दिल्ली के दंगल में कृष्ण बेदी निभा रहे 32 विधानसभा सीटों पर सारथी की भूमिका

Edited By Deepak Kumar, Updated: 02 Feb, 2025 02:18 PM

krishan bedi will campaign in 32 assembly seats of delhi election

कृष्ण बेदी दिल्ली की त्रिलोकपुरी विधानसभा में चुनाव प्रचार करने के साथ ही 32 विधानसभा क्षेत्रों में चुनावी प्रचार कर रहे हरियाणा भाजपा के साथ दिल्ली व अन्य राज्य के नेताओं के बीच आपसी तालमेल कर प्रचार को बखूबी निभा रहे हैं।

चंडीगढ़ (चंद्रशेखर धरणी) : देश की राजधानी दिल्ली के चुनावी दंगल का प्रचार अपने अंतिम चरण में पूरे शिखर पर पहुंच चुका है। ऐसे में जहां आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के दिग्गज नेता चुनाव प्रचार में जुटे हुए हैं। वहीं, पिछले 27 सालों से दिल्ली की सत्ता से दूर रहने वाली भारतीय जनता पार्टी इस बार फिर से दिल्ली की सत्ता पर काबिज होने के लिए पूरे दमखम के साथ मैदान में उतरी हुई है। भारतीय जनता पार्टी इस बार दिल्ली की सत्ता हासिल करने के लिए हरियाणा के विधानसभा चुनाव का फार्मूला अपना रही है।

इसी के चलते हरियाणा भाजपा के तमाम दिग्गज नेताओं को पार्टी की ओर से दिल्ली के चुनावी दंगल में उतारा गया है। हरियाणा के कैबिनेट मंत्री और दलित नेता कृष्ण बेदी को त्रिलोकपुरी विधानसभा के चुनाव प्रचार के साथ दिल्ली की 32 विधानसभा सीटों पर नेताओं के बीच आपसी सामंजस्य बनाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। पार्टी की ओर से सौंपी गई जिम्मेदारी मिलने के बाद से ही कृष्ण बेदी दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं। पार्टी हाई कमान और दिग्गज नेताओं के दिशा निर्देश में कृष्ण बेदी दिल्ली की त्रिलोकपुरी विधानसभा में चुनाव प्रचार करने के साथ ही 32 विधानसभा क्षेत्रों में चुनावी प्रचार कर रहे हरियाणा भाजपा के साथ दिल्ली व अन्य राज्य के नेताओं के बीच आपसी तालमेल कर प्रचार को बखूबी निभा रहे हैं। 

दिल्ली के चुनाव प्रचार में डटे हरियाणा के कैबिनेट मंत्री कृष्ण कुमार बेदी ने बताया कि दिल्ली की 32 विधानसभा सीटों पर हरियाणा का शीर्ष नेतृत्व काम कर रहा हैं। उन्हें त्रिलोकपुरी विधानसभा के साथ बाकी नेताओं के साथ तालमेल बैठाने की जिम्मेदारी मिली है। इसके चलते वह सभी 32 विधानसभा सीटों को छू रहे हैं। बीती 2 जनवरी से वह लगातार दिल्ली में है। इस दौरान वह हर जाति वर्ग, हर उम्र, हर कारोबारी और नौकरी करने वालों से व्यक्तिगत तौर पर मिल रहे हैं। 

घोषणा पत्र पर पहले दिन से शुरू किया कार्य

हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी की सरकार के 100 दिन पूरे होने पर कृष्ण बेदी ने कहा कि उनकी सरकार ने पहले दिन से ही अपने घोषणा पत्र पर काम करना शुरू कर दिया था। चुनाव के दौरान वादा किया था कि जिन 24 हजार युवाओं का नौकरी में चयन हो गया था, लेकिन कांग्रेस के कोर्ट में जाने के कारण उन्हें नियुक्ति पत्र नहीं मिल पाए थे। उस समय मुख्यमंत्री ने कहा था कि वह बाद में शपथ लेंगे, युवाओं को उनके नियुक्ति पत्र पहले देंगे। बेदी ने बताया कि 17 को मुख्यमंत्री ने शपथ ली और उससे एक दिन  पहले ही युवाओं को घर बैठे नियुक्ति पत्र मिल गए थे। सीएम ने डीएससी समाज को आरक्षण में आरक्षण देने की बात कही थी। पहली कैबिनेट की बैठक में डीएससी समाज के लोगों को आरक्षण देने का काम किया गया। सभी फसलों को एमएसपी पर खरीदने और 72 घंटे में उसका भुगतान देने का काम किया जा रहा है। महिलाओं को 500 रुपए में सिलेंडर दिया जा रहा है। केंद्र में 21 बीमारियों से ग्रस्त व्यक्तियों को दिव्यांग पेंशन में रखा जा रहा है। कैबिनेट की पिछली मीटिंग में हरियाणा में इस पर भी मुहर लगाने का काम किया गया है। भ्रष्ट व्यक्तियों की लिस्ट बनाई गई है।

