डिजिटल युग में हरियाणा विधानसभा का दस्तावेज 7 दिन में पहुंचा राज्यसभा

Edited By vinod kumar, Updated: 23 Feb, 2020 12:04 PM

the document of the haryana assembly reached the rajya sabha in 7 days

केंद्र सरकार द्वारा देश को डिटिजल एंव सरकारी कामकाज को पूर्णतया आई.टी. से लैस कर पेपरलेस बनाने के बड़े बड़े दावे किए जात हैं, लेकिन हकीकत कुछ और ही है। इस डिजिटल युग में हरियाणा विधानभा द्वारा पारित एक सरकारी संकल्प को राज्य सभा सचिवालय पहुंचने में...

चंडीगढ़(धरणी): केंद्र सरकार द्वारा देश को डिटिजल एंव सरकारी कामकाज को पूर्णतया आई.टी. से लैस कर पेपरलेस बनाने के बड़े बड़े दावे किए जाते हैं, लेकिन हकीकत कुछ और ही है। इस डिजिटल युग में हरियाणा विधानभा द्वारा पारित एक सरकारी संकल्प को राज्य सभा सचिवालय पहुंचने में 7 दिन का लंबा समय लग गया। इससे साबित हो गया कि देश को डिटिजल बनाने के दावे अभी हवा में ही है। 

बता दें कि बीते माह 20 जनवरी 2020 को हरियाणा विधानसभा का सत्र बुलाया गया। जिसमें संसद के दोनों सदनों द्वारा दिसंबर, 2019 में  पारित संविधान ( 126 वां संशोधन) विधेयक, 2019 का अनुसमर्थन (रेटिफिकेशन ) करने संबंधी सदन द्वारा सरकारी संकल्प पारित किया गया। जिसके बाद विधानसभा को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया। हालांकि इसके बाद हरियाणा सरकार द्वारा उक्त सत्र का राज्यपाल द्वारा सत्रावसान भी नहीं करवाया गया। विधानसभा स्पीकर (अध्यक्ष ) द्वारा इस माह 4 फरवरी को आदेश जारी कर बीती 20 फरवरी से हरियाणा विधानसभा का सत्र फिर से बुलाया गया है जो आगामी 4 मार्च तक चलेगा।

ज्ञात रहे कि संविधान ( 126 वां संशोधन) विधेयक, 2019 जिसके द्वारा लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओ में एसी/एसटी सीटों का आरक्षण, जो गत महीने 25 जनवरी, 2020 को समाप्त हो रहा था, उसे 10 वर्ष के लिए और अर्थात 25 जनवरी 2030 तक बढ़ाने के लिए संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित होने के बाद देश के सभी राज्यों में से कम से कम आधे राज्यों के विधानमंडलों द्वारा अपने-अपने सदन में एक प्रस्ताव/सरकारी संकल्प पारित कर इसका अनुसमर्थनकरना भी आवश्यक था, इसके बाद ही इस विधेयक पर भारत के  राष्ट्रपति की स्वीकृति प्रदान हो सकती थी।

पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमा ने बताया कि बीते वर्ष 20 दिसंबर 2019 को राज्य सभा सचिवालय द्वारा  देश के सभी राज्यों के विधानमंडलों के सचिवों को पत्र भेजकर अनुरोध  किया था कि उक्त संविधान (126 वे  संशोधन) विधयेक, 2019 को  अपने अपने विधानमंडलों से सरकारी संकल्प  के रूप में जल्द से जल्द पारित करवाएं और 10 जनवरी 2020 से पहले  राज्य सभा सचिवालय को सूचित करें। क्योंकि 25 जनवरी 2020 से पहले इस पर राष्ट्रपति की स्वीकृति प्राप्त कर इसे लागू करना आवश्यक  है।

हेमंत ने बताया कि वह हैरान थे कि इस संबंध में हरियाणा विधानसभा का सत्र जो हालांकि 10 जनवरी से पहले लगाया जाना चाहिए था परन्तु वह 20 जनवरी को बुलाया गया। बहरहाल उक्त विधेयक को बीते माह  21 जनवरी 2020 को भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की स्वीकृति प्राप्त हो गई थी एवं 22 जनवरी 2020 को इसे भारत सरकार के गजट में प्रकाशित कर दिया गया है। जबकि 25 जनवरी 2020 से यह विधेयक संविधान (104 वा संशोधन ) अधिनियम, 2019 के रूप में कानून बनकर लागू हो गया।

