Edited By Isha, Updated: 30 Aug, 2024 03:54 PM
विधानसभा चुनाव की घोषणा से पहले तक सरकार से अपनी मांग मनवाने की कोशिश में लगे हरियाणा की प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन की ओर से महा आक्रोश रैली का आयोजन किया गया। इस रैली के जरिए उन्होंने सरकार से निजी स्कूलों की
चंडीगढ़(चंद्रशेखर धरणी): विधानसभा चुनाव की घोषणा से पहले तक सरकार से अपनी मांग मनवाने की कोशिश में लगे हरियाणा की प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन की ओर से महा आक्रोश रैली का आयोजन किया गया। इस रैली के जरिए उन्होंने सरकार से निजी स्कूलों की ओर बकाया राशि का भुगतान नहीं किए जाने पर वोट से चोट करने की चेतावनी दी। ऐसे में हमने प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष कुलभूषण शर्मा से खास बातचीत की। इस दौरान उन्होंने एसोसिएशन की मांगों के अलावा अपने संघर्ष की दास्तां और भविष्य की रणनीति पर विस्तार से चर्चा की।
सरकार से लगातार कर रहे थे मांग
कुलभूषण शर्मा ने बताया कि वह अपनी मांगों को लेकर पिछले लंबे समय से सरकार से मांग कर रहे थे। इसे लेकर सरकार के मंत्रियों के साथ भी उनकी बातचीत हुई थी। एसोसिएशन की ओर से कुल 55 मांगे सरकार के समक्ष रखी गई थी, जिन्हें पूरा करने की सरकार से लगातार मांग की जा रही थी। सरकार के समक्ष लगातार अपनी मांगे रखने के बावजूद उन्हें गंभीरता से नहीं लिया जा रहा था। इसी के चलते निजी स्कूल संचालकों में आक्रोश था।
इन मांगों को पूरा करने की अपील
शर्मा ने बताया कि हरियाणा के निजी स्कूलों में 134-ए के अलावा चिराग और आरटीआई के तहत पढ़ने वाले बच्चों की शिक्षा का सरकार की ओर अरबों रुपए बकाया है, जिसके भुगतान के बारे में कईं बार मांग की जा चुकी है। उन्होंने कहा कि हरियाणा के प्राइवेट और सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के साथ सरकार पूरी तरह से भेदभाव कर रही है। मजबूरी में अभिभावक सरकार के इस भेदभाव को सहन कर रहे हैं। उन्होंने अभिभावकों से भी शिक्षा के जगत में हो रहे भेदभाव के खिलाफ साथ देने की अपील की, जिससे इसे खत्म किया जा सके। इसके अलावा कोविड के समय में 2 साल तक स्कूलों में बसें खड़ी रही। इसलिए उनकी लाइफ दो साल के लिए बढ़ानी चाहिए। राजस्थान की तर्ज पर बसों की लाइफ 20 साल या फिर 5 लाख किलोमीटर तय करने के अलावा बसों पर लगे टैक्स भी माफ करने चाहिए।
ऐसे किया जा रहा भेदभाव
उन्होंने उदाहरण देकर सरकार की ओर से किए जा रहे भेदभाव के बारे में बताया कि सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों को 600 करोड़ के टेबलेट दिए गए, जबकि प्राइवेट स्कूल के छात्रों को इस योजना से वंचित रखा गया। हाल ही में आचार संहिता लगने से पहले सरकारी स्कूल के एससी छात्रों को एक लाख 11 हजार छात्रवृति की गई। प्राइवेट स्कूल के छात्रों को इससे भी वंचित रखा गया। इसी प्रकार से इस योजना से बीसी और अन्य केटेगिरी के छात्रों को भी कोई लाभ नहीं दिया गया, जोकि सरकार की भेदभाव पूर्ण नीति को साफ जाहिर करता है।
बीजेपी ने नहीं निभाया वायदा
शर्मा ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी ने अपने घोषणा पत्र में वायदा किया था कि सरकार आने पर स्कूलों से संबंधित नियमों का सरलीकरण कर स्कूलों को मान्यता देने का काम किया जाएगा, लेकिन आज भी निजी स्कूल नियमों में सरलीकरण करने के इंतजार में है। नियमों में किसी प्रकार की छूट नहीं दिए जाने के कारण आज प्रदेश के निजी स्कूलों पर बंदी की तलवार लटक रही है।
सरकार को अपनाना चाहिए ये फॉर्मूला
उन्होंने सरकार को सुझाव देते हुए कहा कि 2011 से जब हरियाणा में आरटीआई का कानून लागू हुआ था, उससे पहले स्कूलों को एक्जिस्टिंग स्कूल मानना चाहिए। इसके साथ ही 2007 से पहले के स्कूलों को शिफ्टिंग नियमों में छूट के साथ 10वीं और 12वीं तक के स्कूलों में जगह को लेकर 25 प्रतिशत की छूट देनी चाहिए। साथ ही 2007 से पहले के अस्थाई मान्यता प्राप्त स्कूलों को एक मुश्त मान्यता देनी चाहिए।
‘अब वोट की चोट से करेंगे वार’
सरकार की ओर से लगातार निजी स्कूलों की अनदेखी किए जाने को लेकर अंबाला में एक महा आक्रोश रैली का आयोजन किया गया था। इस रैली में यह फैसला लिया गया है कि अब एसोसिएशन के सभी साथी वोट की चोट से वार करेंगे। चुनाव में इसका असर भी साफ तौर पर दिखाई देगा। रैली में एसोसिएशन के संबंधित करीब 15 हजार शिक्षक अपने खुद के खर्च से वहां पहुंचे थे। इसे लेकर किसी पर कोई दवाब नहीं था। रैली में सभी ने एकजुटता के साथ यह फैसला लिया है।
‘बयान की बजाए नियम सरल करें’
शिक्षा मंत्री की ओर से बार-बार किसी भी स्कूल को बंद नहीं होने संबंधी दिए बयान का स्वागत करते हुए कुलभूषण शर्मा ने कहा कि बयान की बजाए कोई ठोस जवाब होना चाहिए। इसलिए सरकार को बयानबाजी की बजाए नियमों में सरलीकरण करना चाहिए।