Edited By Isha, Updated: 02 Sep, 2023 08:31 AM
केंद्र सरकार द्वारा 18 से 22 सितंबर तक बुलाए गए स्पेशल सेशन को लेकर बेशक देश भर में चर्चाएं चल रही हो, विपक्ष तमाम तरह के आरोप लगा रहा हो, लेकिन विधानसभा- लोकसभा की कार्यवाही व सेशन - स्पेशल सेशन में फर्क और कानूनी पेचीदगियों बारे बहुत कम लोगों को...
चंडीगढ़( चंद्रशेखर धरणी): केंद्र सरकार द्वारा 18 से 22 सितंबर तक बुलाए गए स्पेशल सेशन को लेकर बेशक देश भर में चर्चाएं चल रही हो, विपक्ष तमाम तरह के आरोप लगा रहा हो, लेकिन विधानसभा- लोकसभा की कार्यवाही व सेशन - स्पेशल सेशन में फर्क और कानूनी पेचीदगियों बारे बहुत कम लोगों को जानकारियां है। क्या स्पेशल सेशन बुलाया जा सकता है, क्या वन नेशन वन इलेक्शन हमारी लोकतांत्रिक प्रणाली में फिट बैठ सकता है, क्या पहले भी इस प्रकार के स्पेशल सेशन एकाएक बुलाए गए हैं, इस प्रकार के बहुत से गंभीर सवालों के जवाब लेने के लिए पंजाब केसरी ने संविधान के बेहद बारीकी से जानकार, हरियाणा विधानसभा के पूर्व स्पेशल सेक्रेट्री एवं पंजाब विधानसभा में एडवाइजर के पद पर जिम्मेदारी निभा चुके रामनारायण यादव से बातचीत की। जिसमें बहुत सी बातें अतीत की भी खुलकर सामने आई। उन्होंने चंद्रयान की सफलता को केंद्रीय नेतृत्व की मजबूत इच्छा शक्ति तथा वैज्ञानिकों की मेहनत बताया। वही जी 20 और ई20 को देश के लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि बताया। हुई बातचीत के कुछ अंश आपके सामने प्रस्तुत है:-
प्रशन:- भारत का चंद्रमा पर पंचरम लहरा रहा है, कैसे देखते हैं ?
उत्तर:- यह सभी को गुरुवांवित कर देने वाले पल थे। पूरे हिंदुस्तान के लिए यह गर्व की बात है। अमृतकाल महोत्सव के दौरान पहले चंद्रयान की सफलता, अब आदित्ययान की शुरुआत, फिर जी20, ई20 यह सभी देश के लिए बहुत बड़ी उपलब्धियां हैं। चांद सितारे तोड़ कर ले आओ वाली यह कहावतें असल सी लग रही हैं। यह राजनीतिक नेतृत्व की इच्छा शक्ति और हमारे वैज्ञानिकों की मेहनत की देन है। आज हमारा देश बहुत तेजी से ऊपर की ओर जा रहा है। इतिहास में जाए तो पहले भी कई ऐसे कार्य हुए, 1982-1985- 1986 में इस प्रकार से यान लॉन्च किया जा चुके हैं, लेकिन हिंदुस्तान की इस यान रूपी उपलब्धि ने दुनिया में हमें चौथे स्थान पर लाकर खड़ा कर दिया है। यह एक इतिहास रचा गया है।
प्रशन:- 18 से 22 सितंबर तक स्पेशल सत्र बुलाने की क्या आवश्यकता मानते हैं और इस प्रकार के सत्र किन परिस्थितियों में बुलाया जा सकते हैं ?
उत्तर:- सेशन कई तरह के होते हैं। शेड्यूल से हटकर जब हाउस की कोई मीटिंग बुलाई जाती है तो उसे स्पेशल सेशन बोल दिया जाता है। हिंदुस्तान और हमारे बहुत से प्रदेशों में ऐसे बहुत से उदाहरण है, जब किसी स्पेशल कारण के चलते स्पेशल सेशन बुलाए गए। फिलहाल क्यों बुलाया गया यह सरकार को पता होगा, लेकिन चल रही बातों के अनुसार लेजिस्ट्रेटर (विधानमंडल) तो आना ही आना है, कोई बिल भी आ सकता है। 18 सितंबर से 22 तक की 5 सिटिंग का यह सेशन रहेगा। एक नेशन- एक इलेक्शन की बातें अवश्य चल रही हैं, लेकिन जुडिशल व्यू का मैटर होने की वजह से यह मुझे मुश्किल लग रहा है। क्योंकि किसी असेंबली या सदन के कार्यकाल को कम नहीं किया जा सकता। हो सकता है कि यूनियन गवर्नमेंट रिप्रेजेंटेशन पीपल्स एक्ट में ऐसा कोई प्रोविजन ले आए। जैसे 6 महीने में किसी भी असेंबली को डिसोल्व करके या उसमें इलेक्शन करवा सके। हो सकता है कि इसका 1 साल का कार्यकाल कर दे। जम्मू कश्मीर के बारे ऑर्गेनाइजेशन एक्ट करके कुछ विकास और अच्छे के लिए नए एक्ट ले जा सकते हैं। जी 20 को लेकर भी प्रस्ताव पर चर्चा हो सकती है। नवरात्रों के पावन अवसर पर हो सकता है कि पुरानी बिल्डिंग का यह आखिरी सेशन हो। अगले कार्य नई बिल्डिंग में शुरू होने हो। चंद्रयान 3, आदित्ययान सूरज हम लॉन्च करने वाले हैं, चुनाव आने वाले हैं, वैसे भी केंद्र के पास 21 मार्च 2024 तक का समय अपनी पॉलीटिकल एक्टिविटीज या विकास कार्यों के लिए मिल जाता है।
प्रशन:- नए लोकसभा भवन की बिल्डिंग में अगले सेशन की उम्मीद की जा सकती है ?
