एक बार फिर गरमाएगी हरियाणा की राजनीति, राज्यसभा की इन 2 सीटों के लिए होंगे चुनाव

Edited By Isha, Updated: 25 Feb, 2020 02:00 PM

haryana s politics will rekindle once again

देशभर में राज्यसभा की 55 सीटों पर चुनाव होना है ।  हरियाणा में राज्यसभा की तीन सीटों के लिए होने वाले चुनाव के लिए सभी ने गोटियां फिट करनी शुरू कर दी है। प्रदेश में राज्यसभा की दो सीटों के लिए नियमित और एक सीट के लिए उपचुनाव होंगे

चंडीगढ़(धरणी)-  देशभर में राज्यसभा की 55 सीटों पर चुनाव होना है । हरियाणा में राज्यसभा की 2 सीटों के लिए होने वाले चुनाव के लिए सभी ने गोटियां फिट करनी शुरू कर दी है। प्रदेश में राज्यसभा की दो सीटों के लिए नियमित और एक सीट के लिए उपचुनाव होंगे, इन्हें एक साथ नहीं कराया जा सकता है । बीरेंद्र सिंह का राज्यसभा की सदस्यता से त्यागपत्र स्वीकार हो चुका है। उनका कार्यकाल अगस्त 2022 तक था। लिहाजा इस रिक्त सीट पर उपचुनाव होगा।

हरियाणा की पांच सीटों में फिलहाल कांग्रेस की कुमारी सैलजा के अलावा भाजपा के डीपी वत्स एवं निर्दलीय डा. सुभाष चंद्रा राज्यसभा में हैैं। प्रदेश में दो राज्यसभा सीटों के लिए उपचुनाव वर्ष 2014 में हुआ था। उस समय बीरेंद्र सिंह ने कांग्रेस से त्यागपत्र देकर भाजपा ज्वाइन कर ली थी। इनेलो नेता रणबीर सिंह गंगवा ने भाजपा के टिकट से विधानसभा चुनाव में मिली जीत के बाद राज्यसभा की सीट छोड़ दी थी।  विधायकों की संख्या के आधार पर राज्यसभा की एक सीट के लिए होने वाले उपचुनाव में भाजपा-जजपा गठबंधन के उम्मीदवार की जीत तय है। दो सीटों के लिए चुनाव में एक सीट गठबंधन में जे जी पी और एक सीट कांग्रेस के हिस्‍से में जाने की संभावना है।इन दोनों रिक्त सीटों के लिए कार्यकाल चूंकि एक साल से ज्यादा बचा हुआ था, इसलिए इन पर उपचुनाव कराया गया था। इसमें बीरेंद्र सिंह और तत्कालीन रेल मंत्री सुरेश प्रभु भाजपा टिकट पर निर्वाचित हुए थे।

बीरेंद्र सिंह का राज्यसभा की सदस्यता से त्यागपत्र स्वीकार हो चुका है। उनका कार्यकाल अगस्त 2022 तक था। लिहाजा इस रिक्त सीट पर उपचुनाव होगा। फरवरी 2014 में इनेलो के टिकट पर राज्यसभा पहुंचे रामकुमार कश्यप ने पिछले दिनों राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। वह इंद्री से भाजपा के टिकट पर विधायक चुने गए थे। उनका कार्यकाल लगभग पूरा होने वाला था, जिस कारण कश्यप की खाली राज्यसभा की सीट पर नियमित चुनाव होगा। फरवरी 2014 में ही कांग्रेस की कुमारी सैलजा राज्यसभा सदस्य बनी थीं। उनका कार्यकाल 9 अप्रैल 2020 तक है। हरियाणा की तीन राज्यसभा सीटों के चुनाव में 1 सीट कांग्रेस के खाते में जा सकती है। कांग्रेस में भी इस एक सीट के लिए एक अनार सौ बीमार वाली कहावत चिर्तार्थ हो रही है |

कांग्रेस में बड़ा महाभारत होने के आसार
कांग्रेस में बड़ा महाभारत होने के प्रबल आसार इस लिए नजर आ रहे हैं क्योंकि पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी शैलजा एक बार फिर हरियाणा से ही राज्यसभा की सांसद बनने की चाहत रखती है।वह कांग्रेस की प्रदेशाध्यक्ष भी हैं | नेता प्रतिपक्ष व् पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा अपने बेटे पूर्व सांसद दीपेंद्र हुड्डा को राज्यसभा के जरिए बड़ा प्लेटफार्म देने की ख्वाहिश रखते हैं।पूर्व मंत्री रणदीप सुरजेवाला पार्टी में बड़ी भूमिका निभाने के लिए राज्यसभा का सांसद बननेका प्रयास कर सकतें हैं | कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व में उनकी पकड़ मजबूत होने का उन्हें फायदा मिल सकता है |  3 में से 2 सीटों पर सत्तारूढ़ बीजेपी-जेजेपी गठबंधन के प्रत्याशी आसानी से जीत जाएंगे। इस 1 सीट को लेकर कांग्रेस में तीन दावेदार ताल ठोक रहे हैं | प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री शैलजा बड़े सियासी रसूख को हासिल कर गई हैं।

पैठ बनाए रखने के लिए कांग्रेश अपनाएगी पैंतरा
प्रदेश कांग्रेश में अपनी पैठ बनाए रखने के लिए वे हरियाणा से ही राज्यसभा सांसद बनना चाहती हैं।अगर वह हरियाणा से बाहर किसी कांग्रेस शाषित जाकर सांसद बनेंगी तो प्रदेश कांग्रेस में उनकी पैठ कम हो जाएगी। इसलिए वे अपनी मौजूदा सीट पर ही सांसद बनना चाहती हैं। गांधी परिवार के साथ बेहद करीबी रिश्ता होने के कारण टिकट हासिल करना उनके लिए मुश्किल भी नहीं है। पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा अपने बेटे पूर्व सांसद दीपेंद्र हुड्डा को हरियाणा से ही राज्यसभा सांसद बनाने की ख्वाहिश रखते हैं। भूपेंद्र हुड्डा अपनी सियासी विरासत को धीरे-धीरे दीपेंद्र हुड्डा की तरफ बढ़ा रहे हैं।विभिन्न अदालतों में चल रहे कुछ  केसों के चलते हुए दीपेंद्र हुड्डा के कदम प्रदेश की सियासत में उत्तराधिकारी के रूप में  मजबूती से जमाना चाहते हैं।

दीपेंद्र हुड्डा भी करेंगे टिकट पाने की कोशिश
प्रदेश कांग्रेश में बड़ा रुतबा हासिल करने के लिए दीपेंद्र हुड्डा का हरियाणा से ही राज्यसभा सांसद बनना बेहद जरूरी है। इसलिए वे दीपेंद्र हुड्डा के लिए टिकट हासिल करने की पूरी कोशिश करेंगे। हुड्डा और कुमारी शैलजा की जोड़ी अभी तक बेहतर तालमेल के साथ प्रदेश कांग्रेस का कामकाज देख रही है। उनकी अगुवाई में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को उम्मीद से ज्यादा सीटें भी हासिल हुई। दोनों ही नेता अपनी जुगलबंदी को लंबे समय तक कायम रखते रखना चाहते हैं। लेकिन राज्यसभा का मसला दोनों ही नेताओं के बीच मतभेदों को बड़ा सकता है | 

 

 

 

 

 

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