पराली की आग से फिर उठने लगा ‘सियासी धुआं’, दिल्ली के मुख्यमंत्री ने पंजाब व हरियाणा की सरकारों पर साधा निशाना

Edited By Shivam, Updated: 17 Oct, 2020 10:52 PM

the political smoke started rising again from the parali fire

हरियाणा और पंजाब में पराली की आग के कारण फिर से इन दोनों राज्यों के साथ-साथ दिल्ली में भी  ‘सियासी धुआं’ उठता नजर आ रहा है। एक बार फिर से पराली के धुएं को लेकर बढ़ रहे प्रदूषण के चलते सियासी बयानबाजी तेज हो गई है। दिल्ली में पराली के कारण खराब हुए...

चंडीगढ़ (संजय अरोड़ा): हरियाणा और पंजाब में पराली की आग के कारण फिर से इन दोनों राज्यों के साथ-साथ दिल्ली में भी  ‘सियासी धुआं’ उठता नजर आ रहा है। एक बार फिर से पराली के धुएं को लेकर बढ़ रहे प्रदूषण के चलते सियासी बयानबाजी तेज हो गई है। दिल्ली में पराली के कारण खराब हुए प्रदूषण के स्तर के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पंजाब-हरियाणा पर निशाना साध रहे हैं। वहीं पहले से ही कृषि कानूनों को लेकर हरियाणा और पंजाब में किसान आंदोलरत हैं। ऐसे में दोनों ही राज्यों में प्रशासन द्वारा संयम के साथ किसानों को पराली न जलाने की अपील की जा रही है।

इस कड़ी में दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री सोशल मीडिया एवं दूसरे माध्यमों के जरिए किसानों को समझाने के मूड में नजर आ रहे हैं। वहीं अब पराली की आग के कारण दिल्ली और इसके साथ लगते हरियाणा के जिलों में एयर क्वालिटी इंडैक्स घातक स्तर पर पहुंच गया है। शनिवार दोपहर को सोनीपत में एयर क्वालिटी इंडैक्स का लेवल 417 रहा। इस तरह की आबोहवा किसी भी व्यक्ति की सेहत के लिए घातक सिद्ध हो सकती है। कोरोना संक्रमण के दौर के चलते तो प्रदूषण का यह स्तर और अधिक खतरनाक साबित हो सकता है। 

इस मुद्दे पर दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल द्वारा बढ़ते प्रदूषण के लिए पराली की आग को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं तो वहीं पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने केजरीवाल के इन आरोपों को सिरे से नकारा है तो वहीं हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने किसानों से पराली न जलाने का आह्वान किया है।

हरियाणा के विभिन्न जिलों में ऐसा रहा ए.क्यू.आई.
हरियाणा के किसी भी शहर में प्रदूषण का स्तर अच्छा नहीं है। शनिवार को हरियाणा में ओवरऑल एयर क्वालिटी इंडैक्ट 157 रहा। सिरसा में एयर क्वालिटी इंडैक्स 176, पंचकूला में 147, गुरुग्राम में 161, सोनीपत में 417, फरीदाबाद में 87, कुंडली में 98 दर्ज किया गया। वहीं दिल्ली में एयर क्वालिटी इंडैक्स 137 रहा। दिल्ली के आनंद प्रभात में 280, अशोक विहार-1 में 143, अशोक विहार-4 में 93 एवं बाली नगर में 130 दर्ज किया गया। हरियाणा स्पेस एप्लीकेशन सैंटर से मिली जानकारी के अनुसार हरियाणा में 2016 में पराली जलाने की 13,378 मामले, 2017 में 10 हजार, 2018 में 9031 एवं 2019 में 6020 मामले सामने आए। इस बार पूरे प्रदेश में 12.83 लाख हैक्टेयर में धान की फसल है और अभी धान की कटाई व कढ़ाई ने जोर पकडऩा है। ऐसे में आने वाले दिनों में पराली जलाने के मामले बढ़ सकते है। इससे दिल्ली और हरियाणा में प्रदूषण का स्तर और अधिक खराब हो सकता है।

