Edited By Isha, Updated: 31 Aug, 2024 03:18 PM
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाते हुए मोहाली की फैमिली कोर्ट के उस फैसले को बरकरार रखा है, जिसमें एक महिला ने पानीपत निवासी एक व्यक्ति को अपना पति बताते हुए गुजारा भत्ता के लिए कोर्ट की शरण ली थी।
चंडीगढ़(चंद्र शेखर धरणी) : पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाते हुए मोहाली की फैमिली कोर्ट के उस फैसले को बरकरार रखा है, जिसमें एक महिला ने पानीपत निवासी एक व्यक्ति को अपना पति बताते हुए गुजारा भत्ता के लिए कोर्ट की शरण ली थी। याचिका पर फैमिली कोर्ट ने महिला के बेटे और आरोपी का डीएनए टेस्ट कराने के आदेश दिए थे।
हाईकोर्ट में दी थी चुनौती
मोहाली की फैमिली कोर्ट की ओर से जारी आदेश को पानीपत निवासी आरोपी व्यक्ति ने पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। हाईकोर्ट में याचिका दायर करते हुए व्यक्ति ने कहा था कि उसका आरोप लगाने वाली महिला के साथ कोई रिश्ता नहीं है और डीएनए के मिलान से शादी प्रमाणित नहीं होती। इसके उल्ट महिला ने दावा किया था कि 2003 में उनका विवाह हुआ था, जिसके बाद 2005 में उन्हें एक बेटा हुआ था। इसके बाद उनके रिश्ते बिगड़ गए और उसके पति ने घर से निकाल दिया। हालांकि व्यक्ति ने महिला के साथ विवाह नहीं होने और बेटा अपना नहीं होने का दावा किया था।
हाईकोर्ट ने ये कहा
पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने अहम आदेश जारी करते हुए यह स्पष्ट कर दिया कि विवाह से इंकार के मामले में इसे साबित करने के लिए तकनीक का सहारा लिया जाना चाहिए। कानून बनाते हुए साइंस ने इतनी तरक्की नहीं की थी, लेकिन अब यह बहुत उन्नत है। हाईकोर्ट ने व्यक्ति का उसके कथित बेटे से डीएनए मिलान का आदेश देते हुए यह टिप्पणी की । हाईकोर्ट ने कहा कि डीएनए टेस्ट से महिला के गुजारा भत्ता दावे को भी निपटाने में आसानी होगी। ऐसे में फैमिली कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया।