Edited By Yakeen Kumar, Updated: 24 Jan, 2025 06:24 PM
एशिया में प्लास्टिक कचरे के प्रबंधन के क्षेत्र में बढ़ती चुनौतियों को दूर करने के लिए यूनाइटेड नेशंस डेवलपमेंट प्रोग्राम (यूएनडीपी) और द कोका-कोला फाउंडेशन (टीसीसीएफ) ने हाथ मिलाया है।
चंडीगढ़ (चंद्र शेखर धरणी) : एशिया में प्लास्टिक कचरे के प्रबंधन के क्षेत्र में बढ़ती चुनौतियों को दूर करने के लिए यूनाइटेड नेशंस डेवलपमेंट प्रोग्राम (यूएनडीपी) और द कोका-कोला फाउंडेशन (टीसीसीएफ) ने हाथ मिलाया है। एशिया में पर्यावरण संबंधी चुनौतियों और अवसरों की भरमार है। तेजी से होता शहरीकरण, सिंगल यूज प्लास्टिक की बढ़ती मांग और कचरा प्रबंधन को लेकर इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी के कारण यहां प्लास्टिक कचरा बहुत तेजी से बढ़ा है। यही कारण है कि इसके लिए प्रभावी समाधान तलाशना बहुत ज्यादा जरूरी हो गया है।
नदियों आदि के माध्यम से प्लास्टिक कचरे का बड़ा हिस्सा महासागरों में पहुंच जाता है, जो समुद्री जीवन, मानवों के स्वास्थ्य और आजीविका के लिए बड़ा खतरा है। दुनिया की सबसे ज्यादा प्रदूषित 20 नदियों में से 16 एशिया में हैं। विभिन्न महासागरों में जाने वाले प्लास्टिक कचरे में दो तिहाई से ज्यादा हिस्सेदारी एशिया की है।
इस गंभीर मसले को ध्यान में रखते हुए यूएनडीपी और टीसीसीएफ नौ एशियाई देशों – बांग्लादेश, भूटान, कंबोडिया, भारत, मालदीव, नेपाल, फिलीपींस, श्रीलंका और वियतनाम में अपने प्रयासों को विस्तार दे रहे हैं। इसके लिए इस क्षेत्र में यूएनडीपी की पहल के समर्थन में टीसीसीएफ ने 15 मिलियन डॉलर की अनुदान दिया है।
तीन साल के इस बहुराष्ट्रीय प्रोग्राम को आज भारत में लॉन्च किया गया। इससे प्लास्टिक कचरे के प्रबंधन में मदद मिलेगी, रीसाइकिलिंग को बढ़ावा मिलेगा, पर्यावरण में प्लास्टिक कचरा कम पहुंचेगा, देशों की परिस्थितियों के अनुरूप समाधानों को बढ़ावा मिलेगा और क्षेत्रीय स्तर पर गठजोड़ संभव होगा। पूरे क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ प्रक्रियाओं को अपनाते हुए इस प्रोग्राम का लक्ष्य नीतिगत बदलावों के लिए प्रेरित करना और सामुदायिक स्तर पर कदम उठाना है। इससे डिस्पोजेबल प्लास्टिक को खत्म करने और कचरा उठाने वालों के जीवन स्तर को बेहतर करने में मदद मिलेगी।
सफल पहल को विस्तार देने के साथ-साथ इस प्रोग्राम के तहत कचरा जुटाने और रीसाइकिलिंग के लिए इनोवेटिव बिजनेस मॉडल्स विकसित करने पर फोकस किया जाएगा। इसके लिए पर्यावरण से जुड़ी सर्वश्रेष्ठ प्रक्रियाओं पर तकनीकी सुझाव दिया जाएगा और कलेक्शन एवं रीसाइकिलिंग को बेहतर करने के लिए नवीनतम टेक्नोलॉजी की संभावनाओं पर काम किया जाएगा। इससे प्लास्टिक लीकेज कम होगा यानी पर्यावरण में कम प्लास्टिक कचरा पहुंचेगा।
(पंजाब केसरी हरियाणा की खबरें अब क्लिक में Whatsapp एवं Telegram पर जुड़ने के लिए लाल रंग पर क्लिक करें)