Edited By vinod kumar, Updated: 04 Apr, 2021 05:42 PM
हरियाणा की अनाजमंडियों में अभी गेहूं की फसल पूरी तरह से पहुंचनी शुरू भी नहीं हुई है, लेकिन सरकार द्वारा जारी की गई खरीद पॉलिसी का आढ़तियों ने विरोध शुरू कर दिया है। जिसको लेकर सोमवार को करनाल में हरियाणा अनाजमंडी एसोसिएशन ने अपने पदाधिकारियों की एक...
रादौर (कुलदीप): हरियाणा की अनाजमंडियों में अभी गेहूं की फसल पूरी तरह से पहुंचनी शुरू भी नहीं हुई है, लेकिन सरकार द्वारा जारी की गई खरीद पॉलिसी का आढ़तियों ने विरोध शुरू कर दिया है। जिसको लेकर सोमवार को करनाल में हरियाणा अनाजमंडी एसोसिएशन ने अपने पदाधिकारियों की एक बैठक बुलाई है। जिसमें खरीद को लेकर जारी की गई पॉलिसी बारे आढ़ती आपस में चर्चा कर कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं।
रादौर में इस बारे जानकारी देते हुए एसोसिएशन के प्रदेश उपाध्यक्ष शिवकुमार संधाला ने बताया कि राज्य सरकार नित नए प्रयोग कर आढ़तियों व किसानो को परेशान कर रही है, मुख्यमंत्री ने हरियाणा को प्रयोगशाला बनाकर रख दिया है। उन्होंने कहा की सरकार द्वारा जारी पॉलिसी में जे फार्म में किसानों से मजदूरी को कैश लेने बारे कहा गया है जोकि पूरी तरह आढ़ती और किसान के रिश्ते को कमजोर करने की सरकार की कवायद है।
उन्होंने कहा की सरकार और आढ़तियों के बीच पूर्व में हुई बैठकों में तय किया गया था की जो किसान अपने खाते में पेमेंट लेना चाहता है वह ले सकता है और जो किसान आढ़ती के माध्यम से लेना चाहे वह वहां से ले सकता है, लेकिन सरकार नए नए प्रयोग कर रही है, जिससे आढ़तियों में अब ऊहापोह की स्तिथि बनी हुई है। इसी को लेकर कल करनाल में प्रदेश पदाधिकारियों की बैठक में विचार विमर्श किया जाएगा। उन्होंने कहा कि अगर सरकार बैठक कर बातचीत से कोई हल निकालती है तो ठीक है, नहीं तो आढ़ती हड़ताल के अलावा पूरी प्रदेश में बड़ा आंदोलन करने पर भी मजबूर हो सकते हैं।
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