हरियाणा के ऐतिहासिक किलों का होगा जीर्णोद्धार, किलाजफरगढ़ व सफीदों को मिलेगा नया रूप

Edited By Deepak Kumar, Updated: 18 Sep, 2025 07:04 PM

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हरियाणा में प्राचीन व ऐतिहासिक महत्व के दो प्रमुख किलों किलाजफरगढ़ और सफीदों का अब जीर्णोद्धार व सौंदर्यीकरण किया जाएगा। इस कार्य का वर्चुअल शुभारंभ राज्य के पर्यटन मंत्री डॉ. अरविंद शर्मा ने किया।

डेस्कः हरियाणा में प्राचीन व ऐतिहासिक महत्व के दो प्रमुख किलों किलाजफरगढ़ और सफीदों का अब जीर्णोद्धार व सौंदर्यीकरण किया जाएगा। इस कार्य का वर्चुअल शुभारंभ राज्य के पर्यटन मंत्री डॉ. अरविंद शर्मा ने किया। वे नारनौल में सेवा पखवाड़ा के अंतर्गत आयोजित राज्य स्तरीय कार्यक्रम में शामिल हुए थे। वहीं, जिला स्तर पर उपायुक्त मोहम्मद इमरान रजा ने इन कार्यों का विधिवत शिलान्यास किया।

12 करोड़ रुपये होंगे खर्च

किलाजफरगढ़ किले पर लगभग 5.53 करोड़ रुपये और सफीदों किले पर करीब 6.78 करोड़ रुपये की राशि खर्च की जाएगी। उपायुक्त ने बताया कि राज्य सरकार का उद्देश्य प्रदेश की ऐतिहासिक धरोहरों को संरक्षित करना है, ताकि आने वाली पीढ़ियां अपने गौरवशाली इतिहास से परिचित हो सकें। इसके तहत सरकार ने 20 संरक्षित स्थलों और पर्यटन केंद्रों के विकास हेतु 95 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया है। इनमें सबसे अधिक कार्य नारनौल क्षेत्र में किए जाएंगे। इन ऐतिहासिक धरोहरों को न केवल संरक्षित किया जाएगा, बल्कि इन्हें पर्यटन केंद्र के रूप में भी विकसित किया जाएगा, जिससे क्षेत्रीय पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा।

पारंपरिक तकनीकों से होगा संरक्षण

जीर्णोद्धार कार्यों में पारंपरिक निर्माण सामग्री और तकनीकों का उपयोग किया जाएगा। चूना आधारित मोर्टार और स्थिरीकरण विधियों से दीवारों की मरम्मत की जाएगी। जहां-जहां प्लास्टर क्षतिग्रस्त है, वहां उसे पारंपरिक तरीके से पुनः लगाया जाएगा। फर्श की मरम्मत कर उसे मूल स्वरूप से मेल खाती सामग्री में बदला जाएगा।

इसके अलावा दोनों किलों में शौचालय, बेंच, छायादार क्षेत्र, प्रकाश व्यवस्था, सुरक्षा ग्रिल, और परिधि में चारदीवारी जैसी आवश्यक सुविधाएं भी विकसित की जाएंगी। इस अवसर पर HSRDC के कार्यकारी अभियंता शशांक, प्रवीण परुथी सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।

सफीदों किला: एक ऐतिहासिक सैन्य छावनी

सफीदों किला 18वीं सदी में जींद के फुलकिया वंश के शासकों द्वारा बनवाया गया था। इसे मुख्य रूप से सैन्य छावनी के रूप में इस्तेमाल किया जाता था। इसमें निगरानी के लिए कई बुर्ज बनाए गए थे। यह किला लंबे समय तक जींद की सैन्य रणनीति का केंद्र रहा। वर्तमान में यह किला जर्जर अवस्था में है, जिसकी दीवारों में बड़ी-बड़ी दरारें आ चुकी हैं।

किलाजफरगढ़: 1857 की क्रांति के बाद बना था रणनीतिक किला

1857 की क्रांति के पश्चात जींद और दादरी के बीच प्रभाव बनाए रखने के उद्देश्य से जींद के राजा ने लजवाना गांव में इस किले का निर्माण करवाया था। यह स्थान एक प्रकार की आरामगाह के रूप में भी इस्तेमाल होता था। बाद में गांव का नाम बदलकर किलाजफरगढ़ रख दिया गया। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान विद्रोह को दबाने के लिए भी इस किले का उपयोग किया गया। आजादी के बाद, 1970 के आसपास यह किला हरियाणा घोड़ा पुलिस का प्रशिक्षण केंद्र भी बना। लेकिन अब यह पूरी तरह जर्जर अवस्था में पहुंच चुका है, और ग्रामीणों ने इसके संरक्षण की कई बार मांग उठाई थी।

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