उत्तर:- जी-20 में 29 देशों के हेड ऑफ द स्टेट्स उपस्थित रहेंगे, यह देश के लिए सम्मान की बात है। उस पर चर्चा होनी हो। विश्वभर में मां दुर्गा के पावन दिनों नवरात्रों में हो सकता है कि 1-2 सेशन पुरानी बिल्डिंग में कर आगे नई बिल्डिंग में सेशन को स्टार्ट करने की प्लानिंग हो।
प्रशन:- यह स्पेशल लोकसभा- राज्यसभा सेशन नए सिरे से होगा या पुराने को ही कंटिन्यू किया जा रहा है ?
उत्तर:- यह नया सेशन होगा। जानकारी मुताबिक 11 को पहला सेशन समाप्त होने के बाद वह सत्रावसान भी हो चुका था। इसलिए इसके बाद राष्ट्रपति ही सेशन की अनुमति देने की पावर रखता है। स्पीकर को इसकी पावर नहीं रहती। वैसे सेशन को तीन धड़ों में बजट सेशन- मानसून सेशन- विंटर सेशन में बांट रखा है। लेकिन स्पेशल सेशन और लेमड़क सेशन भी होते हैं। बेशक शेड्यूल से हटकर स्पेशल काम करने के लिए - राष्ट्रीय हित के लिए कोई सेशन बुलाया भी जाता है तो भी प्रोसीडिंग की शुरुआत में सेशन ही लिखा जाता है। इसमें स्पेशल सेशन नहीं लिखा जाता।
प्रशन:- 2024 लोकसभा चुनाव से ठीक पहले अचानक शीतकालीन सत्र के बाद एकएक सत्र बुलाना कहीं राजनीतिक आहट या चहलकदमी के संकेत तो नहीं ?
उत्तर:- मैं राजनीति पर ज्यादा बात नहीं करता। पार्लियामेंट्री सिस्टम पर ही अपने विचार रखूंगा। यह दोनों वैसे कनेक्ट मुद्दे हैं। 22 सितंबर को सेशन समाप्त के बाद 21 मार्च 2024 तक केंद्र के पास एक लंबा समय फ्री होता है। जिसमें वह पब्लिक और नेशनल इंटरेस्ट के या सदन से बाहर राजनीतिक कार्य करने के लिए फ्री होते हैं।
प्रशन:- अतीत में 1947 से अब तक ऐसे कितने सत्र बुलाए गए और उनमें किस प्रकार के काम होते रहे हैं ?
