ELECTION 2019: लोकसभा सीट करनाल, लोगों का बाहरी उम्मीदवार से तौबा

Edited By Shivam, Updated: 12 Mar, 2019 11:03 AM

karnal loksabha seat election 2019

सी.एम.सिटी करनाल लोकसभा चुनाव में वैसे तो बाहरी उम्मीदवारों को ज्यादा रास आती ही है,लेकिन कभी-कभार स्थानीय उम्मीदारों का भाग्य खोलने में भी अहम भूमिका निभाता है। यही कारण है कि हर बार आम चुनाव के समय लोकल उम्मीदवारों के साथ भारी संख्या में बाहरी...

करनाल (सुरजीत खर्ब/विनीत पांडेय) : सी.एम.सिटी करनाल लोकसभा चुनाव में वैसे तो बाहरी उम्मीदवारों को ज्यादा रास आती ही है,लेकिन कभी-कभार स्थानीय उम्मीदारों का भाग्य खोलने में भी अहम भूमिका निभाता है। यही कारण है कि हर बार आम चुनाव के समय लोकल उम्मीदवारों के साथ भारी संख्या में बाहरी उम्मीदवार भी इस सीट से अपना भाग्य आजमाते हैं।  इस बार भी यहां से चुनाव लडऩे वाले उम्मीदवारों में बाहरी दावेदारों की संख्या ज्यादा और स्थानीय की कम है। इसका एक कारण अभी के सांसद अश्वनी चोपड़ा भी हैं।

अपने 5 साल के कार्यकाल में यह ना तो अपने क्षेत्र में दिखे और न ही अपने चुनावी वायदों को पूरा किया। जिसके कारण ही कई बार पानीपत व करनाल जिले में उनके विरोध में पोस्टर भी लग चुके हैं। यहां तक कि आम जनता ने पोस्टर लगाकर उन्हें गुमशुदा तक घोषित कर दिया,लेकिन इसके बाद भी वे अपने लोकसभा क्षेत्र में नहीं दिखे और आखिर में बीमारी का हवाला देकर इस बार चुनाव लडऩे से मना कर दिया,जिसके कारण भाजपा की टिकट पाने की दावेदारी करने वाले कई उम्मीदवार मैदान में हैं। इस बार आम जनता भी बाहरी की जगह लोकल उम्मीदवार का चुनाव करने का मन बना चुकी है।

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करनाल संसदीय क्षेत्र के अहम मुद्दे
इंटरनैशनल खेल स्टेडियम : सांसद अश्विनी चोपड़ा ने करनाल में इंटरनैशनल लेवल का खेल स्टेडियम बनाने का वायदा किया था,लेकिन यह भी सिर्फ चुनावी वायदे तक सीमित रहा। इस संबंध में सरकार द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई। सांसद द्वारा लोकसभा सत्र दौरान खेल मंत्रालय से स्टेडियम के बारे में जानकारी मांगी गई थी जिसका उत्तर देते हुए खेल राज्य मंत्री राज्यवर्धन राठौर ने कहा था कि करनाल में स्टेडियम बनाने के लिए न तो कोई मांग आई है और न ही कोई प्रक्रिया चल रही है।

पानीपत में जाम का मुद्दा : पानीपत एक ऐतिहासिक व औद्योगिक शहर है लेकिन आज तक यहां जाम की समस्या का हल नहीं हुआ। जी.टी.रोड पर फ्लाईओवर बनने के बाद भी समस्या जस की 
तस है। 

शूगर मिल : पानीपत में गोहाना रोड पर शूगर मिल है जिसको शिफ्ट करने की घोषणाएं ही होती रही हैं लेकिन जमीनी स्तर पर कुछ नहीं हो रहा। 
पानी निकासी : पानीपत में पानी निकासी सही से नहीं हो पाती। हल्की सी बारिश होने पर हर गली तालाब बन जाती है। मुख्य बाजारों की दुकानों में भी पानी भर जाता है। 
बस अड्डा शिफ्ट होना : पानीपत में जाम का सबसे बड़ा कारण बस अड्डा है लेकिन अभी तक बस अड्डा शिफ्ट नहीं हुआ है।  

टोल टैक्स बैरियर : पानीपत के लोगों को पुल का कोई काम नहीं लेकिन यहां के लोगों को ही टोल टैक्स भरना पड़ता है,कई बार टोल टैक्स बैरियर हटवाने की मांग की जा चुकी है। 
अवैध कालोनी : कहने को तो अवैध कालोनियों को वैध कर दिया गया है लेकिन अभी भी कालोनियों में वैध की तरह नहीं रजिस्ट्री हो रही है तथा न ही काम हो रहा है।  
पार्कों के निर्माण में घोटाला : शहर में बनाए गए बहुत से पार्कों में करोड़ों रुपए के घोटाले के आरोप लगने के बाद सी.एम. फ्लार्इंग द्वारा जांच जारी है, तब से यह बड़ा मुद्दा बना हुआ है। 

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एन्हासमैंट की समस्या : सभी सैक्टरों में शहर वासियों की एन्हासमैंट की समस्या भी बड़ा मुद्दा बनी हुई है। 
सांसद का न मिलना : लोकसभा के सांसद लोगों के बीच नहीं आ रहे हैं। पहले भी हलके में कम ही दिखाई देते थे। आने वाले चुनाव में यह भी मुद्दा हो सकता है। 
रोजगार की समस्या : करनाल के सांसद या सरकार की ओर से सरकारी या गैर सरकारी रोजगार के लिए कोई बड़ा उद्योग नहीं लगवाया गया। इससे बेरोजगार युवकों में निराशा है। सरकारी नौकरी में मैरिट का आधार बताने से सत्ता पक्ष के पदाधिकारियों या परिजनों को नौकरी न मिलने से सरकार को चुनाव में नाराजगी उठानी पड़ सकती है।

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