हेमंत ने 26 जनवरी को राज्य सभा सचिवालय में एक आरटीआई याचिका दायर कर सूचना मांगी कि उन्हें हर राज्य की विधानसभा/विधानपरिषद द्वारा पारित उक्त सरकारी संकल्प के पारित होने एवं उसके राज्य सभा सचिवालय प्राप्त होने का पूरा ब्यौरा दिया जाए। उन्होंने यह भी जानकारी मांगी की 10 जनवरी 2020  तक कितने राज्य विधानमंडलों ने उक्त प्रस्ताव भेजे।

राज्य सभा सचिवालय ने बीते दिनों हेमंत को जानकारी दी की 10 जनवरी तक केवल 11 राज्यों के विधानमंडलों ने संकल्प भेजे एवं जब इसके बाद जब कुल 16 राज्यों अर्थात देश के आधे से अधिक राज्यों से ऐसे संकल्प प्राप्त हो गए, तो इस विधेयक पर राष्ट्रपति की स्वीकृति ले ली गई। जवाब में यह भी बताया गया है कि हरियाणा विधानसभा द्वारा 20 जनवरी को अपने सदन में संकल्प पारित किया गया परन्तु वह 27 जनवरी 2020 को राज्य सभा सचिवालय में प्राप्त हुआ।

वहीं हिमाचल और गुजरात विधानसभा का प्रस्ताव हालांकि क्रमश 7 और 10  जनवरी को पारित हुआ और वह उसी दिन ही राज्यसभा पहुंच गया, जबकि पंजाब विधानसभा द्वारा यह 17 जनवरी को पारित किया गया एवं इसके अगले दिन 18 जनवरी को यह राज्यसभा को प्राप्त हुआ। 

उत्तर प्रदेश विधानसभा एवं विधानपरिषद दोनों द्वारा यह 31 दिसंबर 2019  को पारित किया गया, जबकि यह क्रमश 3 जनवरी एवं 20 जनवरी को राज्य सभा में प्राप्त हुआ। महाराष्ट्र विधानसभा और विधानपरिषद दोनों ने 8 जनवरी को यह पारित किया एवं 9 जनवरी को राज्यसभा में पहुंचा। बिहार विधानसभा और विधानपरिषद दोनों ने 13 जनवरी को पारित किया और यह क्रमश: 13 और 17 जनवरी को प्राप्त हुआ। 

इसी प्रकार केरल के विषय में यह तिथियां क्रमश: 31 दिसंबर और 1 जनवरी, मणिपुर के संबंध में 6 जनवरी और 10 जनवरी, गोवा (7 जनवरी और 8 जनवरी ), उत्तराखंड (7 जनवरी और 8 जनवरी ), अरुणाचल प्रदेश (8 जनवरी और 9 जनवरी), तमिलनाडु (9 जनवरी और 10 जनवरी ), पश्चिम बंगाल (9 जनवरी और 10 जनवरी ), असम (13 जनवरी और 17 जनवरी ), छत्तीसगढ़ (16 जनवरी और 20 जनवरी ), नागालैंड (17 जनवरी और 17 जनवरी ) त्रिपुरा (17 जनवरी और 21 जनवरी ) मेघालय (20 जनवरी और 21 जनवरी ) आंध्र प्रदेश की विधानसभा और विधानपरिषद (20 जनवरी और 27 जनवरी ) मध्य प्रदेश (17 जनवरी और 21 जनवरी ) झारखंड (8 जनवरी और 17 जनवरी ) एवं राजस्थान (25 जनवरी और 3 फरवरी ) है। 

मध्य प्रदेश और झारखण्ड विधानसभा द्वारा पारित संकल्प निर्धरित प्रारूप में नहीं थे जबकि कर्नाटक, तेलंगाना, ओडि़शा, सिक्किम एवं मिजोरम ने उक्त संकल्प पारित नहीं किए। हेमंत ने बताया कि वह हैरान है कि क्या हरियाणा विधानसभा द्वारा 20 जनवरी को पारित सरकारी संकल्प फैक्स द्वारा दिल्ली स्थित राज्य सभा सचिवालय में भेजा गया या किसी किसी स्पेशल मैसेंजर के द्वारा या फिर किसी और माध्यम से। इसकी विधानसभा स्पीकर द्वारा जांच करवानी चाहिए, चंूकि उसे अपने गंतव्य तक पहुंचने में एक सप्ताह का समय लग गया। 

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