इसी मुद्दे पर उस वक्त दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल व हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के बीच चंडीगढ़ में बैठक भी हुई थी और दोनों मुख्यमंत्रियों ने इस समस्या से निपटने के लिए सांझा रणनीति बनाने पर भी विचार किया था। अभी दो दिन पहले भी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पराली के कारण प्रदूषण पर असर न पड़े जाने संबंधी एक तथ्य पर कहा कि कि अक्तूबर माह में एक ही दिन में प्रदूषण का स्तर इतना कैसे खराब हो गया और हर साल ही इस सीजन में ऐसा होता है। वहीं पंजाब के मुख्यमंत्री ने दो दिन पहले ट्विट करते हुए कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल प्रदूषण के मुद्दे पर अपनी विफलता को छिपाने के लिए बिना वजह दोषारोपण कर रहे हैं।

ट्विट के जरिए मनोहर लाल ने किया आह्वान
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने शनिवार को भी ट्विट करते हुए किसानों से आह्वान किया कि वे अपना फर्ज निभाएं और पराली न जलाएं। उन्होंने कहा कि किसान पराली जलाने की बजाय इसे बेचकर अपनी आय बढ़ा सकते हैं, क्योंकि पराली से बिजली पैदा की जा सकती है। ऐसे में किसान पराली न जलाकर प्रदूषण को फैलने से भी रोक सकते हैं। इससे पहले उन्होंने 13 अक्तूबर को ट्विट करते हुए लिखा कि हरियाणा सरकार किसानों को पराली प्रबंधन उपकरणों पर सबसिडी दे रही है और पराली की गांठ बनाने के लिए 50 रुपए प्रति क्विंटल प्रोत्साहन राशि दी जा रही है। इसके साथ ही पराली को औद्योगिक इकाइयों तक पहुंचाने में सरकार की ओर से सहायता की जाएगी। 

किसानों को कर रहे जागरूक, दे रहे विकल्प
हरियाणा में सरकार की ओर से किसानों को प्रत्येक प्लेटफार्म पर जागरूक किया जा रहा है और साथ ही पराली न जलाने संबंधी ठोस विकल्प भी सुझाए जा रहे हैं। ‘कोरोना से बचाव का साधन, नियमों का निष्ठा से पालन’ का जिक्र करते हुए हरियाणा सरकार की ओर से किसानों को सोशल मीडिया एवं दूसरे मंचों के जरिए बताया जा रहा है कि पराली का प्रयोग बिजली उत्पादन, बायोगैस तथा इथेनॉल तैयार करने में किया जाता है, इसलिए आप अपनी पराली को अपने निकटतम संयंत्रों को बेचकर आय बढ़ा सकते हैं। इसके साथ ही हरियाणा सरकार की ओर से पराली की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए 9 जिलों में परियोजना अधिकारी भी नियुक्त किए गए हैं और सरकार की ओर से ‘हर किसान की जिम्मेदारी, खुशहाल हो धरती हमारी’ नारा भी दिया जा रहा है।

लॉकडाऊन में सुधर गया था प्रदूषण का स्तर
लॉकडाऊन के दौरान 23 मार्च से लेकर 15 अप्रैल तक की अवधि में हरियाणा में एयर क्वालिटी इंडैक्स में गिरावट दर्ज हुई और इसका लेवल 60 तक पहुंच गया था, जबकि अब एक बार फिर से एयर क्वालिटी इंडैक्स 157 तक पहुंच गया है। उल्लेखनीय है कि 101 से लेकर 200 तक क्वालिटी इंडैक्स खराब की श्रेणी में आता है। हरियाणा में इस समय धान की कटाई और कढ़ाई का काम जोरों पर हैं। इसके साथ ही अगली फसल की बिजाई को लेकर किसान खेतों में गेहूं की पराली को भी आग लगा रहे हैं, जिससे वायु प्रदूषण का स्तर निरंतर बढ़ रहा है।

ये है एयर क्वालिटी इंडैक्स
0 से 50 तक एयर क्वालिटी इंडैक्स को अच्छा माना जाता है। 101 से 200 तक इंडैक्स खराब माना जाता है जबकि 201 से 300 तक यह अनहैल्थी होता है। 301 से 400 तक यह काफी खराब माना जाता है और 401 से 500 तक यह खतरनाक होता है। 101 से 200 यानी खराब एयर क्वालिटी इंडैक्स में सांस की तकलीफ के लोगों को दिक्कत रहती है, जबकि 201 से 300 तक में छोटे बच्चों व बुजुर्गों को परेशानी आ सकती है। उल्लेखनीय है कि वर्तमान में कोरोना संक्रमण के चलते एयर क्वालिटी इंडैक्स का बढ़ाना और भी खतरनाक साबित हो सकता है।

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