विधानसभा हरियाणा एक छत के नीचे, 2 राज्यों के, दो सदन हैं :राम नारायण यादव

Edited By Isha, Updated: 16 Feb, 2025 01:50 PM

haryana vidhansabha is two houses of two states under one roof

संविधान के जानकार राम नारायण यादव बताते हैं कि हरियाणा विधानसभा भवन में को कई कारणों से गौरव प्राप्त है।तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित नेहरू ने 3 अप्रैल, 1958 को नींव रखी

चण्डीगढ़ (चंद्र शेखर धरणी): संविधान के जानकार राम नारायण यादव बताते हैं कि हरियाणा विधानसभा भवन में को कई कारणों से गौरव प्राप्त है।तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित नेहरू ने 3 अप्रैल, 1958 को नींव रखी। तीसरे , यहां एक छत के नीचे, दो राज्यों के, दो सदन हैं। चौथे, जो विधानमंडल लाहौर से शिमला, और, वहां से चंडीगढ़ पहुंचा, उसकी बैठके  यहां के गवर्नमैंट हायर सैकंडरी स्कूल, सेक्टर-10 में हुईं जिसके बाद, सदन की पहली बैठक इस भवन में 6 मार्च, 1961 को हुई। सेक्टर-10 का ’’असैंबली हाल’’ आज भी सुरक्षित रखा गया है। पांचवां कारण है, वर्ष 1920 में प्रथम अध्यक्ष सर फ्रैडिृक व्हाइटे के समय संसदीय प्रणाली की

जो नींव भारत में पड़ी, जिसको 1925 के बाद ठोस परम्पराऐं दीं। प्रथमभारतीय अध्यक्ष श्री विठठल भाई जे. पटेल ने, और आजाद भारत केपहले अध्यक्ष, ’’फादर आफ दी लोकसभा’’ कहे जाने वाले, श्री मावलंकर ने इस प्रणाली को आगे बढाया।उस संसदीय प्रणाली को आगे मजबूती देने में लोकसभा अध्यक्ष ओम  बिरला का महत्वपूर्ण योगदान है।

 यादव ने कहा कि सभा की उच्च कोटी की सोच इसी वर्ष 21 जनवरी को पटना में देखने को मिली जहां, उनकी अध्यक्षता में, भारतीय पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन में विधानमंडलों की कार्यप्रणाली को और अधिक सुदृढ बनाने का संकल्प लिया गया।  हरियाणा विधान सभा के अध्यक्ष हरविंदर कल्याण द्वारा  प्रबोधन कार्यक्रम की पहल इन संकल्पों को पूरा करने की दिशा में एक कदम है।

इससे मिलने वाला अनुभव डा. राजेन्द्र प्रसाद की उस कल्पना को भी साकार कर पायेगा, जो उन्होने 26 नवंबर, 1949 को संविधान सभा में की थी,कि; हम आशा करते हैं कि हमारे विधान-मंडलों में ऐसे सदस्य होंगे जो वास्तविकता से परिचित होंगे और जो वस्तुस्थिति पर यथार्थ दृष्टिकोण से विचार करेगे। कर्मचारियों का भी दायित्व है कि वह सदस्यों की समस्या के समाधान व उनकी आशा को पूरा करने के लिये, पूरे अनुभव व ज्ञान के साथ उन्हे तत्काल अधिकृत व सही राय दें।   साथ ही; संसदीय प्रणाली के अनुसार, बेशक, प्रशासनिक सचिव व उसके सहायक बहुत योग्य व अनुभवी हो सकते हैं; बेशक, वह राजनीतिज्ञों केबीच में रहते हों; लेकिन वह राजनीतिज्ञों के समान नहीं हो सकते।

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