Edited By Pawan Kumar Sethi, Updated: 15 Apr, 2025 08:27 PM

मानेसर के शिकोहपुर गांव की जमीन घोटाले में ईडी के दूसरे समन जारी करने के बाद मंगलवार को कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ड वाड्रा ईडी के दफ्तर पहुंचे। इस दौरान उन्होंने मीडिया के समक्ष कहा कि राजनैतिक मंशा के चलते यह कार्रवाई की जा रही है।
गुड़गांव, (ब्यूरो): मानेसर के शिकोहपुर गांव की जमीन घोटाले में ईडी के दूसरे समन जारी करने के बाद मंगलवार को कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ड वाड्रा ईडी के दफ्तर पहुंचे। इस दौरान उन्होंने मीडिया के समक्ष कहा कि राजनैतिक मंशा के चलते यह कार्रवाई की जा रही है। वे दस बार ईडी के बुलावे पर आए हैं, लेकिन केस में कुछ नहीं है। 20-20 साल तक कुछ ना मिले, ऐसा नहीं होता है। वाड्रा इससे पहले गत 8 अप्रैल को भेजे गए पहले समन पर पेश नहीं हुए थे।
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ईडी ऑफिस जाते हुए वाड्रा ने कहा कि जब भी वे लोगों की आवाज बुलंद करने का प्रयास करते हैं या फिर राजनीति में आने की कोशिश करते हैं, ये लोग उसे दबाएंगे और एजेंसियों का दुरुपयोग करेंगे। वे हमेशा सभी सवालों के जवाब देते हैं और देते रहेंगे। 15-15 घंटे बैठा हूं। मैंने 23 हजार डॉक्यूमेंट दिए हैं, फिर कहते हैं दोबारा डॉक्यूमेंट दो, ऐसे थोड़ी चलता है। इस मामले में वाड्रा के साथ-साथ हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा भी आरोपी हैं। उन पर आरोप है कि मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने वाड्रा की कंपनी को मुनाफा पहुंचाया था।
वर्ष 2008 में हुआ जमीन का सौदा:
फरवरी 2008 में रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी ने ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज से गुरुग्राम के शिकोहपुर गांव में 3.5 एकड़ जमीन 7.5 करोड़ रुपए में खरीदी थी। उसी साल, तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की अगुआई वाली हरियाणा सरकार ने इस जमीन पर 2.7 एकड़ के लिए व्यवसायिक कॉलोनी विकसित करने का लाइसेंस दिया था। इसके बाद कॉलोनी बनाने की जगह स्काईलाइट कंपनी ने इस जमीन को डीएलएफ को 58 करोड़ रुपए में बेच दिया था, जिससे करीब 50 करोड़ रुपए का मुनाफा हुआ था
आईएएस अधिकारी ने म्यूटेशन रद्द किया:
वर्ष 2012 में तत्कालीन हरियाणा सरकार के भूमि रजिस्ट्रेशन निदेशक अशोक खेमका ने इस सौदे में अनियमितताओं का हवाला देते हुए जमीन के म्यूटेशन (स्वामित्व हस्तांतरण) को रद्द कर दिया। खेमका ने दावा किया था कि स्काईलाइट को लाइसेंस देने की प्रक्रिया में नियमों का उल्लंघन हुआ, और सौदा संदिग्ध था। इसके बाद उनका तबादला कर दिया गया, जिससे यह मामला और विवादास्पद हो गया था।
2018 में दर्ज की गई एफआईआर:
वर्ष 2018 में हरियाणा पुलिस ने रॉबर्ट वाड्रा, भूपेंद्र हुड्डा, डीएलएफ, और ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज के खिलाफ एक शिकायत के आधार पर एफआईआर दर्ज की थी, जिसमें धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश और भ्रष्टाचार के आरोप में आईपीसी की धारा 420, 120, 467, 468 और 471 के तहत केस दर्ज किया गया था। बाद में धारा 423 के तहत नए आरोप भी जोड़े गए थे।