हरियाणा में मुर्दों को दे डाली पेंशन, हाईकोर्ट ने नोटिस जारी कर मांगा जवाब, जानें क्या है पूरा मामला

Edited By Gourav Chouhan, Updated: 25 Feb, 2023 11:37 AM

pension to dead people in haryana high court issued a notice

समाज कल्याण विभाग के एसीसी तथा विजिलेंस ब्यूरो के महानिदेशक को 12 सप्ताह में इस बारे में विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर हाईकोर्ट में दाखिल करने के निर्देश दिए गए हैं।

चंडीगढ़(चंद्रशेखर धरणी) : मनोहर सरकार पार्ट-2 के आखिरी पूर्ण बजट में जहां बुढ़ापा पेंशन में बढ़ोतरी का ऐलान किया है, तो वहीं प्रदेश में पेंशन को लेकर एक बड़ा खुलासा हुआ है। दरअसल प्रदेश में उन लोगों को भी पेंशन बांट दी गई, जिनकी मौत हो चुकी है। यह खुलासा पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में दायर एक याचिका के बाद हुआ है। इस याचिका पर कार्रवाई करते हुए हाईकोर्ट ने समाज कल्याण विभाग के मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। समाज कल्याण विभाग के एसीसी तथा विजिलेंस ब्यूरो के महानिदेशक को 12 सप्ताह में इस बारे में विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर हाईकोर्ट में दाखिल करने के निर्देश दिए गए हैं।

 

आरटीआई कार्यकर्ता ने याचिका दायर कर किया मामले का खुलासा

दरअसल बीते दिनों हरियाणा के आरटीआई कार्यकर्ता राकेश बैंस ने अपने वकील प्रदीप रापडिया के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर कर हरियाणा में हुए पेंशन वितरण घोटाले की सीबीआई जांच कराने की मांग की थी। याचिका में आरोप लगाया गया है कि तत्कालीन सरपंचों व नगर पालिका के पार्षदों ने समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों से मिलीभगत कर ऐसे व्यक्तियों को पेंशन वितरण कि जो स्वर्ग सिधार चुके हैं। इस पूरे घोटाले में सरकार को करोड़ों रुपये का चूना लगाया गया है।

 

घोटाले में पुलिस कर्मियों के भी शामिल होने का आरोप

याची के वकील प्रदीप रापडिया ने कोर्ट को बताया कि सिर्फ कुरुक्षेत्र में 13 लाख 43 हजार 725 रुपए की राशि सरकारी खजाने में जमा कराई गई। इस घोटाले को दबाने के इरादे से पुलिस ने पूरे घोटाले को अंजाम देने के जुर्म में सिर्फ एक रिटायर्ड सेवादार व क्लर्क के खिलाफ निचली अदालत में बोगस व जाली चालान पेश कर दिया।

 

12 सप्ताह में सौंपनी होगी रिपोर्ट, सीबीआई को सौंपी जा सकती है जांच

हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव समाज कल्याण विभाग को 12 हफ्तों में विस्तृत हलफनामा दायर करते हुए समाज कल्याण विभाग के भ्रष्ट अधिकारियों व पार्षदों के खिलाफ भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत कार्रवाई का विवरण देने को कहा है। इसी के साथ यह चेतावनी भी दी है कि यदि संतुष्टिजनक विभाग की ओर से न्यायालय में संतुष्ट करने वाला जवाब नहीं दिया गया तो घोटाले की जांच सीबीआई को सौंप दी जाएगी।

 

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