित है, वहीं धारा 60 न्यायालयों द्वारा अपराधों के संज्ञान से सम्बंधित है। 

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