हरियाणा डीजीपी मनोज यादव के कार्यकाल पर सवालिया निशान क्यों?

Edited By Shivam, Updated: 05 Feb, 2020 09:09 PM

issue raised on haryana dgp posting

हरियाणा प्रदेश में डीजीपी पद की नियुक्ति को लेकर बीते सालों में अक्सर कथित विवाद बना रहा है। बीते साल जहां पूर्व डीजीपी बीएस संधू की सेवानिवृत्ति के बाद केपी सिंह को हरियाणा डीजीपी का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया था, इसके बाद मौजूदा डीजीपी मनोज यादव...

चंडीगढ़ (धरणी): हरियाणा प्रदेश में डीजीपी पद की नियुक्ति को लेकर बीते सालों में अक्सर कथित विवाद बना रहा है। बीते साल जहां पूर्व डीजीपी बीएस संधू की सेवानिवृत्ति के बाद केपी सिंह को हरियाणा डीजीपी का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया था, इसके बाद मौजूदा डीजीपी मनोज यादव की नियुक्ति की गई। अब हरियाणा डीजीपी मनोज यादव के पद पर बने रहने को सवाल उठने लगे हैं। यहां आईपीएस मनोज यादव के कार्यकाल पर पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने सवाल उठाए हैं।

पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने बताया कि हरियाणा सरकार द्वारा बीते वर्ष सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अनुपालना में संघ लोक सेवा आयोग द्वारा राज्य सरकार को भेजे गए तीन वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों के पैनल में से 1988 बैच के आईपीएस अधिकारी मनोज यादव को 18 फरवरी 2019 को राज्य के पुलिस प्रमुख (महानिदेशक) (डी.जी.पी.) के तौर पर नियुक्त/तैनात किया। उनके डीजीपी के तौर पर जारी आदेश में हरियाणा सरकार के गृह विभाग द्वारा उनका कार्यकाल दो वर्ष दर्शाया गया। उक्त आदेश में हरियाणा पुलिस एक्ट (अधिनियम), 2007 के प्रासंगिक प्रावधान का कोई उल्लेख नहीं है।

एडवोकेट हेमंत कुमार ने बताया कि राज्य के उक्त पुलिस अधिनियम की धारा 6 (2), जो राज्य के डीजीपी के कार्यकाल की अवधि से सम्बंधित है, जिसमें दिसंबर, 2018 में राज्य विधानसभा द्वारा संशोधन किया गया व 10 जनवरी, 2019 से लागू भी हो गया। इसमें साफ तौर पर वर्णित है कि राज्य के पुलिस महानिदेशक कि पदावधि (कार्यकाल) एक वर्ष से कम नहीं होगी और एक वर्ष तक ही विस्तारयोग्य होगी।

हेमंत का दावा है कि उक्त धारा के अनुसार डीजीपी की पदावधि अधिकतम दो वर्ष तक ही हो सकती है। अगर उक्त धारा की कानूनी तौर पर पूर्ण अनुपालना की जाए  जो राज्य सरकार पुलिस महानिदेशक को उनकी नियुक्ति के प्रारम्भ में निरंतर दो वर्ष के कार्यकाल के लिए नियुक्त नहीं कर सकती। उन्हें सर्वप्रथम एक वर्ष के लिए एवं उस अवधि के पश्चात एक और वर्ष के लिए ही विस्तार दिया जा सकता है।

हेमंत ने बताया कि दिसंबर, 2018 में संशोधन से पूर्व हरियाणा पुलिस एक्ट, 2007 की मूल धारा 6 (2 ) में डीजीपी का न्यूनतम कार्यकाल मात्र एक वर्ष ही था पर उसमें कोई अधिकतम अवधि नहीं निर्धारित की गई थी। सुप्रीम कोर्ट द्वारा 22 सितम्बर, 2006  को पुलिस सुधारों पर दिए गए ऐतिहासिक निर्णय अर्थात प्रकाश सिंह बनाम भारत सरकार में कोर्ट द्वारा दिए गए छ: निर्देशों में हर राज्य के डीजीपी का कार्यकाल न्यूनतम दो वर्ष निरंतर होगा, चाहे उस पद पर आसीन हुए आईपीएस अधिकारी की सेवानिवृति की तिथि कुछ भी हो। सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस निर्देश में डीजीपी के कार्यकाल के सम्बन्ध में अधिकतम सीमा का कोई सन्दर्भ नहीं है।

हेमंत ने बताया कि हरियाणा पुलिस एक्ट, 2007 की  मूल धारा 6 (2 ) में कोई अधिकतम सीमा निर्धारित नहीं होने के कारण ही तत्कालीन डीजीपी आरएस दलाल अपने पद पर छ: वर्ष तक नवंबर, 2006 से अक्टूबर, 2012 तक निरंतर बने रहे। उन्होंने बताया कि प्रश्न यह उठता है कि हरियाणा के डीजीपी मनोज यादव, जिनकी रिटायरमेंट जुलाई, 2025 में हैं। अर्थात उनकी साढ़े पांच वर्ष की सेवा शेष पड़ी है, हरियाणा पुलिस एक्ट, 2007 की मौजूदा धारा 6 (2) के तहत वर्तमान डीजीपी मनोज यादव अधिकतम दो वर्ष तक अर्थात फरवरी, 2021 वो भी निरंतर नहीं बल्कि पहले एक वर्ष अर्थात 17 फरवरी, 2020 तक और फिर एस वर्ष के लिए और अर्थात 17 फरवरी, 2021 तक ही हरियाणा के डीजीपी के पद पर रह सकते हैं।

हेमंत ने बतायाकि वो अब तक समझ नहीं पाए कि अगर हरियाणा के डीजीपी मनोज यादव का नियुक्ति आदेश सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार जारी किया गया तो उसमें दो वर्ष का ही कार्यकाल लिखने ही कोई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि उनकी सेवा अभी दो वर्ष से कहीं अधिक शेष पड़ी है। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के अनुसार डीजीपी के पद पर कोई अधिकतम कार्यकाल की सीमा नहीं हो सकती। अगर मनोज यादव का पुलिस महानिदेशक के तौर पर नियुक्ति आदेश हरियाणा पुलिस एक्ट, 2007 के प्रावधानों के अंतर्गत जारी किया गया है तो उनकी नियुक्ति निरंतर दो वर्ष की अवधि के लिए कैसे की जा सकती है क्योंकि मौजूदा धारा 6 ( 2 ) के तहत यह सर्वप्रथम एक वर्ष के लिए एवं उसके पश्चात इसमें एक और वर्ष के लिए विस्तार किया जा सकता है।

हेमंत ने हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज से मांग की है कि वो हरियाणा के आगामी बजट सत्र में हरियाणा पुलिस एक्ट, 2007 में पुन: संशोधन करने बाबत विधेयक राज्य विधानसभा में पेश करने और पारित करवाने पर गंभीर विचार करें, जिसमें हरियाणा के पुलिस प्रमुख के कार्यकाल में कोई अधिकतम सीमा उल्लेखित न हो चूंकि सुप्रीम कोर्ट के पुलिस सुधारों पर सितम्बर, 2006 में दिए गए ऐतिहासिक निर्णय और उसके बाद समय समय पर दिए गए आदेशों में राज्य के पुलिस प्रमुख के अधिकतम कार्यकाल निर्धारित करने का कोई निर्देश नहीं है।

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