Edited By Saurabh Pal, Updated: 05 Aug, 2024 06:24 PM
भारत को मेडल की उम्मीद एथलेटिक्स में सबसे अधिक है। पेरिस ओलंपिक अपने मध्य पड़ाव तक पहुंच चुका है, लेकिन अभी तक भारतीय खिलाड़ी ब्रॉंज मेडल से आगे नहीं जा पाए हैं। पूरे देश की उम्मीदें अब एथलेटिक्स पर टिकी हैं...
डेस्कः भारत को मेडल की उम्मीद एथलेटिक्स में सबसे अधिक है। पेरिस ओलंपिक अपने मध्य पड़ाव तक पहुंच चुका है, लेकिन अभी तक भारतीय खिलाड़ी ब्रॉंज मेडल से आगे नहीं जा पाए हैं। पूरे देश की उम्मीदें अब एथलेटिक्स पर टिकी हैं। उम्मीद की जा रही है भारत की झोली में गोल्ड और सिल्वर मेडल एथलेटिक्स से आएंगे। कुश्ती में आज पानीपत की निशा दहिया जोर आजमाएंगी।
जैवलिन में नीरज चौपड़ा के बाद सबसे अधिक उम्मीद कुश्ती से है। हरियाणा से 6 कुश्ती खिलाड़ी पेरिस ओलंपिक में अपना बाहुबल दिखाएंगे। आज से हरियाणा की निशा दहिया कुश्ती के मैट पर अपना जौहर दिखाएंगी। गौरतलब है कि निशा दहिया प्री क्वार्टर फाइनल मुकाबले से शुरुआत करेंगी। इसके बाद आज ही कुछ समय अंतराल के बाद क्वार्टर फाइनल उसके बाद सेमीफाइनल खेलेंगी। सेमीफाइनल में अगर वह जीत जाती हैं तो मेडल पक्का हो जाएगा।
निशा दहिया का आज कार्यक्रम
आज भारतीय पहलवान निशा दहिया भारत के लिए पदक पक्का करने का इरादा लेकर उतरेंगी। महिला रेसलिंग फ्री स्टाइल के 68 किलो भारवर्ग में शाम 6.30 बजे प्री क्वार्टर फाइनल मुकाबला खेला जाएगा। इस मैच को अगर वो जीतने में कामयाब हुई तो शाम 7.50 बजे क्वार्टर फाइनल खेलने का मौका मिलेगा। यहां भी निशा ने अपना दांव सही लगाया तो रात 1.10 बजे सेमीफाइनल में उतरने का मौका हासिल करेंगी।
13 वर्ष की उम्र से कुश्ती खेल रहीं निशा
ऐतिहासिक पानीपत की धरती पर जन्म लेने वाली निशा दहिया महज 13 वर्ष की उम्र से ही कुश्ती की ट्रेनिंग ले रहीं हैं। वह अपने परिवार में सबसे छोटी बेटी हैं। निशा ने अपने किसान पिता के सपने को पूरा करने के लिए कुश्ती के खेल को चुना।
जरूर मेडल जीतेगी निशाः निशा दहिया की मां
वहीं निशा की मां बबली ने बताया कि निशा शुरुआत से पढ़ाई से ज्यादा खेलकूद की तरफ आकर्षित थीं, इसलिए परिवार वालों ने उनको गांव निडानी जिला जींद में कुश्ती के अभ्यास के लिए भेज दिया था। निशा ने अंडर-16 2014 एशियन खेल थाईलैंड में पहला मेडल जीता था। आज पेरिस ओलंपिक में जब निशा कुश्ती के मैदान में उतरने वाली है। इस बड़े ही गर्व से बबली बतातीं हैं कि जब पहली बार मेडल निशा ने जीता तो पूरे गांव के लोग खुश हुए। उन्होंने कहा कि इससे पहले मेडल के बारे में उन्हें नहीं पता था। निशा की मां कहती हैं उनके ओलंपिक में जाना ही किसी मेडल से कम नहीं है। अंत में वह कहती हैं कि निशा जरूर मेडल लाएगी।
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