कांग्रेस के पास ना कोई सोच, ना कोई नीति

हरियाणा के कैबिनेट मंत्री बेदी ने कहा कि कांग्रेस के पास ना कोई नीति है, ना कोई नीयत और ना कोई सोच है। डॉ. अंबेडकर के नाम पर राजनीति करने वाली कांग्रेस ने अपने शासन के दौरान उनके लिए कुछ नहीं किया। भारतीय जनता पार्टी ने जिस मकान में बाबा साहब का देहांत हुआ वहां संग्रहालय बनाने का काम किया। जन्म भूमि महूं में सेना से कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद महंगे दामों पर जमीन लेकर वहां संग्राहलय बनाने का काम किया। बाबा साहब अंबेडकर से जुड़े 5 स्थानों को तीर्थ बनाने का कार्य भाजपा ने किया। 

हरियाणा के इन नेताओं को मिला जिम्मा

दिल्ली में विधानसभा चुनाव की घोषणा से पहले ही राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई थी। अब चुनाव की घोषणा होने के साथ ही राजनीतिक पारा भी चढ़ेगा। चुनाव की घोषणा से पहले ही बीजेपी, कांग्रेस और आप ने अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी थी। इसके साथ ही सभी राजनीतिक दलों ने पड़ोसी राज्यों के नेताओं की दिल्ली चुनाव को लेकर ड्यूटी लगानी भी शुरू कर दी गई है। इस बार भारतीय जनता पार्टी की ओर से दिल्ली के चुनाव में हरियाणा के नेताओं को बड़ी जिम्मेदारी दी गई है। भाजपा की ओर से हरियाणा के कईं मंत्रियों, पूर्व मंत्रियों के अलावा कईं अन्य नेताओं को अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों की जिम्मेदारी दी गई है। इनमें हरियाणा के शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा को पश्चिमी दिल्ली, कैबिनेट मंत्री कृष्ण बेदी को त्रिलोकपुरी, कैबिनेट मंत्री कृष्णलाल पंवार को कुंडली, केंद्रीय राज्यमंत्री कृष्णपाल गुर्जर को दक्षिण दिल्ली जिला, पूर्व मंत्री असीम गोयल को करोल बाग, पूर्व स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता को माडल टाउन, पूर्व मंत्री कमल गुप्ता को चांदनी चौक, पूर्व मंत्री डा. बनवारी लाल को नई दिल्ली, पूर्व मंत्री मनीष ग्रोवर को ग्रेटर कैलाश, पूर्व मंत्री ओपी यादव को बादली, पूर्व सांसद सुनीता दुग्गल को देवली, पूर्व मंत्री जेपी दलाल को ब्रिजवासन, पूर्व मंत्री कमलेश ढांडा को पालम, पूर्व विधायक बिशम्बर वाल्मिकी को अंबेडकर नगर की जिम्मेदारी दी गई है। हरियाणा के प्रभारी सतीश पूनिया को भी दिल्ली चुनाव में विशेष जिम्मेदारी दी गई है। 

गुरु-शिष्य की रहेगी अहम भूमिका

दिल्ली में होने वाले विधानसभा चुनाव में हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और केंद्रीय मंत्री व करनाल से सांसद मनोहर लाल की भी अहम भूमिका है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और मनोहर लाल स्टार प्रचारक की भूमिका निभा रहे हैं। इसके साथ ही वह लगातार हरियाणा के नेताओं के साथ बैठक कर रणनीति बनाने में भी जुटे हैं। दिल्ली में पंजाबी, जाट, गुर्जर, ब्राह्मण, वैश्य और दलित समुदाय के लोग काफी संख्या में हैं। हरियाणा के लोग भी दिल्ली में काफी संख्या में रहते हैं। वहीं, हरियाणा एक ऐसा राज्य है, जहां भाजपा ने केंद्र सरकार के साथ तीसरी बार वापसी की है। लिहाजा पार्टी ने हरियाणा के तेज तर्रार नेताओं को जिम्मेदारी देने का फैसला किया है।

इन राज्यों के नेताओं ने भी संभाली जिम्मेदारी

भारतीय जनता पार्टी की ओर से इस बार दिल्ली के चुनावी दंगल में हरियाणा के अलावा राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के प्रमुख नेताओं की दिल्ली चुनाव में जिम्मेदारी तय की है। 

1993 में बनी थी बीजेपी सरकार

बता दें कि दिल्ली में बीजेपी की सरकार 1993 में बनी थी। उस समय बीजेपी ने मदनलाल खुराना को मुख्यमंत्री बनाया था। हालांकि, बीजेपी को 49 सीटों पर बड़ी जीत मिलने के बाद भी पांच साल के कार्यकाल में तीन मुख्यमंत्री बदलने पड़े थे। बीजेपी ने मदनलाल खुराना के बाद साहिब सिंह वर्मा और फिर अंत में सुषमा स्वराज को सीएम बनाया था। इसके बाद से दिल्ली में बीजेपी की सरकार नहीं बनी।

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