किसानों के माथे पर नहरों में कटाव की चिंता के साथ Monsoon अलविदा

Edited By Isha, Updated: 02 Oct, 2024 12:53 PM

monsoon bids farewell with farmers worried about erosion in canals

बीते वर्ष यमुना नदी में कटाव से बर्बादी का दंश देने वाला मानसून इस बार 2 नहरों में कटाव के साथ सोमवार को अलविदा हो गया है। 11 अगस्त को जहां 382 करोड़ रुपए की लागत से तैयार की जा रही आवर्धन नहर में कटाव हुआ,

करनाल(मुकेश): बीते वर्ष यमुना नदी में कटाव से बर्बादी का दंश देने वाला मानसून इस बार 2 नहरों में कटाव के साथ सोमवार को अलविदा हो गया है। 11 अगस्त को जहां 382 करोड़ रुपए की लागत से तैयार की जा रही आवर्धन नहर में कटाव हुआ, वहीं 26 अगस्त में भी पश्चिमी यमुना नहर रेलवे ब्रिज अंडर पास के पास नहर का एक बड़ा हिस्सा पानी के तेज बहाव में क्षतिग्रस्त हो गया। 

बात अगर पिछले वर्ष की करें तो यमुना के साथ लगते गांवों में बाढ़ से बर्बादी का मंजर देखने को मिला था जिसके जख्म अभी तक किसानों में प्रशासन की लापरवाही से हरे हैं। इस बार 2 नदियों के कटाव में जान-माल का नुक्सान तो नहीं हुआ लेकिन प्रत्येक वर्ष की तरह किसानों के माथे पर बाढ़ की चिंता सताती रही। 

एक बार आवर्धन नहर के कटाव ने परेशानी बढ़ा दी थी लेकिन समय रहते कटाव पर काबू पा लिया गया। डब्ल्यू.जे.सी. के कटाव ने भी डराया जरूर था जहां विभागों की सतर्कता ढाल बनके सामने आई। पिछली बार दो बार यमुना के पानी ने खतरे के निशान काे छुआ था जोकि इस  बार शांत रही। 

जलभराव से फसल बर्बादी पर अभी प्रयास अधूरे:कर्णनगरी में आवर्धन, नरवाना ब्रांच, हांसी ब्रांच, मूनक हैड, पिचौलिया हैड, पश्चिमी यमुना नहर, एस.वाई.एल. व यमुना नदी के साथ लगते किसानों को प्रत्येक वर्ष फसल बर्बादी के दंश को झेलना पड़ता है। 

किसान सहदेव, बिजेंद्र, सोमपाल, जितेंद्र, देवेंद्र, जोनी, राहुल ने बताया कि जब भी कर्णनगरी में मानसून सीजन के दौरान भारी बारिश होती है तो उन्हें नदी और नहरों के साथ लगते खेतों में पानी का डर सताने लगता है।  

आज भी डराते हैं यमुना में बर्बादी के निशान 
खेतों में जमी स्लिट से बर्बाद फसल को झेलने वाले किसानों को आज भी बाढ़ का प्रकोप भूला नहीं है। इसी मंजर के गवाह गांव सिंधाली के जोनी ने बताया कि यमुना कटाव से खेतों की पैमाइश के अलावा बाढ़ ने हमेशा जख्म दिए हैं।

आज भी कई किसानों के खेत पड़ोसी राज्य में होने के कारण कचहरी के चक्कर काटने पढ़ रहे हैं जबकि 15 वर्षों से जलभराव से फसल नुक्सान काे झेलते आ रहे हैं। इधर प्रशासन ने 8 स्थानों पर करीब 24 करोड़ रुपए खर्च किए हैं। 

35 प्रतिशत आवर्धन नहर का काम बाकी
सिंचाई विभाग द्वारा 75 किलोमीटर आवर्धन नहर का 382 करोड़ रुपए की लागत से जीर्णाेद्धार किया जा रहा है। निर्माण कार्य को पूरा करने की अवधि 30 जून 2024 थी लेकिन अभी भी इसका 35 प्रतिशत काम बाकी है। नहर में पानी की क्षमता भी 4500 क्यूसिक से बढ़ाकर 6 हजार की जाएगी। 

नहर पर 45 पुलों का भी निर्माण करवाया जा रहा है। वहीं बात अगर पश्चिमी यमुना नहर की करें तो वर्ष 2018 से 2021 तक 202 करोड़ रुपए से 49 किलोमीटर नहर का चौड़ीकरण किया गया था। 

दावा था कि इसमें 13,300 क्यूसिक पानी का बहाव होगा लेकिन इस सीजन इसमें जैसे ही 12 हजार क्यूसिक पानी छोड़ा गया पानी ने तटों को तोड़ना शुरू कर दिया। एक के बाद एक 3 जगह पर कटाव हुआ। गनीमत रही कि विभाग ने समय में इस पर संज्ञान लेते हुए दिन-रात कई दिनों तक इसे दुरुस्त करवाया।

Trending Topics

Afghanistan

134/10

20.0

India

181/8

20.0

India win by 47 runs

RR 6.70
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!