Edited By Manisha rana, Updated: 18 Jun, 2025 01:37 PM

कहते है जब मन में कुछ कर गुजरने की चाहत हो तो बड़ी से बड़ी मंजिल को इंसान अपनी मेहनत से हासिल कर सकता है और बड़े से बड़ा मुकाम भी हासिल कर सकता है। ऐसे ही एक व्यक्ति सुरेंद्र सिंह जो मजदूर से किसान बने हैं।
करनाल : कहते है जब मन में कुछ कर गुजरने की चाहत हो तो बड़ी से बड़ी मंजिल को इंसान अपनी मेहनत से हासिल कर सकता है और बड़े से बड़ा मुकाम भी हासिल कर सकता है। ऐसे ही एक व्यक्ति सुरेंद्र सिंह जो मजदूर से किसान बने हैं। हालांकि अभी उन्होंने वो मंजिल हासिल नहीं की जो उनका सपना है। पर जिस प्रकार वो मेहनत कर रहे हैं उन्हें उम्मीद है जल्द ही उनका वो सपना भी पूरा होगा। तब तक वो इसी तरह से मेहनत करते रहेंगे।
सुरेंद्र ने बताया पहले वह मजदूरी का काम किया करते थे। मैं 2020 से डॉक्टर राजेंद्र से जुड़ा। उन्होंने ही किचन गार्डन शुरू करवाया था, साथ ही साथ करनाल के तकरीबन 100 गांव में हमने महिलाओं को किचन गार्डन के लिए जागरूक भी कर रहे हैं। पिछले 2 सालों में भी अपना किचन गार्डन कर रहा हूं। इससे मेरा रसोई का खर्च हर महीने बच रहा है। सबसे अच्छी बात ये है कि हम अपने घर और गांव के आस-पास जहर मुक्त सब्जी इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि प्रकृति खेती की कुरुक्षेत्र से भी ट्रेनिंग ली है और करनाल एनडीआरआई से भी ट्रेनिंग ली है। घरौंडा स्थित सब्जी उत्कृष्ट केंद्र से भी ट्रेनिंग लेकर मैंने किचन गार्डन का काम शुरू किया है। मेरे काम को देखते हुए 29 मई से 12 जून तक विकसित भारत कृषि अभियान चला हुआ था एनडीआरआई के निर्देशक भी हमारे किचन गार्डन को देखने के लिए पहुंचे थे।
मजदूर किसान ने बताया हालांकि उन्हें अभी इनकम कम हो रही है। लेकिन मैंने पिछले साल अपने 200 गज के प्लाट में 60 गज में हल्दी की खेती से कमाई करके उससे मैने एक इलेक्ट्रिक एक्टिवा भी हल्दी के पैसे की कमाई से ले ली है।उन्होंने कहा मेरे प्लाट में हल्दी,शिमला मिर्च, घीया, तोरी,गन्ना भी लगाया हुआ है। और तीन वैरायटी की हल्दी भी लगाई हुई है। उन्होंने बताया इस बार प्रतिभा नाम की वैरायटी केरल से मंगवाई है, अगर ठीक तरीके से उसकी देखभाल करेंगे तो अधिक मुनाफा होगा। इस बार काली हल्दी भी लगाई है। मजदूर किसान ने बताया कि मजदूरी वो पहले भी करते थे अब भी करते हैं लेकिन घर चलाने में उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था। कई बार जेब में सब्जी लेने के लिए भी पैसे नहीं होते थे और जब से मैं किचन गार्डन कर रहा हूं तब से मेरे घर की सब्जी भी यही से जा रही है। पड़ोस में भी सब्जी दे देते है। कई जगहों पर हम अपनी सब्जी को देकर आते हैं जिससे उन्हें अच्छे दाम मिल जाते हैं। सब्जियों को बेचने के बारे में जब उनसे सवाल पूछा गया था उन्होंने कहा कई वैज्ञानिकों से हम जुड़े हुए हैं वह हमें फोन कर देते हैं और हम उनके घर में सब्जियां पहुंचा देते हैं।सबसे बड़ा बदलाव है हम बीमारियों से बच रहे हैं। सुरेंद्र अब ठेके पर जमीन लेकर किचन गार्डन को बड़े स्तर पर करना चाहता है और अपने सपने को सरकार भी करना चाहता है।
डॉक्टर राजेंद्र सिह जिन्होंने सुरेंद्र की जिंदगी में बदलाव लाया और उसे मजदूरी के साथ किसान बनाया उन्होंने बताया सुरेंद्र ने किचन गार्डन की अगर देखा जाए तो जो मजदूरी करने वाले परिवार है उनको पौष्टिक आहार मिले वो खरीद नही सकते य मंहगे फल फ्रूट है उस पर जब कोरोना आया तब हमने महिलाओं को खेती करने के लिए पैकेट दिए। उंसमे ये फायदा हुआ एक तो उनका खर्चा बचा है। साथ- साथ बच्चो और पूरे परिवार को काम करने का मौका मिला पूरा परिवार ही काम करता है। 2022 में प्राकृतिक खेती की और आए , काफी महिलाओं ने इसमे उत्साह दिखाया है। पुरुषों से अधिक महिलाओं में खेती करने को लेकर काफी उत्साह है। 100 के करीब महिलाएं छोटी जगह में जियो अमृत डालकर किचन गार्डन में सब्जी लगा रही है। सुरेंद्र ने भी बहुत मेहनत की जिसके बाद अब सुरेंद्र अपने और अपने परिवार का गुजर बसर ठीक तरीके से कर पा रहा है।
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