कोरोना के बाद से पटरी पर नहीं लौटी रोडवेज सेवा, 242 बसों में से सिर्फ 120 ही रूटों पर लगा रही फेरे

Edited By Manisha rana, Updated: 27 Feb, 2021 08:39 AM

roadways service not back on track since corona

कोरोना लॉकडाउन के बाद से जिले की रोडवेज सेवा पटरी पर नहीं लौट पाई है। सिर्फ  आधी बसें ही मुख्य रूटों पर फेरे लगा रही हैं। रोडवेज के पास बसें भी पर्याप्त हैं, कंडक्टर भी हैं, ड्राइवर भी हैं, उसके बावजूद बसें नहीं चल रहीं...

हिसार : कोरोना लॉकडाउन के बाद से जिले की रोडवेज सेवा पटरी पर नहीं लौट पाई है। सिर्फ  आधी बसें ही मुख्य रूटों पर फेरे लगा रही हैं। रोडवेज के पास बसें भी पर्याप्त हैं, कंडक्टर भी हैं, ड्राइवर भी हैं, उसके बावजूद बसें नहीं चल रहीं। बसें बंद होने से सबसे ज्यादा परेशानी ग्रामीण रूट के लोगों को हो रही है। लॉकडाऊन से पहले हांसी व हिसार डिपो की कु ल 242 बसें रूट्स पर दौड़ती थीं लेकिन अब सिर्फ 120 बसें ही सेवाएं दे रही हैं। इनमें से भी ज्यादातर सिर्फ  दिल्ली, चंडीगढ़ व अन्य बड़े रूट्स पर चल रही हैं। ग्रामीण एरिया में जहां पहले बसें 30 फेरे लगाती थीं उन रूट्स पर भी सिर्फ  6 फेरे ही लगाए जा रहे हैं। पिछले साल फरवरी में रोडवेज बसें अलग-अलग रूटस पर कु ल 792 फेरे लगाती थीं लेकिन इस बार सिर्फ  550 फेरे लगा रही हैं। करीब एक दर्जन गांवों में बसें नहीं जा रही हैं। सबसे ज्यादा दिक्कत शाम के समय की बसें बंद होने के कारण हुई है। बसें सुचारू न होने के कारण रोजाना शहर में आवागमन करने वाले यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। 

प्राइवेट वाहन चालक कर रहे मनमर्जी 
पहले से तय रूट पर बसें नहीं चलने के कारण आम लोगों को अब प्राइवेट वाहनों के भरोसे ही यात्रा करनी पड़ रही है। उन्होंने भी मनमर्जी से किराया बढ़ा दिया है। जिन रूट पर बस किराया 20 रुपए है वहां पर 30 से 40 रुपए वसूले जा रहे हैं। सुलखनी, घिराय, कनोह, डाटा, मसूदपुर, किराडा, श्यामसुख, सिसाय, राजली, चंदन नगर, आर्य नगर, सीसवाला, रावलवास खुर्द, धीरणवास, भिवानी रोहिल्ला, रावलवास कलां, सरसाना, बालसमंद, बुड़ाक, बांडाहेड़ी, तेलनवाली, गोरछी, बासड़ा, खारिया, डोभी, किरतान के ऐसे रूट हैं जहां पर सबसे कम बसें चल रही हैं। बसें न चलने से विद्यार्थियों को भी समस्या आ रही है। बस सुविधा न होने की वजह से गांवों की लड़कियों को शहर तक प्राइवेट वाहनों में किराया भुगतान करते हुए सफर करना पड़ रहा है। विभिन्न संस्थानों में जाने वाले विद्यार्थी राजेश, सुरेंद्र, संदीप, मनदीप, राज कु मार आदि ने बताया कि हजारों रुपए देकर बस पास बनवाए लेकिन बसें सुचारू नहीं हैं और प्राइवेट व्हीकल दोगुना किराया ले रहे हैं।

कुछ रूट्स पर बसें चलाईं, सवारी नहीं मिलने से हो गई बंद
रोडवेज द्वारा बीच-बीच में ट्रायल के तौर पर कु छ रूट्स पर बसें चलाई गई थीं लेकिन सवारी नहीं मिलने के कारण उनको बंद कर दिया गया। जहां तक सवारियों की बात है तो आम लोगों को इस बात की जानकारी ही नहीं पहुंच पा रही है कि किस रूट पर कौन से टाइम की बस चल रही है और कौन-सी बस बंद है। रोडवेज की तरफ से भी ऐसा कोई टाइम टेबल जारी नहीं किया गया है कि किस रूट पर किस टाइम पर बस उपलब्ध है। विभाग के पास 34 बसें किराया स्कीम के अंतर्गत हैं जो एक महीने में सिर्फ 9 हजार किलोमीटर चलने के बाद बंद हो जाती हैं। महीने के आखिरी कु छ दिनों में बस नहीं होने की समस्या और भी बढ़ जाती है। फिलहाल 120 बसें चल रही हैं, पहले 242 बसें चलती थीं। स्कू ल- कॉलेज खुलने के बाद रूटों पर बसों की संख्या मांग के अनुसार बढ़ाई जा रही है। कई रूट्स पर बसें चलाई गईं लेकिन सवारियां नहीं होने के कारण फिर से बंद करनी पड़ी। धीरे- धीरे सभी बसों को ऑन रूट कर दिया जाएगा।

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