उत्तर:- स्पेशल सेशन या सेशन में केवल सीटिंग और मीटिंग का ही फर्क होता है। जब राष्ट्रपति या गवर्नर किसी मीटिंग को अटेंड करते हैं तो उसे हम सीटिंग का पार्ट नहीं मानते। सीटिंग स्पीकर - डिप्टी स्पीकर या उनकी अनुपस्थिति में अध्यक्ष के नेतृत्व में होती है। केंद्र और हमारे बहुत से प्रदेशों में बहुत से उदाहरण है, जब सेशन नेशनल इंटरेस्ट के कामों के लिए स्पेशल सेशन नाम से बुलाए गए। 18 दिसंबर 2013 को साइनडाई (सदैव या अनिश्चितकाल के लिए अस्तित्व में) सेशन को बगैर राष्ट्रपति के रेगुलर करते हुए 5 फरवरी 2014 को बुला लिया गया था। जिसमें अन्य कार्यों के अलावा आंध्र री ऑर्गेनाइजेशन एक्ट 2014 भी आया। 8 नवंबर 1962 को चीन की घुसपैठ के वक्त स्पेशल सेशन बुलाया गया। 1952-1956 को स्पेशल डेंमडक हुए देश के सामने आर्थिक स्थिति को लेकर इसमें कार्य हुए जो अपने शेड्यूल से हटकर बुलाए गए थे। 14 अगस्त 1947 रात को 11 बजे भी स्पेशल सेशन हुआ और जब आजादी ग्रहण की गई 10 घंटे बाद वायसराय गवर्नर जनरल जो आज के राष्ट्रपति की तरह थे, 15 अगस्त 1947 को फिर से सेशन बुलाया गया। इसलिए वह सीटिंग नहीं मीटिंग मानी गई थी। वह स्पेशल सेशन थे। 24 जनवरी 1950 को संविधान पर हस्ताक्षर होने के वक्त स्पेशल सेशन बुलाए गए। इसमें साइन होने के साथ-साथ राष्ट्रपति के इलेक्शन पर भी बात हुई थी। हरियाणा में भी 14-15 अगस्त 1972 को आजादी की जयंती मानी थी, उसमें गवर्नर आए थे, केंद्र ने भी इस जयंती माना था, इस उपलक्ष में वर्षगांठ भी मनाई जाती हैं। इसलिए उसे सेशन नहीं कहा जा सकता।
प्रशन:- हरियाणा में अब तक ऐसे सेशन किन परिस्थितियों में बुलाए गए हैं ?
उत्तर:- 1986 में जब कैपिटल नई बनने वाली थी और एस वाई एल का भी मुद्दा था, तो हमारे यहां भी शाम 4 बजे सेशन शुरू हुआ था। उसमें मैं भी कनेक्ट था और हम देख रहे थे कि केंद्र की तरफ से कोई इशारा आएगा और हमारी नई विधानसभा बनेगी। तक कोई मैसेज नहीं आया था तो विलेज इत्यादि का काम करके थोड़ी बातें करके हम उठ गए थे।
प्रशन:- हरियाणा में स्पेशल सेशन कौन बुलाता है और कौन आयोजन करता है ?
उत्तर:- रनिंग के अनुसार जब हाउस सत्रावसान हो जाता है तो फिर सत्र बुलाने की पावर राज्य में राज्यपाल और केंद्र में राष्ट्रपति की ही होती है। जबकि साइनडाई (सदैव) के दौरान सीटिंग बुलाने की पावर स्पीकर के पास होती है।
प्रशन:- लोकसभा और राज्यसभा सत्र की सरल शब्दों में कृपया व्याख्या करें ?
उत्तर:- लोकसभा और विधानसभा सदन हमारी जनता के काम करने के लिए होती हैं। पार्लियामेंट के पास दो प्लेटफार्म सदन और सदन की समिति होती हैं। सदन वह प्लेटफार्म है जो 18 सितंबर से 22 सितंबर को हमारी केंद्र सरकार बिल पास या इंपोर्टेड करने के लिए -किसी जनहित सोच के साथ बुलाया गया है। पार्लियामेंट्री सिस्टम बहुत यूनिक है। सेशन को हम आगे भी बढ़ा सकते हैं। 18 नवंबर 1962 को सेशन ड्यू था, 8 नवंबर 1966 को इसे एडवांस कर दिया गया था। कोई सेशन ड्यू डेट तक फिक्स होने के बावजूद पहले भी खत्म किया जा सकता है और सेशन किसी भी वक्त हो सकते हैं। इसमें दिए गए समय को रिलैक्सेशन करने की पावर रहती है। रात 12 से रात पोने 12 बजे तक किसी भी वक्त यह बुलाई जा सकते हैं। छुट्टी के दिन रामनवमी, शनिवार को भी सेशन हुए हैं। यह कैंसिल भी हो सकते हैं और छुट्टियों के दिन भी किए जा सकते हैं। महत्वपूर्ण कार्य के लिए कभी भी इस प्रकार के फैसले लिए जा सकते हैं।
प्रशन:- वन नेशन वन इलेक्शन की चर्चाओं के अनुसार क्या इस प्रकार की संभावना मानी जा सकते हैं ?
उत्तर:- मुझे नहीं लगता कि ऐसा होगा। यह बहुत कॉम्प्लिकेटेड मुद्दा है। मैं लोकसभा पर
काम कर रहा हूं। हमारे कई प्रदेशों और केंद्र के चुनाव साथ-साथ चल रहे थे, फिर भी डिस्टरबेंस हो गई थी। कहीं राष्ट्रपति शासन लग गया तो कहीं विधानसभा डिसोल्व हो गई। इसलिए कार्यकाल भी कम ज्यादा हो गए। इसलिए इस प्रकार का सिस्टम नहीं चल सकता। लोकतंत्र में यह काफी मुश्किल रहेगा। संविधान के हिसाब से इन हालातो में यह चलाना मुश्किल है। इसलिए ऐसी संभावनाएं कम है।