कुछ लोग सत्ता के लालच में कुर्सियों पर बने बैठे हैं, उन्हें जनता कुर्सियों से खींच कर लाएगी: अभय

Edited By Isha, Updated: 18 Sep, 2020 04:09 PM

some people are sitting on chairs in the greed of power abhay chautala

इनेलो विधायक अभय सिंह चौटाला ने के केंद्रीय खाद्य प्रंससकरण मंत्री हरसिमरत कौर बादल के इस्तीफे का जहाँ स्वागत किया है।वही जे जी पी का नाम लिए बिना निशाना साधा है कि कुछ लोग सत्ता के लालच में  कुर्सियों पर बने बैठे है,उन्हें जनता कुर्सियों से खींच कर...

चंडीगढ़(धरणी): इनेलो विधायक अभय सिंह चौटाला ने केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री हरसिमरत कौर बादल के इस्तीफे का जहाँ स्वागत किया है वहीं जेजीपी का नाम लिए बिना निशाना साधा है कि कुछ लोग सत्ता के लालच में कुर्सियों पर बने बैठें है, उन्हें जनता कुर्सियों से खींच कर लाएगी। अभय चौटाला ने कहा कि कुछ लोगो ने सत्ता में काबिज होने के लिए समर्थन दिया था।अब कुछ लोग ऐसे भी कहते हैं कि किसानों को नही उनको लाठियां लगी हैं।अगर उन्हें लाठियां लगी है तो यह लोग सत्ता में क्यों है? सत्ता छोड़ देनी चाहिए।इतने ही बड़े किसानों के हितैषी हैं तो फिर सत्ता से बाहिर आकर संघर्ष करना चाहिए किसानों की लड़ाई लड़नी चाहिए। प्रस्तुत है अभय चौटाला से हुई खास बातचीत के प्रमुख अंश--

प्रश्न--हरसिमरत कौर बादल के इस्तीफे के राजनैतिक परिणाम क्या देखते हैं?
उत्तर--
देश मे भजपा का सबसे पुराना व एकमात्र गठबंधन अकाली दल व भजपा का रहा है।प्रकाश सिंह बादल किसानों के सच्चे हमदर्द है।उनकी पुत्रवधु के इस्तीफे से अकाली दल ने 3 अधयादेश पर अपना स्टैंड स्पष्ट कर दिया हैं।उनके इस्तीफे से केंद्र सरकार को सोचने पर मजबूर होना पड़ेगा कि यह अधयादेश जो केंद्र लेकर आया है।यह किसान विरोधी है।सहन नही किया जाएगा।

प्रश्न- अधयादेश को सत्ता पक्ष व गठबंधन के लोग बेहतरीन बता रहें हैं।
उत्तर--
जे जी पी का नाम लिए बिना निशाना साधा । कहा कि कुछ लोग सत्ता के लालच में  कुर्सियों पर बने बैठे है,उन्हें जनता कुर्सियों से खींच कर लाएगी।अभय चौटाला ने कहा कि कुछ लोगो ने सत्ता में काबिज होने के लिए समर्थन दिया था।अब कुछ लोग ऐसे भी कहते हैं कि किसानों को नही उनको लाठियां लगी हैं।अगर उन्हें लाठियां लगी है तो यह लोग सत्ता में क्यों है?सत्ता छोड़ देनी चाहिए।इतने ही बड़े किसानों के हितैषी हैं तो फिर सत्ता से बाहिर आकर संघर्ष करना चाहिए किसानों की लड़ाई लड़नी चाहिए।

प्रश्न- अधयादेशों का विरोध क्यों?
उत्तर-
अधयादेश किसान को मारने की साजिश है।किसान को मालिक से मजदूर बनाने का खेल है।भजपा जमीन के मालिक इन बड़ी बड़ी कम्पनियों को बनाना चाहती है।उनके साथ एग्रिमेंट करके जो फसलें लेने की बात की जा रही है।किसान बहुत जल्दी विश्वास करता है।उन्हें लगता है कि किसान को एक बार सरकार लॉलीपॉप देने की कोशिश करेंगी।बाद में किसान को ज्यादा परेशान किया जाएगा।

