Edited By Manisha rana, Updated: 24 Jan, 2024 11:39 AM
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संगठन के तमाम बड़े पदों पर तमाम राजनीतिक दलों में बखूबी जिम्मेदारियां निभाने के बाद अशोक तंवर अब भारतीय जनता पार्टी के सदस्य हैं और लगातार उनका पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से मिलने का दौर जारी है।
चंडीगढ़ (धरणी) : संगठन के तमाम बड़े पदों पर तमाम राजनीतिक दलों में बखूबी जिम्मेदारियां निभाने के बाद अशोक तंवर अब भारतीय जनता पार्टी के सदस्य हैं और लगातार उनका पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से मिलने का दौर जारी है। मंगलवार को तंवर हरियाणा के बीजेपी प्रभारी विप्लव देव के दिल्ली निवास पहुंचे और उनसे शिष्टाचार भेंट की। इससे पहले तंवर प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष नायब सिंह सैनी के नेतृत्व में भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जयप्रकाश नड्डा से भी मुलाकात कर चुके हैं।
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संगठन में जल्द दी जा सकती है बड़ी जिम्मेदारी
संभावनाएं जताई जा रही है कि जल्द उन्हें संगठन में कोई बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है। इस बात की भी राजनीतिक चर्चाएं जोरों पर हैं कि इस बार अंबाला से भाजपा उम्मीदवार अशोक तवर ही होंगे, क्योंकि आरक्षित सीट अंबाला से भाजपा के कद्दावर नेता रतनलाल कटारिया सांसद बनते रहे हैं, उनके देहांत के बाद ऐसी संभावनाएं बन चुकी है कि टिकट खिसककर किसी अन्य ऐसे बड़े दलित नेता की झोली में जा सकती है। इसलिए अशोक तंवर के भाजपा में शामिल होने के बाद से कहीं ना कहीं संकेत इस ओर इशारा कर रहे हैं।
2009 में कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़कर सिरसा से सांसद बने थे तंवर
बता दें कि अशोक तंवर 7 साल तक हरियाणा प्रदेश कमेटी के अध्यक्ष पद जैसी बड़ी जिम्मेदारी निभा चुके हैं। वह 2009 में कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़कर सिरसा से सांसद बने थे। वह अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिव, भारतीय युवा कांग्रेस तथा एनएसयूआई के भी अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी निभा चुके हैं। भारतीय युवा कांग्रेस के अध्यक्ष सबसे कम उम्र में बनने का गौरव भी अशोक तंवर को प्राप्त है। किन्ही राजनीतिक कारणों व आपसी गतिरोध के चलते 2019 में डॉक्टर अशोक तंवर ने कांग्रेस का त्याग कर दिया था। तंवर मूल रूप से झज्जर जिले के एक किसान परिवार से संबंध रखते हैं। वह अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस तथा आम आदमी पार्टी को भी मजबूत करने का काम कर चुके हैं। आम आदमी पार्टी का त्याग तो अशोक तंवर ने हाल ही में किया था।
भाजपा के लिए एक तुरुप का इक्का साबित हो सकते हैं तंवर
अशोक तंवर वामपंथियों के प्रभुत्व वाले जेएनयू में छात्र संघ के अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ एक बड़ी पहचान बने थे। उनके नेतृत्व में एनएसयूआई ने दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) में दो चुनाव जीते थे यानि तंवर के पास संघटनात्मक ढांचे को मजबूत करने का एक लंबा और बड़ा अनुभव है। तमाम पदों पर रहकर उन्होंने कई जिम्मेदारियां निभाते हुए पार्टी को मजबूत किया है। वह एक बड़ा दलित चेहरा है। प्रदेश भर के दलित वोट बैंक पर उनकी एक बड़ी पकड़ है। खास तौर पर प्रदेश में अगर बात करें तो कांग्रेस पार्टी का त्याग कर भाजपा का दामन थामने वाले तंवर भाजपा के लिए एक तुरुप का इक्का साबित हो सकते हैं। क्योंकि भाजपा के विपक्ष में अगर बात करें तो प्रदेश में कहीं ना कहीं कांग्रेस पार्टी ही कुछ मजबूती में है। कांग्रेस को जड़ से जानने वाले तंवर की गर्जना जब भाजपा के मंच पर कांग्रेस के खिलाफ गूंजेगी तो कहीं ना कहीं कांग्रेस के लिए बेहद नुकसानदायक और भाजपा के लिए बेहद फायदे का सोदा साबित होगी।
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