'बता तेरे भीतर कौन बोलता है' कविता लोगों को कर रही खूब प्रभावित, पदम श्री अवार्डी महावीर गुड्डू ने किया है गायन

Edited By Manisha rana, Updated: 25 Feb, 2024 05:56 PM

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बेहद प्रसिद्ध राजनीतिज्ञ ओमप्रकाश धनखड़ कैबिनेट मंत्री रहे, भाजपा संगठन में कई बड़ी जिम्मेदारियां का निर्वहन किया, किसान मोर्चा के दो बार अध्यक्ष रहे। फिलहाल केंद्रीय संगठन में बड़ी जिम्मेदारी निभा रहे हैं।

चंडीगढ़ (चंद्रशेखर धरणी): बेहद प्रसिद्ध राजनीतिज्ञ ओमप्रकाश धनखड़ कैबिनेट मंत्री रहे, भाजपा संगठन में कई बड़ी जिम्मेदारियां का निर्वहन किया, किसान मोर्चा के दो बार अध्यक्ष रहे। फिलहाल केंद्रीय संगठन में बड़ी जिम्मेदारी निभा रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट स्टैचू ऑफ आयरन कलेक्शन कॉरपोरेशन कमेटी के राष्ट्रीय समन्वयक जैसी जिम्मेदारी पार्टी द्वारा इन्हें सौंपे जाना पार्टी का इनके प्रति विश्वास को जताने के लिए काफी है। लेकिन अगर इनके पारिवारिक बैकग्राउंड पर नजर डालें तो परिवार का दूर-दूर तक भी नाता ना ही राजनीति से रहा है और ना ही लेखन की दुनिया से। पिता वैध थे और दादा भारतीय रेलवे में स्टेशन मास्टर। दादा बेहद परोपकारी थे जिनका जीवन हमेशा जनहित को समर्पित रहा। ओपी धनखड़ भी अगर कहें कि काफी हद तक दादा से मिलते जुलते हैं तो कतई अतिशयोक्ति नहीं होगी। 

शिक्षाविद धनखड़ ने शिक्षा क्षेत्र के विश्लेषण पर एक पुस्तक भी की थी प्रकाशित

राजनीति से बिल्कुल उलट अब ओपी धनखड़ ने एक बेहद सुंदर और अध्यात्म से जुड़ी कविता का लेखन किया है। जो आम जनमानुष के विचार और स्वभाव को बदल देने की ताकत और कुव्वत रखती है।हालांकि बता दे कि धनखड़ एक शिक्षाविद है और उन्होंने शिक्षा क्षेत्र के विश्लेषण पर एक पुस्तक भी प्रकाशित की थी। जिसमें शिक्षा सुधारो और छात्र जीवन से संबंधित मुद्दों पर बड़े उच्च विचार थे। इस पुस्तक में विशेषज्ञों और बुद्धिजीवियों को बेहद प्रभावित किया था। अब उनकी रचयित कविता व्यक्ति की विचारधारा को बेहद प्रभावित करने वाली साबित हो रही है। कविता को सुंदर रूप पदम श्री अवॉर्डी महावीर गुड्डू ने गायन के रूप में दिया है।

कविता के सुंदर पंक्तियां

कविता के शब्द कुछ इस प्रकार हैं, 1. "तू बोलता है, या तेरा मुख बोलता है बता भीतर कौन बोलता है, बता तेरे मुख को कौन खोलता है"।

2-"बता तेरे कानों से कौन सुनता है, तू सुनता है या तेरा मान सुनता है। बता तेरे कानों से कौन सुनता है"।

3-"बता तेरी नज़रों से कौन देखता है, तू देखता है या तेरा नज़रिया देखता है । - बता तेरी नज़रों से कौन देखता है"। 

4-"बता तेरी बुद्धि में कौन तोलता है, तू तोलता है या तेरा माप तोलता है ।- बता तेरी बुद्धि में कौन तोलता है"।

5-"बता तेरे मन में कौन सोचता है, तू सोचता है या तेरा डर सोचता है । बता तेरे मन मे कौन सोचता है"। 

6-"बता तेरे सपनों में कौन पलता है , तू पलता है या तेरा स्वार्थ पलता है। - बता तेरे सपनों कौन पलता है"।

7-"बता तेरे भीतर कौन जलता है, तू जलता है या तेरा अहं जलता है। - बता तेरे भीतर कौन जलता है"। 

8-"बता तेरे भीतर तूझे कोन खोजता है - तू अलग तेरी चाहते अलग है- यह रहस्य तुझ पर कौन खोलता है"। 

 

कौन है महावीर गुड्डू

इस गीत के रचयिता स्वयं पूर्व मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ है। लेकिन जिस वक्त इस सुंदर कविता की पंक्तियां महान लोकगायक व कलाकार पदम श्री अवार्ड से सम्मानित महावीर गुड्डू ने सुनी तो वह भी  काफी प्रभावित और खुश हुए। उन्होंने तुरंत इसके गाइन की पेशकश रखी। जो कि सोशल नेटवर्क पर भजन (कविता) लोगों के मन को खूब भा रहा है।  बता दें कि लोक कलाकार महावीर गुड्डू को भारत सरकार ने संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से भी सम्मानित किया था। उनको यह सम्मान राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु ने दिल्ली के विज्ञान भवन में प्रदान किया था। संगीत, नाटक और नृत्य कलाओं में उत्कृष्ट कार्य करने वाले कलाकारों को प्रोत्साहन देने के लिए भारत सरकार द्वारा यह पुरस्कार प्रदान किया जाता है। महावीर गुड्डू एक शिक्षक होने के साथ-साथ प्रसिद्ध हरियाणवीं कलाकार है। वे देश- विदेश में बड़े-बड़े पुरस्कारों से नवाजे जा चुके हैं। महावीर गुड्डू के विचार हैं कि अंतिम सांस तक मां बोली हरियाणवीं की दिलो जान से सेवा करते रहेंगे।

कई सामाजिक-राजनीतिक आंदोलनों में ऊर्जावान युवा के रूप में धनखड़ की रही है मौजूदगी

बता दे कि 1978 में स्वयंसेवक के रूप में आरएसएस से ओमप्रकाश धनखड़ जुड़े थे। सामाजिक कानून और युवाओं को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर वह एक मिशन और उत्साह से भरपूर रूप में काम करते रहे। 1980 से 1996 तक उन्होंने एबीवीपी के लिए एक ऊर्जावान युवा के रूप में काम किया। विभिन्न सामाजिक व राजनीतिक आंदोलनों में वह बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते रहे। वह स्वदेशी जागरण मंच आंदोलन में भी जुड़े। सभ्य समाज के जीवन और गतिशीलता के गहन पर्यवेक्षक के रूप में धनखड़ ने अपनी साख स्थापित की। राजनीतिक जीवन के साथ-साथ धनखड़ लेखन की दुनिया में भी एक बड़ी पहचान रहे हैं और अब उनकी यह कविता हरियाणवी भाषा में लोगों के मन को खूब मोहित कर रही है।

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