प्रश्न-इनेलो का स्टैंड क्या है?
उत्तर-
हमारा पहले से ही फैंसला है कि हम 24 सितम्बर से हर जिला मुख्यालय पर धरने व प्रदर्शन करेंगे।पिपली में जो किसानों पर लाठियां भांजी गई,307 के झूठे मुकद्दमे दर्ज किए गए।वह तुरन्त वापिस हों।जिन लोगों ने लाठियां बरसाई व आदेश दिए के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाए।किसानों ने कोई तोड़फोड़ नही की। किसान अपनी मांग को लेकर पिपली इख्ठे हो रहा था।उनका कसूर क्या है जो उनपर लाठियां बरसाई गई।अब कुछ लोग  ऐसे भी कहते हैं कि किसानों को नही उनको लाठियां लगी हैं।अगर उन्हें लाठियां लगी है तो यह लोग सत्ता में क्यों है?सत्ता छोड़ देनी चाहिए।इतने ही बड़े किसानों के हितैषी हैं तो फिर सत्ता से बाहिर आकर संघर्ष करना चाहिए।यह वह लोग हैं ,जिन्होंने सत्ता के स्वार्थ में समर्थन दे रखा है।एन डी ए के सबसे पुराने गठबंधन अकाली दल के सरपरस्त प्रकाश सिंह जब सत्ता को धत्ता बता सकतें हैं तो जो राजनैतिक लोग कुर्सी के चक्कर मे किसानों से विस्वाशघात कर रहें है उन्हें जनता कुर्सियों से खींच कर लाएगी  ।इसकी शुरुआत 24 सितम्बर को अम्बाला व यमुनानगर में रोष प्रदर्शन करने से होगी। उसके बाद 26 सितम्बर को कुरुक्षेत्र, 28 सितम्बर को करनाल , 29 सितम्बर को सोनीपत, 30 सितम्बर को पलवल, 1 अक्तूबर को मेवात, 3 अक्तूबर को झज्जर, 5 अक्तूबर को सिरसा, 6 अक्तूबर को फतेहाबाद, 7 अक्तूबर को कैथल, 8 अक्तूबर को जींद, 9 अक्तूबर को हिसार और 10 अक्तूबर को भिवानी में आखिरी प्रदर्शन किया जाएगा। बचे हुए जिलों में रोष प्रदर्शन की अनुसूची इन   14 जिलों में प्रदर्शन करने के बाद जारी की जाएगी।

प्रश्न-चौधरी देवीलाल तो किसानों की लड़ाई में सदैव अग्रणीय रहे?
उत्तर-
-चौधरी देवीलाल ने सारा जीवन किसानों की हर मोर्चे पर लड़ाई लड़ी।हरियाणा, पँजाब,राजस्थान, यू पी,दक्षिण भारत,पश्चिम बंगाल,जहां भी किसानों के दर्द ,तकलीफ का पता लगा सदैव खड़े रहे।वह खेती से खुद जुड़े हुए थे।उन्हें किसान की दर्द का खुद पता था।हर किसान आंदोलन में चौधरी देवीलाल व प्रकाश सिंह बादल अग्रणीय रहे।किसान कभी किसी से कोई मांग नही करता।तभी घर, परिवार,खेत छोड़ कर संघर्ष की राह पकडता है ।जब चारों तरफ से उस पर शिकंजा कसा जा चुका हो।

प्रश्न-अगली रणनीति क्या रहेगी।
उत्तर-
इस देश की रक्षा के लिए किसान ही अपने बेटों को देश के बॉर्डर पर भेजता है।जो हर कुर्बानी के जज्बे से सरोबार रहता है।क्या कभी किसी पूंजीपति या कारखाना मालिक का बेटा कभी देश के बॉर्डर पर रक्षा के लिए गया है।देश की रक्षा करवानी हो शहादत दिलवानी हो तो किसान का बेटा ही आगे होता है।उस किसान को प्रोत्साहित करने की बजाय कोरोना की आड़ में किसानों पर ही अधयादेश लॉकर किसानों को मजबूर किया जा रहा है। देश मे थोड़े दिनों में किसानों का बहुत बड़ा आंदोलन खड़ा हो जाएगा।जितने भी राजनैतिक दलों के लोग जो सत्ता में लालची लोग बैठे हैं उन्हें जनता कुर्सियों से खींच उतार देगी।

20 सितम्बर को सम्पूर्ण हरियाणा बन्द रहेगा।सरकार पूरे प्रान्त में एक भी किसान का हाथ अपने पक्ष में खड़ा कर नही दिखा सकती।किसान 20 सितम्बर को अपनी एकता दिखयेगा।किसान शांतिपूर्वक अपना प्रर्दशन करने आए थे न कि कोई हिंसा करने आए थे। सरकार द्वारा किसानों,आड़तियों एवं मजदूरों को प्रर्दशन करने से रोकना उनके संवैधानिक अधिकारों का हनन है। सरकार पहले से ही किसानों को आर्थिक रूप से बर्बाद करने पर तुली है और अब लाठीचार्ज करके शारीरिक यातनाएं दे रही है। प्रदेश की भाजपा सरकार का ये तानाशाही रवैया बेहद शर्मनाक एवं निंदनीय है। अगर सरकार ने किसान विरोधी अध्यादेश वापिस नहीं लिए तो इनेलो हजारों किसानों के साथ सड़को पर उतरेगी।

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