हुड्डा के गढ़ में अभय चौटाला दिखाएंगे दम, ताऊ देवीलाल जयंती पर रोहतक में इनेलो की विशाल रैली आज

Edited By Isha, Updated: 25 Sep, 2025 08:25 AM

inld to hold massive rally in rohtak on tau devi lal s birth anniversary today

इनेलो सुप्रीमो अभय सिंह चौटाला 25 सितंबर को रोहतक में सम्मान दिवस रैली के ज़रिये अपनी राजनीतिक ताकत दिखाने जा रहे हैं। यह आयोजन केवल पूर्व उपप्रधानमंत्री दिवंगत चौ़ देवीलाल की जयंती तक सीमित नहीं है

रोहतक:  इनेलो सुप्रीमो अभय सिंह चौटाला 25 सितंबर को रोहतक में सम्मान दिवस रैली के ज़रिये अपनी राजनीतिक ताकत दिखाने जा रहे हैं। यह आयोजन केवल पूर्व उपप्रधानमंत्री दिवंगत चौ़ देवीलाल की जयंती तक सीमित नहीं है, बल्कि हरियाणा की राजनीति में इनेलो की पुनर्स्थापना की बड़ी कोशिश माना जा रहा है। 

यह रैली खास इसलिए भी है क्योंकि यह पूर्व मुख्यमंत्री चौ़ ओमप्रकाश चौटाला के निधन के बाद अभय चौटाला का पहला बड़ा शक्ति प्रदर्शन होने जा रहा है। इनेलो नेता पिछले महीनों में प्रदेशभर का दौरा कर चुके हैं और कार्यकर्ताओं को एकजुट करने में जुटे हैं। अब उनकी नजरें इस रैली पर टिकी हैं, जिसे इनेलो की वापसी का मंच कहा जा रहा है। रोहतक लंबे समय से कांग्रेस के दिग्गज और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का गढ़ माना जाता है। जाटलैंड की इस धरती पर पैर जमाना किसी भी राजनीतिक दल के लिए भविष्य की राजनीति का दरवाजा खोल सकता है।

अभय चौटाला यहां रैली आयोजित कर न केवल कांग्रेस को सीधी चुनौती देने का संकेत कर रहे हैं, बल्कि यह भी दिखाना चाहते हैं कि इनेलो अब फिर से जाट बेल्ट में पैठ बनाने की तैयारी में है। इनेलो के लिए पिछले कुछ साल बेहद कठिन रहे। 2019 में परिवार में फूट पड़ी और बड़े भाई डॉ़ अजय सिंह चौटाला ने जजपा बनाकर अलग राह पकड़ ली। इस बिखराव का असर पहले 2019 और फिर 2024 के विधानसभा चुनावों में साफ दिखाई दिया, जब इनेलो का प्रदर्शन उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा। अब अभय चौटाला एक बार फिर संगठन को खड़ा करने और कार्यकर्ताओं को उत्साहित करने की कोशिश कर रहे हैं। 

रोहतक की सम्मान दिवस रैली अभय चौटाला के लिए सिर्फ एक राजनीतिक आयोजन नहीं बल्कि इनेलो के पुनर्जीवन का ऐलान है। हुड्डा के गढ़ में पांव जमाने की कोशिश, ताऊ देवीलाल की विरासत का सहारा और ‘राइट टू रिकॉल’ जैसे मुद्दे को हथियार बनाकर वे यह संदेश देना चाहते हैं कि चौटाला परिवार की राजनीति अब भी जिंदा है। 2029 की ओर बढ़ती रणनीति में यह रैली उनका पहला बड़ा दांव होगी, और शायद सबसे अहम भी।

 

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