बात मुद्दे की: 10 साल बाद भी अस्तित्व तलाश रही है राजीव गांधी एजुकेशन सिटी

Edited By Isha, Updated: 09 Oct, 2019 12:53 PM

rajiv gandhi education city is looking for survival even after 10 years

चुनाव चलते रहते हैं। अलग-अलग पाॢटयां अनेक दावे और वायदे करके सत्ता में आती हैं और चली जाती हैं लेकिन कुछ ऐसे मुद्दे और प्रोजैक्ट चिर स्थायी बन जाते हैं जिन्हें अलग-अलग कारणों से या तो बिसरा

सोनीपत(दीक्षित): चुनाव चलते रहते हैं। अलग-अलग पाॢटयां अनेक दावे और वायदे करके सत्ता में आती हैं और चली जाती हैं लेकिन कुछ ऐसे मुद्दे और प्रोजैक्ट चिर स्थायी बन जाते हैं जिन्हें अलग-अलग कारणों से या तो बिसरा दिया जाता है या फिर लंबित छोड़ दिया जाता है। ऐसा ही एक बड़ा प्रोजैक्ट है सोनीपत के राई में स्थित राजीव गांधी एजुकेशन सिटी। 2008 में तत्कालीन सरकार इसे धरातल पर लेकर आई और कहा गया कि यह प्रोजैक्ट शिक्षा के मामले में हरियाणा की तस्वीर बदल देगा।

शुरूआत में ऐसा लगा भी, जब यहां बीसवांमिल में करीब 2 हजार एकड़ में बहुआयामी प्रोजैक्ट लांच किया गया और बताया गया कि यह एजुकेशन सिटी कैम्ब्रिज व हार्वर्ड यूनिवॢसटी की तर्ज पर विकसित होगी और यहां पर विदेशों के मुख्य संस्थान आएंगेे लेकिन विदेशी तो दूर राजीव गांधी एजुकेशन सिटी में देश के नामी संस्थानों ने भी रुचि नहीं दिखाई। नतीजा यह हुआ कि कई निजी संस्थानों की चुङ्क्षनदा शिक्षण संस्थाएं यहां पर चल पाई हैं और राजीव गांधी एजुकेशन सिटी आज भी अंतर्राष्ट्रीय टच का इंतजार कर रही है। 

ताज्जुब की बात तो यह है कि पहले कांग्रेस और फिर भाजपा सरकार ने इस प्रोजैक्ट की तरफ से पूरी तरह से मुंह मोड़ लिया। विकास के खूब दावों के बीच न तो सत्ता पक्ष ने 2 हजार करोड़ के इस प्रोजैक्ट को कभी गंभीरता से लिया और न ही विपक्ष इसे मुद्दे के रूप में भुना पाया। अब चूंकि एक बार फिर राजनीतिक पाॢटयां सत्ता के लिए चुनावी मैदान में हैं,तो फिर से हरियाणा के युवाओं के जेहन में सवाल है कि क्या सही मायने में हरियाणा को शिक्षा का हब बनाने की दिशा में काम होगा? 

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