विरोधियों के चक्रव्यूह में उलझे लालू के दामाद समेत हरियाणा के लालों के ‘लाल’, दांव पर वारिसों की प्रतिष्ठा

Edited By Manisha rana, Updated: 07 Oct, 2024 08:56 AM

lalu s son in law and other laal haryana lals entangled maze opponents

हरियाणा की 15वीं विधानसभा के गठन के लिए संपन्न हुई चुनाव प्रक्रिया में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के दामाद समेत हरियाणा के कई पूर्व मुख्यमंत्रियों के वारिसों की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी है।

चंडीगढ़ (चंद्रशेखर धरणी) : हरियाणा की 15वीं विधानसभा के गठन के लिए संपन्न हुई चुनाव प्रक्रिया में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के दामाद समेत हरियाणा के कई पूर्व मुख्यमंत्रियों के वारिसों की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी है। इस चुनाव में पूर्व उप प्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल के परिवार के आठ, पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी भजनलाल के तीन वारिसों समेत पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी बंसीलाल के पौत्र अनिरुद्ध चौधरी और पौत्री श्रुति चौधरी की राजनीतिक विरासत की किस्मत ईवीएम में बंद हो चुकी है। 

7 पूर्व मुख्यमंत्रियों के वारिसों ने लड़ा चुनाव

इस बार के चुनाव में हरियाणा प्रदेश के सात पूर्व मुख्यमंत्रियों के वारिस चुनावी मैदान में थे। इनमें हरियाणा के प्रथम मुख्यमंत्री पंडित भगवत दयाल शर्मा की पौत्रवधू इंदु शर्मा (आम आदमी पार्टी) भिवानी और द्वितीय मुख्यमंत्री राव बिरेंद्र सिंह की पौत्री तथा केंद्रीय राज्यमंत्री राव इंद्रजीत की बेटी आरती राव (भाजपा) अटेली, हरियाणा के मुख्यमंत्री रह चुके ताऊ देवीलाल के बड़े बेटे रणजीत सिंह चौटाला सिरसा के रानियां, रानियां से ही पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला के पौत्र और इंडियन नेशनल लोकदल प्रत्याशी अर्जुन चौटाला, जननायक जनता पार्टी बनाने वाले पूर्व उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला जींद, डबवाली में दिग्विजय सिंह चौटाला, डबवाली से ही आदित्य चौटाला और भाई अमित सिहाग अलग-अलग दलों की टिकट पर चुनावी मैदान में है। पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला के बेटे अभय सिंह चौटाला ऐलनाबाद और बहू सुनैना चौटाला फतेहाबाद चुनावी मैदान में थी। 

हिसार के आदमपुर में पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल के पौत्र भव्य बिश्नोई और पंचकूला से उनके बड़े बेटे चंद्रमोहन के अलावा फतेहाबाद से भजनलाल के भतीजे दूड़ाराम चुनावी मैदान में थे। अब इन सबकी किस्मत ईवीएम में बंद हो चुकी है। ऐसे में हर किसी को अब 8 अक्टूबर का इंतजार है, क्योंकि उसी दिन मतगणना के बाद पता चल पाएगा कि किस पूर्व मुख्यमंत्री की राजनीतिक विरासत का कौन उत्ताराधिकारी बन पाता है।

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