पशुओं की नस्लों को भविष्य में दोबारा किया जा सकेगा जिंदा, हरियाणा के इस संस्थान की गजब पहल

Edited By Yakeen Kumar, Updated: 29 Sep, 2025 08:10 PM

indigenous animal breeds may be revived in the future

देश में अब कोई भी देसी पशु नस्ल पूरी तरह विलुप्त नहीं होगी।

करनाल : देश में अब कोई भी देसी पशु नस्ल पूरी तरह विलुप्त नहीं होगी। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के राष्ट्रीय पशु अनुवांशिक संसाधन ब्यूरो (NABGRR), करनाल ने इसके लिए विशेष पहल की है। संस्थान दैहिक कोशिकाओं (सोमैटिक सेल) और वीर्य को संरक्षित कर रहा है ताकि भविष्य में इन नस्लों को दोबारा जीवित किया जा सके। यह प्रक्रिया क्रायोप्रिजर्वेशन और एससीएनटी (सोमैटिक सेल न्यूक्लियर ट्रांसफर तकनीक) के जरिये संभव होगी।

फिलहाल देशी पशुओं की 21 नस्लों की निगरानी की जा रही है। 31 मार्च 2025 तक 10 पशुधन प्रजातियों के 125 देशी समूहों के वीर्य और कोशिकाएं संरक्षित की जा चुकी हैं। वर्तमान में पांच प्रजातियों को विलुप्त प्राय श्रेणी में रखा गया है। इनमें अरुणाचल प्रदेश व सिक्किम की तिब्बती भेड़, निकोबार की टेरेसा बकरी, मध्य प्रदेश का मालवी ऊंट, हरियाणा का मेवाती ऊंट और राजस्थान का मेवाड़ी ऊंट शामिल हैं।

इन नस्लों को खास तौर पर उनके अधिक दूध उत्पादन और क्षेत्रीय महत्व के लिए जाना जाता है। करनाल स्थित NABGRR देश का पहला संस्थान है जिसने देशी पशुधन जीनोम संसाधनों के संरक्षण के लिए सोमैटिक सेल बैंक तैयार किया है। पशुधन गणना रिपोर्ट के अनुसार, देश में वर्तमान में लगभग 5368 लाख देसी पशु मौजूद हैं। यह प्रयास सुनिश्चित करेगा कि आने वाले समय में कोई भी देशी नस्ल पूरी तरह इतिहास न बन जाए।

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