नियमों को दरकिनार कर गर्भ जांच करवाने वाले आरोपियों को दी बेल, SHO व जांच अधिकारी सस्पेंड

Edited By Gourav Chouhan, Updated: 25 Feb, 2023 10:10 AM

sho and io suspended for giving bail to accused of pndt

एसपी मकसूद अहमद ने बड़ी कार्रवाई करते हुए दोनों पुलिस कर्मचारियों को तुरंत प्रभाव से सस्पेंड करने के आदेश सुनाए हैं।

कैथल(जयपाल) : एक तरफ जहां हरियाणा सरकार बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ को लेकर तरह-तरह की योजनाएं चला रही है, वहीं कुछ पुलिसकर्मी सरकार की इस मुहिम को पलीता लगाने में लगे हुए हैं। एक ऐसा ही मामला कैथल से सामने आया है, जहां सिविल लाइन थाना के अतिरिक्त एसएचओ राजकुमार व जांच अधिकारी सत्यवान ने गर्भ में पल रहे लिंग की जांच करवाने वाले आरोपियों को नियमों के विरुद्ध पुलिस बल देकर छोड़ दिया। इस मामले में एसपी मकसूद अहमद ने बड़ी कार्रवाई करते हुए दोनों पुलिस कर्मचारियों को तुरंत प्रभाव से सस्पेंड करने के आदेश सुनाए हैं। आरोपी पुलिस कर्मियों के खिलाफ विभागीय जांच करवाने के आदेश दिए गए हैं।

 

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20 दिन की मशक्कत के बाद पकड़े गए आरोपी, पुलिस ने 16 घंटे में ही दी बेल

गौरतलब है कि कैथल व गुरुग्राम स्वास्थ्य विभाग की टीम ने 20 दिन की कड़ी मशक्कत के बाद कैथल से उत्तर प्रदेश में जाकर गर्भवती महिलाओं के पेट में पल रहे भ्रूण की लिंग जांच करवाने वाले गिरोह को पकड़ा था। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग की टीम ने आरोपियों को थाना सिविल लाइन पुलिस के हवाले कर दिया था। थाने के एसएचओ राजकुमार और जांच अधिकारी ने पकड़े गए दोनों आरोपियों को 50-50 हजार रुपए के मुचलके पर पुलिस बेल दे दी थी, जोकि नियमों के विरुद्ध है। दरअसल सरकार ने गर्भ में पल रहे भ्रूण की लिंग जांच करवाने के अपराध को कठोर अपराध की श्रेणी में रखा है। इसलिए ऐसे आरोपियों को जेल जाना पड़ता है। वहीं इस मामले में सभी नियमों को दरकिनार करते हुए पुलिस ने आरोपियों को बेल दे दी। अब इसे पुलिस कर्मियों की मिलीभगत कहें या फिर रहमदिली, क्योंकि जिन आरोपियों को कैथल और गुरुग्राम पुलिस की टीम ने 20 दिन की कड़ी मशक्कत के बाद आरोपियों को पकड़ा था, उन्हें 16 घंटों में ही बेल दे दी गई।

 

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पुलिस कर्मियों ने खुलकर उड़ाई नियमों की धज्जियां

इस मामले को लेकर एसपी मकसूद अहमद ने बताया कि कुछ दिन पहले पीएनडीटी के मामले में स्वास्थ्य विभाग की टीम ने 2 आरोपियों को पकड़ा था। इस बीच सिविल लाइन थाने के एसएचओ राजकुमार व जांच अधिकारी सत्यवान ने नियमों के विरुद्ध उन्हें बेल देकर छोड़ दिया था, जबकि उच्च अधिकारियों के आदेश है कि इस अपराध में किसी भी आरोपी को पुलिस बेल पर नहीं छोड़ सकती। वहीं आरोपियों को मजिस्ट्रेट के सामने पेश करना होता है। ऐसा न करने पर आज इन दोनों कर्मचारियों को सस्पेंड कर इनके खिलाफ विभागीय जांच के आदेश दिए गए हैं।

 

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