सतीश कौशिक : वो सितारा जो हरियाणा की बेटियों को आगे बढ़ाने का देख रहा था सपना

Edited By Gourav Chouhan, Updated: 09 Mar, 2023 04:12 PM

satish kaushik was looking forward to take daughters forward

अपनी अदाकारी के जरिये देश-विदेश में अलग पहचान बना चुके अभिनेता, डायरेक्टर सतीश कौशिक का आज सुबह हार्ट अटैक से निधन हो गया। 66 साल की उम्र में उन्होंने अपनी अंतिम सांसें ली...

चंडीगढ़ (कुमैल रिज़वी) : अपनी अदाकारी के जरिये देश-विदेश में अलग पहचान बना चुके अभिनेता, डायरेक्टर सतीश कौशिक का आज सुबह हार्ट अटैक से निधन हो गया। 66 साल की उम्र में उन्होंने अपनी अंतिम सांसें ली। चूंकि सतीश कौशिक का पैतृक गांव हरियाणा के महेंद्रगढ़ में था तो उनकी जड़ें भी हरियाणा से जुड़ी हुई थी। निधन की सूचना मिलते ही उनके पैतृक गांव धनोन्दा के साथ-साथ पूरे हरियाणा में शोक की लहर दौड़ गई। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर सहित प्रदेश के राजनीतिक, सामाजिक और फिल्मी जगत के लोगों ने शोक संवेदनाएं व्यक्त की। हरियाणा से लगाव ही था कि सतीश कौशिक बराबर अपने पैतृक गांव आते थे और प्रदेश के लिए कुछ न कुछ बेहतर करने की कोशिश करते थे। खासतौर पर कौशिक हरियाणा की बेटियों को लेकर काफी चिंतित रहते थे। यही वजह है कि साल 2019 में कौशिक ने बेटियों पर आधारित एक हरियाणवी फिल्म ‘छोरियां छोरों से कम नहीं’ बनाई थी। जिसके जरिये वे संदेश देना चाहते थे कि हरियाणा की लड़कियां किसी भी मामले में लड़कों से कम नहीं हैं।

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अभी कल ही अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया, लेकिन लोगों का आज भी मानना है कि हरियाणा में आज भी लड़कियों पर सबसे ज्यादा पाबंदियां हैं। किसी भी क्षेत्र में आज सबसे कम लड़कियां हरियाणा की हैं। हालांकि देश-विदेश के खेलों में सबसे ज्यादा मेडल भी हरियाणा के नाम ही है। पहले के मुकाबले इस मामले में अब काफी सुधार देखने के मिला है। सरकारें लड़कियों को लेकर कई योजनाएं चला रही हैं, फिर भी बेटियों के मामले में हरियाणा सबसे पिछड़ा राज्य माना जाता है। इन्हीं बिंदुओं पर दिनेश कौशिक काम करना चाहते थे। वे हरियाणा की संस्कृति को काफी प्यार करते थे और उसे बढ़ाना चाहते थे।

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हरियाणवी फिल्म ‘छोरियां छोरों से कम नहीं’ के रिलीज से पहले सतीश कौशिक ने कहा था कि उन्होंने हरियाणा में अपना ज्यादातर समय बिताया है और वे हरियाणा की लड़कियों को होना वाली परेशानियों को भली-भांति जानते हैं। उनका मानना था कि आज भी हरियाणा में लड़कियों की आवाज को दबाया जाता है। हरियाणवी फिल्म ‘छोरियां छोरों से कम नहीं’ फिल्म के जरिये वे संदेश देना चाहते थे कि लड़कियां लड़कों से किसी भी मामले में कम नहीं हैं। लड़कियों को भी सपने देखने चाहिए और आगे बढ़कर उन सपनों को साकार करना चाहिए। फिल्म के जरिए वे बताना चाहते थे कि बेटियां सपने देखें और आगे बढ़ें। कौशिक समाज में बेटे-बेटियों में होने वाले भेदभाव के सख्त खिलाफ थे। हालांकि उनका ये भी कहना था कि आज हरियाणा की छवि बदल रही है लेकिन समाज में कुछ तबके ऐसे हैं जो आज भी इससे अछूते हैं। जिसको लेकर लोगों को जागरुक करने की जरूरत है।

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