घरवालों की सोच अच्छी थी, पहले ही कह दिया था- 'जब तक छोरी की नौकरी नहीं लागेगी तब तक...'

Edited By Shivam, Updated: 05 Aug, 2020 12:12 AM

success story of upsc exam passed candidate madhumita

आज के आधुनिक युग में जहां लोग अपना अधिकतर समय मोबाइल पर फेसबुक व व्हाट्सएप चला कर व्यतीत करते हैं। वहीं पानीपत के समालखा में मधुमिता ने आईएएस की परीक्षा में 86वां रैंक हासिल कर नया कीर्तिमान रचा है । मधुमिता का कहना है कि वह घर वालों की बात मान कर...

पानीपत (सचिन): आज के आधुनिक युग में जहां लोग अपना अधिकतर समय मोबाइल पर फेसबुक व व्हाट्सएप चला कर व्यतीत करते हैं। वहीं पानीपत के समालखा में मधुमिता ने आईएएस की परीक्षा में 86वां रैंक हासिल कर कीर्तिमान रचा है। मधुमिता का कहना है कि वह घर वालों की बात मान कर बुलंदियों पर पहुंची है। मधुमिता की बुलंदी की खबर पाकर घर पर बधाई देने के लिए लोगों का तांता लगा है।

आईएएस बनी मधुमिता बताती हैं कि मेरे घरवालों की सोच अच्छी थी तभी, उन्होंने पहले ही कह दिया था, 'जब तक छौरी की नौकरी नहीं लागेगी, तब तक शादी-ब्याह की कोई बात नहीं होवैगी।' बस घर वालों ने इस बारे में आम लोगों की तरह टेंशन नहीं दी कि लड़की पढ़-लिख ली है, अब इसकी शादी कर दो।

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मधुमिता आगे बताती हैं कि यूपीएससी के पहले अटेंप्ट में मेन्स एग्जॉम क्लियर हुआ था, लेकिन दूसरे में तो उसमें भी रह गई थी लेकिन पीछे नहीं हटी, क्योंकि लाइफ में इसके अलावा कोई कैरियर ऑप्शन ही नहीं बचा था। फिर तैयारी की स्ट्रैटजी बदली और तीसरे अटेंप्ट में जब तक मेन्स का एग्जॉम नहीं हुआ था, तब तक फेसबुक, वाट्सएप, यू-ट्यूब सब डिएक्टिवेट रखा। बाकी सब चीजें सैकेंडरी थी, प्राइमरी सिर्फ और सिर्फ तैयारी थी। तभी आज 86वां रैंक हासिल किया है।

मधुमिता ने अंग्रेजी माध्यम में परीक्षा दी थी। उसका ऑप्शनल सब्जेक्ट इतिहास था। वे बताती हैं कि यूपीएससी तीसरे अटेंप्ट में क्लियर किया है। पहला अटेंप्ट 2017 में किया था, जिसमें सिर्फ मेन्य एग्जॉम क्लियर हुआ था। दूसरा अटेंप्ट 2018 में किया था, जिसमें मेन्स भी क्लियर नहीं हुआ। तीसरा अटेंप्ट 2019 में किया, जिसमें 86वां रैंक आया।

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मधुमिता बताती हैं कि पहले दो अटेंप्ट में सेल्फ स्टडी की थी। वे कहती हैं कि इस वजह से उसका दो बार में परीक्षा क्लियर नहीं हुई। इसके बाद टेस्ट क्लास शुरू की। इसके लिए वह दिल्ली गई। वहां टेस्ट क्लास में हर 15 दिन के अंदर सिलेबस दिया जाता था और फिर उसका टेस्ट होता था। इस टेस्ट क्लास में उनका कॉन्फिडेंस बूस्ट हुआ। मधुमिता हर दिन करीब 8 घंटे पढ़ाई करती थी।

मधुमिता ने पहले कमजोरी पकड़ी, फिर तैयारी की
मधुमिता कहती हैं कि पहले दो अटेंप्ट क्लियर नहीं हुए तो मैंने अपनी कमजोरी पकड़ी। मैं सेल्फ स्टडी तो बहुत करती थी, लेकिन जब पेपर देने बैठती थी तो उतना कर नहीं पाती थी। इसके बाद टेस्ट क्लास शुरू की तो सबसे पहले ये कॉन्फिडेंस बूस्ट किया कि पेपर पूरा कैसे करना है। इसी का नतीजा है कि परीक्षा क्लियर हुई।

10वीं से ग्रेजुएशन तक टॉपर रही है मधुमिता
मधुमिता ने 10वीं समालखा के महाराणा प्रताप पब्लिक स्कूल से 2010 में की थी। वह तब स्कूल में टॉपर थी। इसके बाद 2012 में 12वीं की तो उसका दूसरा स्थान था। पाइट समालखा से बीबीए की, उसमें यूनिवर्सिटी में पहली पोजिशन थी। अभी इग्नू से पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में एमए किया है, उसमें 72 प्रतिशत हैं।

मधुमिता के पिता महावीर सिंह हरियाणा एग्रीकल्चर मार्केटिंग बोर्ड में ऑक्शन रिकॉर्डर हैं। उनकी माता दर्शना देवी गृहिणी हैं। दो भाई सतेंद्र और राघवेंद्र हैं। उसका कहना है कि माता-पिता का पूरा सहयोग रहा, उन्होंने फाइनेंसली पूरा सपोर्ट किया।

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